तजा खबर

बच्चियों के साथ हुए बलात्कार कांड पर लोकतांत्रिक जन पहल का प्रतिनिधिमंडल मुख्यसचिव और डीजीपी से मिला, बेगूसराय पुलिस पर लगाया बालात्कारियों को बचाने का आरोप

पटना संवाद सूत्र खबर सुप्रभात

बेगूसराय के साहेबपुर कमाल थाना क्षेत्र में होली के दिन दो बच्चियों के साथ हुए बलात्कार कांड पर लोकतांत्रिक जन पहल का एक प्रतिनिधिमंडल आज मुख्य सचिव न आमिर सुभानी और पुलिस महानिदेशक आर एस भट्ठी से मिलकर घटना की विस्तृत तथ्यान्वेषण रिपोर्ट सौंपी और पीड़ित बच्चियों को न्याय दिलाने और बलात्कारियों की सजा सुनिश्चित करने तथा विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ देने की मांग की । प्रतिनिधिमंडल में पद्मश्री सुधा वर्गीज, कंचन बाला और शाहदा बारी शामिल थीं। प्रतिनिधियों ने मांग की कि दोनों पीड़ित बच्चियों को मुआवजे की उचित राशि दी जाय। पीड़ित बच्चियां गरीब परिवार की हैं, इसलिए उनके माता-पिता को अविलंब इंदिरा आवास , राशन कार्ड मुहैया कराई जाय तथा अन्य सभी सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जाय । दोनों पीड़ित बच्चियों की शिक्षा सुनिश्चित की जाय। एक पीड़ित बच्ची के तीन भाई विकलांग हैं, उन्हें विकलांगता प्रमाण पत्र जारी कर पेंशन दिया जाय। प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि दोनों पीड़ित बच्चियों के ज़ख्म बहुत गहरे और गंभीर हैं।अगर उनका इलाज सावधानी पूर्वक ठीक तरीके से नहीं हुआ तो उन दोनों की जान को खतरा हो सकता है। इसलिए हमारी मांग है कि दोनों पीड़ित बच्चियों के समुचित इलाज की व्यवस्था किसी स्तरीय अस्पताल में सरकारी खर्च पर हो। प्रतिनिधियों ने मुख्य सचिव को बताया कि वहां दोनों समुदायों की सकारात्मक पहलकदमी के चलते शांति व सद्भाव बना हुआ है। फिर भी पुलिस लोगों को झूठे मुकदमों में फंसा रही है। प्रतिनिधिमंडल को मुख्यसचिव ने गंभीरता से सुना और  आश्वस्त किया कि वे स्वयं अपने स्तर से बेगूसराय के जिलाधिकारी से विमर्श कर हर संभव सहायता व सुविधा मुहैया कराने की पहल करेंगे। आरक्षी महानिरीक्षक श्री आर एस भट्टी से मिलकर प्रतिनिधिमंडल ने जिला पुलिस के रवैए पर विरोध दर्ज किया। इस केस ( साहेबपुर कमाल केस नं 68/2023, दिनांक 8-3-2023) में चार नामजद अपराधी हैं सोहन कुमार उर्फ छोटू, बबलु कुमार, हरदेव कुमार और रोहन कुमार । दो नामजद बलात्कारियों हरदेव कुमार और रोहन कुमार को गिरफ्तार न करने की पुलिस अधिकारियों की मंशा पर रोष व्यक्त किया। प्रतिनिधियों ने कहा कि जिस तरह से पॉक्सो एक्ट के प्रावधानों का उल्लघंन करते हुए अमानवीय तरीके से बच्चियों का 164 का बयान कराया गया उससे पुलिस की निष्पक्षता पर संदेह होना लाजमी है। प्रतिनिधियों ने कहा कि 164 का बयान कराने के बाद पुलिस पीड़ित बच्चियों को उनके परिजनों के भरोसे छोड़ दी है। जबकि दो बलात्कारी अभी तक छुट्टा घूम रहा है। इसलिए दोनों पीड़ित बच्चियों की सुरक्षा का खतरा बना हुआ है। हमारी मांग है कि दोनों पीड़ित बच्चियों की देखभाल और सुरक्षा को सुनिश्चित किया जाए। प्रतिनिधियों ने कहा कि पॉक्सो एक्ट के तहत स्पीडी ट्रायल की व्यवस्था है। स्पीडी जांच प्रक्रिया के बिना स्पीडी ट्रायल कैसे संभव है।
बेगूसराय पुलिस जिस तरह तथ्यों को तोड़मरोड़ रही है और लापरवाही बरत रही है उससे ऐसा लगता है कि वह बलात्कारियों को बचाने में लगी है। यह चर्चा आम है कि बलात्कारी दारू, शराब और गांजा आदि नशीले पदार्थों का धंधा करता है और उसका स्थानीय पुलिस से सांठगांठ है। प्रतिनिधियों ने कहा कि बेगूसराय के पुलिस अधीक्षक का नाम लेकर हम महिलाओं से बदतमीजी करने वाले लंपट गुंडों का महिला और नगर थाना के द्वारा संरक्षण देना आश्चर्यजनक है।