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लोकसभा चुनाव में छोटी पार्टियाँ बिहार में ज्यादा सफल नहीं हो पायी हैं। पैर के नीचे की जमीन घिसका, गठबंधन के सहारे ही कभी-कभी छोटी पार्टियों की नैया बिहार में चुनावी बैतरनी पार लगती हैं

डीके अकेला का रिपोर्ट


लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर राजनीतिक पार्टियों में एक दूसरे को शह और मात देने की होड़ मची है। तमाम राजनीतिक दलों द्वारा विशेष रणनीति बनाकर काम कर रही हैं। लोकसभा चुनावी संग्राम में प्रमुख राष्ट्रीय दलों के साथ क्षेत्रीय और छोटे दल भी अपने किस्मत एवं ताकत आज़माने में लगे हुए हैं। कई क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियां ऐसे भी हैं, जो दूसरे राज्यों से आकर बिहार में पैर जमाने की अथक कोशिश कर रही हैं और इस लोकसभा चुनाव में भी जोर आजमाइश कर रही हैं। लेकिन, ऐसी पार्टियों के उम्मीदवार को सफ़लता मिलने का प्रतिशत बहुत ही कम रहा है। कभी-कभी छोटी पार्टियों के उम्मीदवार भी गठबंधन के सहारे चुनाव जीतने में सफल रहते हैं। बिहार की छोटी पार्टियाँ भी बड़ी राजनीतिक दलों की नाव पर सवार होकर चुनावी बैतरनी पार करने की कोशिश में लगी रहती है।
बड़ी पार्टियों का मिलता है सहारा।


लोजपा ( आर ),वीआईपी, हम और उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी जैसी छोटी पार्टियाँ गठबंधन के ही सहारे लोकसभा चुनाव की नैया पार करती रही है। 2019 में लोजपा एनडीए के साथ थी और पार्टी को 6 सीटों पर जीत मिली थी। हालांकि, बाद में पार्टी दो गुटों में बंट गई । भाजपा ने लोजपा (आर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान को तवज्जो दी और चिराग के 5 उम्मीदवार लोकसभा के चुनावी मैदान में दंड पेल रहे हैं। वहीं वीआईपी 2019 में महागठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़े थे और 2024 में भी महागठबंधन के साथ हैं। हालांकि, उन्हें कोई संतोषजनक सफ़लता नहीं मिली है। उपेन्द्र कुशवाहा 2014 में एनडीए गठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़े थे और उनकी पार्टी के 2 सांसद जीते थे। उपेन्द्र कुशवाहा जीत के बाद केंद सरकार में मंत्री भी बने थे। लेकिन, 2019 में कुशवाहा ने एनडीए गठबंधन से पाला बदलकर चुनाव लड़े और वे चुनाव बुरी तरह हार गए।

सपा व एनसीपी को जीत मिली है।

क्षेत्रीय पार्टियों में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाजवादी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा और AIMIM जैसी पार्टियाँ बिहार से उम्मीदवार देकर सांसद तक पहुंचने की बीते कई चुनाव से कोशिश करती रही है,लेकिन इन्हें कोई सार्थक सफ़लता नहीं मिली। हालांकि, सपा के 1 और एनसीपी के 1 उम्मीदवार चुनाव जीतने में सफल रहे हैं। 2014 में एनसीपी के उम्मीदवार और पुराने कांग्रेसी नेता तारिक अनवर को कटिहार लोकसभा सीट से सफ़लता मिली थी। इससे पहले एनसीपी 2004,2009 के साथ 2019 में भी लोकसभा चुनाव लड़ चुकी है,लेकिन कामयाबी नहीं मिली थी।