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मुखिया एवं उनके परिजनों के चल – अचल सम्पत्ति की जांच का मामला पहुंचा पटना उच्च न्यायालय, बौखलाया मुखिया गुस्सा में अपनाया आपराधिक गतिविधियां तथा करते जा रहा है एससी-एसटी एक्ट का झुठा मुकदमा

औरंगाबाद खबर सुप्रभात समाचार सेवा

औरंगाबाद जिले के कुटुम्बा प्रखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत परता के मुखिया श्याम बिहारी राय उर्फ श्याम बिहारी पासवान तथा उनके परिजनों का चल अंचल सम्पत्ति 1990 के बाद से अचानक कैसे बढ़ गया इसकी जांच करने के लिए परता निवासी आलोक कुमार ने पटना उच्च न्यायालय में परिवाद पत्र दाखिल किया है। आलोक ने कहा है कि 1990 के पहले मुखिया एवं उनके परिजनों का चल – अचल संपत्ति o ( जीरो) था। लेकिन 1990 के बाद मुखिया एवं उनके परिजनों को अचानक चल – अचल संपत्ति का काफी इजाफा हुआ है। औरंगाबाद जिले के भिन्न-भिन्न मौजे में करोड़ों का भूमि अर्जित किया तथा करोड़ों रुपए का अपार्टनुमा मकान बनाया। सरकार को कितना टैक्स दिया या सरकारी राजस्व को चुना लगाया यह भी गंभीर जांच का विषय है। आर ने आगे कहा कि मुखिया को सरकार द्वारा कितना वेतन एवं भत्ता मिलता है कि वह प्रतिदिन अपना शान शौकत के लिए हजारों रुपए खर्च कर रहा है तथा फोर व्हीलर मेंटेंन कर रहा है। फोर व्हीलर के चालक को तनख्वाह एवं भत्ता किस मद्द से दे रहा है यह भी गंभीर जांच का विषय है। आलोक ने आगे बताया कि मुखिया एवं उनके परिजनों का चल अचल सम्पत्ति को जांच कराने के लिए जिलाधिकारी एवं अन्य जांच एजेंसियों को भी पत्र लिखकर अनुरोध किया था। लेकिन दुर्भाग्यवश जिलाधिकारी एवं अन्य जांच एजेंसियों द्वारा जांच में लापरवाही तथा जांच के नाम पर लीपापोती करने का आशंका के बाद पटना उच्च न्यायालय में परिवाद पत्र दाखिल किया है। उन्होंने आगे कहा कि मुखिया द्वारा पंचायत चुनाव में संपत्ति मामले से संबंधित शपथ पत्र का छाया प्रति प्रखंड निर्वाचन पदाधिकारी सह प्रखंड विकास पदाधिकारी कुटुम्बा से सूचना अधिकार कानून के तहत मांग किया गया था। लेकिन प्रखंड निर्वाचन पदाधिकारी सह प्रखंड विकास पदाधिकारी द्वारा अभी तक जानकारी उपलब्ध नहीं कराया गया है जिससे कई आशंका को जन्म देता है। बताते चलें कि मुखिया द्वारा पंचायत में कराए गए फर्जी ग्राम सभा एवं योजनाओं में लूट तथा मनमानी के विरुद्ध तथा मुखिया के पुत्र वधू अनिता कुमारी का फर्जी प्रमाण पत्र पर शिक्षक नियोजन का मामला भी पटना उच्च न्यायालय में पीएलआई के माध्यम से पहुंचा है। फल स्वरूप मुखिया व मुखिया पुत्र अपना मानसिक संतुलन खो चुका है। और बौखलाहट में आपराधिक रास्ता अख्तियार कर लिया है और एससी-एसटी एक्ट का दुरपयोग कर फर्जी मुकदमा भी दायर करने का खेला प्रारंभ कर दिया है। इसके लिए वह अपने पालतू गुर्गों को भी इस्तेमाल कर रहा है तथा अगड़ा पिछड़ा का और दलित का माहौल बनाकर जातिय संघर्ष करना चाहता है जिससे कभी भी शांतिपूर्ण वातावरण एवं सामाजिक शौहार्द को बिगाड़कर अपना उल्लू सीधा कर सकता है।