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बिहार के बाद यूपी में रामचरितमानस पर विवाद खड़ा करने वालों पर भड़के यज्ञाचार्य राकेश महाराज, कहा मानस के र अक्षर का भी नही ज्ञान, चौपाईयों के अनेकार्थ नही वास्तविक अर्थ की करे बात

संवाद सूत्र खबर सुप्रभात

तंत्र सिद्धि की देवी कामाख्या के अनन्य भक्त और बिहार के जाने माने यज्ञाचार्य राकेश जी महाराज ने बिहार के बाद उत्तर प्रदेश में रामचरितमानस पर विवाद खड़ा करनेवालों को आड़े हाथों लिया है। औरंगाबाद के नबीनगर प्रखंड में माली थाना के औसान गांव में यज्ञ करा रहे यज्ञाचार्य ने कहा कि रामचरितमानस पर उंगली उठानेवाले होशियार हो जाएं। तुम

एक अंगुली उठा रहे हो तो तुम पर तीन अंगुलियां उठ रही है। तुम्हे रामचरितमानस के र अक्षर का भी ज्ञान नही है। तुम अज्ञानता के कारण राजनीतिक लाभ के लिए विवाद उठा रहे हो। आप शुद्र के नाम पर क्षुद्र राजनीति कर रहे हो। इस तरह का विवाद खड़ा करने से लाभ नही सिर्फ हानि होगी। कहा कि रामचरितमानस में जाति का नही विचारों का वर्णन है। यदि जाति का वर्णन होता तो प्रभु श्रीराम शबरी के यहां जाते क्या? जटायु को गोद में लेकर विलाप करते क्या? केवट से पैर छुआते क्या? उन्होने कहा कि जिस चौपाई-“ढ़ोल गंवार शुद्र पशु नारी, ये सब ताड़न के अधिकारी” पर सर्वाधिक विवाद खड़ा किया जा रहा है, उसे सही अर्थ में समझने की जरूरत है। एक शब्द के अनेक अर्थ होते है लेकिन सारे अनेकार्थ सही अर्थ नही होते। सिर्फ एक अर्थ सही होता है। उसी सही अर्थ को सही रूप में समझने की जरूरत है। ताड़न का अर्थ सिर्फ मारना या पीटना ही नही होता है बल्कि इसका अर्थ निगरानी करना भी होता है। रामचरितमानस में ताड़ना से तुलसीदास का भाव निगरानी रखने से ही है। इस चौपाई में कही गई बात का जाति से कोई मतलब नही है। मतलब सिर्फ निगरानी रखने के भाव से है और निगरानी रखने की बात करना किसी भी दृष्टिकोण से गलत नही है। उन्होने कहा कि रामचरितमानस में तो आनेवाले भविष्य तक की चर्चा है। तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में पहले ही कह दिया था कि कलिकाल में कीटाणु वाली बीमारी आएंगी जिससे पूरी दुनिया में भारी संख्या में लोग काल के गाल में समाएंगे। उनकी यह बात सच निकली। वैश्विक महामारी कोरोना  आई और लोग काल कवलित हुए। मानस पर विवाद खड़ा करनेवाले इसकी सत्यता को नही  देख रहे है, जबकि उन्हे मानस की सत्यता को भी देखना चाहिएं।

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