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सरगावां मुखिया पति व पुत्र के दबंगता से थर्राया पंचायत सहायक, पीओ से लगाया कार्य मुक्त करने का गुहार, जांच और कारवाई बना शासन के लिए गंभीर चुनौती

देव (औरंगाबाद) खबर सुप्रभात समाचार सेवा

औरंगाबाद जिले के देव प्रखंड अंतर्गत सरगावां पंचायत के मुखिया बबिता देबी के पति एवं पुत्र के दबंगता से पंचायत सहायक सुरेश कुमार काफी भयभीत तथा आतंकित रहने का मामला प्रकाश में आया है। पंचायत सहायक सुरेश कुमार ने देव के कार्यक्रम पदाधिकारी कुमार सलेंद्र को आवेदन देते हुए सरगावां पंचायत से कार्य मुक्त करने का गुहार लगाया है। कार्यक्रम पदाधिकारी को पंचायत सहायक सुरेश कुमार द्वारा दिए गए आवेदन में उल्लेख है कि 23 जून 2023 को ग्राम पंचायत सहायक सरगावां में चल रही योजनाओं की स्थल

निरीक्षण के लिए कनिए अभियंता सहायक अभियंता एवं पीआरएस योजना स्थल पर गए तो मुखिया पति एवं पुत्र द्वारा आपत्ति जताया गया तथा धमकी दिया गया एवं अभद्र व्यवहार किया गया एवं मारपीट करने पर उतारू हो गए। आवेदन में यह भी उल्लेख है की मुखिया पति और उनके पुत्र के द्वारा उक्त व्यवहार से काफी भयभीत, एवं मानसिक तनाव में जी रहा हु। तथा इस पंचायत में कार्य करने में सक्षम नहीं हुं। इस संबंध में पूछे जाने पर प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी कुमार शैलेन्द्र ने पंचायत सहायक द्वारा लगाए गए आरोपों का पुष्टि करते हुए कहा कि मामला बेहद गंभीर है और पुरे मामले का जांचोपरांत उचित कार्रवाई के लिए वरिय पदाधिकारी को अवगत कराया जायेगा। जब इस संबंध में सरगावां पंचायत के मुखिया से उनके मोबाइल नम्बर पर सम्पर्क करने का अनेकों बार प्रयास किया गया लेकिन एक बार भी संपर्क नहीं हो सका। बता दें कि सरगावां पंचायत में अन्य योजनाओं तथा विकास कार्यों में मनमानी एवं अनियमितता का शिकायत ग्रामीणों का रहा है लेकिन सरकार और प्रशासन द्वारा न तो समयानुसार जांच होता है और नहीं कारवाई। ग्रामीणों का आरोप है कि पंचायत में ग्राम सभा का महज खानापूर्ति और कागजी घोड़ा दौड़ाया जाता है। लेकिन भय वस ग्रामीण मुंह खोलना अपने को सुरक्षित नहीं समझते हैं। नाम नहीं छापने के शर्तों पर कुछ ग्रामीणों ने बताया कि मुखिया के दबंगता के सामने स्थानीय प्रशासन भी या तो घुटना टेक चुके हैं या फिर लूट के राशि में हिस्सेदारी बटाते हैं। जिस कारण नहीं समयानुसार जांच होता है और नहीं कारवाई। ग्रामीणों को माने तो पंचायत में जांच का महज खानापूर्ति और रश्म अदायगी होता है। फलस्वरूप सरकार द्वारा चलाए जा रहे एक भी योजना धरातल पर इमानदारी एवं पार्दर्शिता पूर्ण नहीं चल रहा है और शासन प्रशासन के लिए जांच और कारवाई अभी तक चुनौती बना हुआ है तभी तो अभी तक जांच और कारवाई के नाम पर खानापूर्ति हो रहा है।

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