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औरंगाबाद जिलाधिकारी को आकाश ने लिखा पत्र, कारवाई के बदले जांच के नाम पर अधिकारियों द्वारा लिपा पोती करने पर जिला प्रशासन के विश्वशनीयता पर उठाया सवाल, लचार होने पर पटना हाईकोर्ट में लगाएंगे गुहार

अम्बा: ख़बर सुप्रभात समाचार सेवा

औरंगाबाद जिले के कुटुम्बा प्रखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत परता में फर्जी ग्राम सभा आयोजित कर योजनाओं के राशि में हुए घपला घोटाला का जिला प्रशासन से बार बार लिखित आवेदन देकर जांचोपरांत कारवाई सुनिश्चित करने का मांग के बावजूद जांचोपरांत कारवाई करने के बजाय दोषियों को जांच के नाम पर लीपापोती करने और बचाने का कार्य करने का आरोप लगाया है। आकाश ने जिलाधिकारी को लिखे पत्र में कहा है कि बर्ष 2022 में परता पंचायत में एक भी ग्राम सभा में 6-10 ग्रामीणों से ज्यादा का उपस्थिति नहीं रहा है बावजूद योजनाओं का मनमाने ढंग से चयनित कर लिया गया और प्रशासनिक स्वीकृति तथा टेक्निकल मंजूरी भी मिल गया और योजना मद के राशि को भ्रष्टाचार का भेंट चढ़ा दिया गया। आकाश ने जिलाधिकारी को लिखे पत्र में उल्लेख किया है कि आरटीआई से जो सूचना उपलब्ध कराया गया है उससे साफ़ जाहिर होता है कि बंद कमरे में चंद चहेते लोगों के साथ ग्राम सभा आयोजित कर लिया गया है। इसके अलावे जिलाधिकारी को पत्र में उल्लेख किया गया है कि इसी पंचायत के भलूवाडी खुर्द प्रा०विद्यालय मे नियोजित शिक्षिका अनिता कुमारी का फर्जी प्रमाण पत्र पर शिक्षक बना दिया गया है। आकाश ने जिलाधिकारी एवं अन्य प्राधिकार से इस संबंध में किए गए शिकायत के साथ साथ योग्यता प्रमाण पत्र भी दिखाया है। प्रमाणपत्र के अनुसार अनिता कुमारी बर्ष 2006 में झारखंड राज्य के पलामू जिला अंतर्गत हरिहरगंज बालिका उच्च विद्यालय से मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण की है और नियोजन हेतु आवेदन में शिक्षण संस्थान बालिका उच्च विद्यालय हरिहरगंज का उल्लेख की है और बोर्ड का नाम बिहार विद्यालय परीक्षा समिति पटना का उल्लेख की है। जबकि बर्ष 2000 में ही बिहार -झारखंड का बंटवारा हो गया है। आश्चर्यजनक पहलू तो यह है कि अनीता कुमारी बर्ष 2006में मैट्रिक पास की है और इसके पहले बर्ष 2002 में ही बिहार के मधुबनी जिला के एक संस्कृत महाविद्यालय से उपशास्त्रीय इंटर पास कर चुकी है। जिला पदाधिकारी को लिखे पत्र में आकाश ने कहा है कि यदि जांच के नाम पर लीपापोती होते रहा और दोषियों को बचाने में जांचकर्ता लगे रहे तो मैं बाध्य होकर पटना उच्च न्यायालय में परिवाद दायर करुंगा और तब संबंधित अधिकारी और जांच के नाम पर बचाव करने वाले अधिकारी भी जिम्मेवार होंगे।

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