ऐसे दोषी व्यक्तियों पर कार्रवाई होनी चाहिए। प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि इस घटना की आड़ में कोई साम्प्रदायिक तनाव व हिंसा न हो इसमें दोनों समुदायों की भूमिका सराहनीय है। वहां कोई घटना नहीं है फिर भी साहेबपुर कमाल और बलिया थाना लोगों पर झूठे आरोप लगाकर एफआईआर कर रही है। हमारी मांग है कि एफआईआर वापस लिए जाएं। पुलिस महानिदेशक ने भी हमलोगों की पूरी बात सुनी और उसी समय संबंधित उच्च पुलिस अधिकारियों से बात की और हमलोगों को आश्वस्त किया कि बच्चियों को न्याय मिलेगा। उल्लेखनीय है कि बेगूसराय के साहेबपुर कमाल थाना क्षेत्र में होली के दिन दो छोटी बच्चियों के साथ बलात्कार की घटना की बर्बरता, संवेदनशीलता और सामाजिक तनाव व हिंसा की आशंका के मद्देनजर लोकतांत्रिक जन पहल ने घटना के तथ्यान्वेषण और हस्तक्षेप के लिए एक टीम भेजने का निर्णय लिया था। जिसके आलोक में वरिष्ठ समाजकर्मी पद्मश्री सुधा वर्गीज, जानी-मानी राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ता कंचन बाला, शाहदा बारी सामाजिक कार्यकर्ता, हुदा सामाजिक कार्यकर्ता, अशोक कुमार अधिवक्ता व सामाजिक कार्यकर्ता, मणिलाल अधिवक्ता व सामाजिक कार्यकर्ता (सभी पटना), सोनी कुमारी सामाजिक कार्यकर्ता (सुपौल) और मोहम्मद शाहिद अधिवक्ता व सामाजिक कार्यकर्ता (बेगूसराय) टीम ने दिनांक 15 मार्च को बेगूसराय का दौरा किया। पीड़िता के परिजनों, गांव के लोगों, पुलिस पदाधिकारियों और पीड़ित बच्चियों से मुलाकात की तथा घटना स्थल का भी मुआयना किया। टीम को जो साक्ष्य उपलब्ध हुए उसके आधार पर रिपोर्ट प्रस्तुत किया गया है।
टीम का मानना है कि बच्चियों के साथ बलात्कार कांड में बेगूसराय पुलिस प्रशासन का व्यवहार शुरू से ही प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेस एक्ट 2012 (पॉक्सो एक्ट ) की मूल भावना व उद्देश्य का खुला उल्लंघन है। टीम ने कहा है कि घटना के आठ दिनों बाद भी पुलिस ने बच्चियों का 164 के तहत बयान नहीं करवाया।जबकि सहज ही समझ में आता है कि पीड़िता बहुत छोटी बच्चियां हैं , उन्हें गहरा सदमा लगा है इसलिए देरी होने के कारण बलात्कारियों की पहचान भूल सकतीं हैं। टीम ने इस बात पर गहरा रोष व्यक्त किया है कि रिपोर्ट लिखने के दरम्यान खबर मिली कि दिनांक 16 मार्च को पुलिस अस्पताल से दोनों बच्चियों को उनकी मांओं के साथ 164 का बयान कराने कोर्ट ले गयी । दोनों बच्चियों को अकेले अंदर ले जाया गया तथा दोनों की मांओं को बाहर खड़ा कर दिया गया।
उल्लेखनीय है कि इस मामले में प्राथमिकी के सूचनाकर्ता जो एक पीड़ित बच्ची के पिता भी हैं उनको भी पुलिस ने सूचना नहीं दी। टीम ने कहा कि पुलिस का यह रवैया आपराधिक है। पॉक्सो एक्ट के अनुसार पीड़ित बच्चियों से घरेलू, सहज, निर्भय और आत्मीय माहौल में बयान लेना है। बेगूसराय पुलिस का व्यवहार माफ करने योग्य नहीं है। टीम ने पुलिस उपाधीक्षक के रवैए की भी कड़ी निन्दा करते हुए कहा कि। पुलिस उपाधीक्षक ने कहा कि दो नहीं एक ही बच्ची के साथ बलात्कार हुआ है तथा चार नामजद आरोपियों में दो आरोपी ही बलात्कारी हैं। दोनों की गिरफ्तारी हो चुकी है। अन्य दो की गिरफ्तारी जांच के बाद होगी। टीम का आरोप है कि पुलिस उपाधीक्षक का रवैया पूरे केस व मामले को गुमराह करने वाला है और पॉक्सो एक्ट की धज्जियां उड़ानें वाला है। टीम का कहना है कि पीड़ित बच्चियों के द्वारा आरोपी का नाम लेना ही उसके दोषी का पर्याप्त आधार है। इसलिए पहले गिरफ्तारी होगी और उसके बाद पहचान कराने की प्रक्रिया।  टीम ने कहा कि बलात्कार मामले में अपने को निर्दोष साबित करने की जिम्मेदारी आरोपी पर है। ऐसी स्थिति में पुलिस उपाधीक्षक का रवैया बेहद आपत्तिजनक और न्यायविरोधी है। टीम ने कहा कि जहां घटना घटी है वही एक  मंदिर के नीचे का कमरा जो बलात्कारियों के दारू, शराब और गांजा के धंधे और नशेड़ियों का अड्डा है। लेकिन घटना के बावजूद पुलिस न तो घटनास्थल की तलाशी ली है और न ही सील की है। टीम ने इस बात पर गहरा क्षोभ व्यक्त किया है कि इस मामले में चाईल्ड वेलफेयर कमेटी की भूमिका नदारत रही है। टीम को मालूम हुआ कि कतिपय कारणों से पूरे बिहार में सीडब्ल्यूसी भंग कर दी गयी है और उसकी जगह तीन सदस्यीय कमेटी – जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, सामाजिक सुरक्षा अधिकारी और सीडीपीओ, को जिम्मेदारी दी गई है। लेकिन इस कमिटी का भी कहीं अता पता नहीं दिखा।

1 thought on “बच्चियों के साथ हुए बलात्कार कांड पर लोकतांत्रिक जन पहल का प्रतिनिधिमंडल मुख्यसचिव और डीजीपी से मिला, बेगूसराय पुलिस पर लगाया बालात्कारियों को बचाने का आरोप”

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *