औरंगाबाद खबर सुप्रभात
भारत सरकार के इशारे पर नाचने वाली (राष्ट्रीय जांच आयोग) एनआईए टीम को बहुत-बहुत धन्यवाद। बधाई। आप दूसरी/तीसरी/चौथी बार भी पधारिये। जब इच्छा हो तब पधारिये। निहत्थे ग्रामीणों को डराइये। धमकाईये। विजय आर्या के नाम पर मेरे परिजनों को टाॅचर कीजिए। इसके लिये आपको पुनः बार-बार बधाई।
आज हम गौरवान्वित हैं एनआईए की इस कार्रवाई से।
भारत सरकार अपने वैचारिक विरोधियों को इडी/आईबी/एनआईए/सीबीआई/आईटी से ना डराये तो फिर करेगी क्या? आज यकीन हो गया है कि मैं भी जनता की जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वहन कर रहा हूं।
सामंतवाद विरोधी आंदोलन के अगुवा दस्ता में शामिल विजय कुमार आर्य मेरे श्वसुर हैं। इससे मुझे इंकार नहीं। लेकिन उनसे (विजय कुमार आर्य) वैचारिक मतभेद रखते हैं। मेरी पत्नी शोभा कुमारी औरंगाबाद से जिला परिषद् सदस्य हैं। मैं खुद दो बार बिहार विधानसभा चुनाव लड़ चुका हूं। आगे भी विधानसभा चुनाव लड़नेे तैयारी है। लोकतंत्र और संवैधानिक मूल्यों पर भरोसा रखते हुए सदा भ्रष्ट नेता-अपराधी-अधिकारी गठजोर का विरोधी रहा हूं। इस जुर्म में अबतक झूठे आठ मुकदमे झेल रहा हूं।
आजादी के बाद दूसरी बार मेरे पैतृक निवास स्थान औरंगाबाद जिले के उपहारा थाना क्षेत्र स्थित महेश परासी गांव में छापेमारी से आश्चर्यचकित हूं। एनआईए टीम को मेरा परिवार पूरी तरह सहयोग कर रहा था। बावजूद इसके डकैत की तरह पेश आई एनआईए टीम। घर में रखे सारे बक्से तो तोड़ दी। आखिर बक्सा ने क्या गुनाह किया था? इसकी भरपाई कौन करेगा? टूटे बक्से को बनाने कहां जाऊंगा? घर देखने से प्रतीत हो रहा है कि मेरे मकान में डकैती हुई है। बिखरे सामान इसकी गवाही दे रहे हैं।एनआईए की इस कार्रवाई के खिलाफ कोर्ट जाऊंगा।
बुकर पुरस्कार से सम्मानित अरुंधति राय समेत देश और दुनिया के कई बड़े बौद्धिक साहित्यकारों व पत्रकारों द्वारा लिखित किताबों को उठा ले गई एनआईए टीम। क्या भारत सरकार से पूछकर कोई साहित्य और किताब पढूंगा? आश्चर्य है कि इस देश में किताब लिखने वाला लेखक दोषी नहीं। प्रकाशक दोषी नहीं। लेकिन पढ़ने वाला गुनाहगार! क्या बाजार में बिक रही किताबों को खरीदकर पढ़ना गुनाह हो गया है भारत में? ऐसा वैचारिक दिवालियापन क्यों?
बता दूं कि जिस विजय कुमार आर्य के बहाने एनआईए टीम मेरी छवि खराब करना चाहती है। उनका दामाद मेैं वर्ष 2005 से हूं। वर्ष 2011 में एक मई को उनकी गिरफ्तारी कटिहार जिले के बारसोई से हुई थी। तब से लगातार आठ वर्षों तक उनको देश के विभिन्न जेलों में रखा गया। कोर्ट से बाइज्जत बरी हुए। तब विजय आर्य और उनके परिजन एनआईए के राडार पर नहीं रहे। एक झूठे मुकदमे में विजय आर्य को इसी वर्ष मई महीने में भारत सरकार की आईबी/एनआईए की टीम रोहतास से गिरफ्तारी का नाटक की। फिलहाल वह आदर्श केंद्रीय कारा, बेऊर जेल में कैद हैं। तभी से एनआईए के राडार पर हूं।
साथियों! करीब 40 वर्षों के राजनीतिक जीवन में कभी विजय आर्य पर अवैध संपत्ति रखने का दाग नहीं लगा। ना तो जातिवादी होने का आरोप लगा और ना ही साम्प्रदायिक होने का। सामंतवाद विरोधी आंदोलन के अगुवा दस्तों में शुमार विजय आर्य अवैध हथियारों के साथ कभी गिरफ्तार नहीं हुए। फिर भी भारत सरकार द्वारा छापेमारी के नाम पर टाॅर्चर क्यों?
क्या इस देश में सिर्फ भाजपा का उग्र हिंदुत्वादी सियासत चलेगा? क्या मुझे राजनीति करने का हक नहीं है? लोकतंत्र है साहब! जनता सबकुछ देख रही है। बिहार नया पैगाम गढ़ेगा। जब-जब देश खतरे में हुआ। बिहार रौशनी दिखाया है। आपकी गीदड़ भभकी से डरने वाला नहीं हूं। जितना तंग करोगे। तप कर निकलूंगा।
अंत में जानकारी के लिये बता दूं कि बिहार में डीजीपी रहे आदरणीय श्री गुप्तेश्वर पांडेय ने रांची के एक सेमिनार में बोला था-# शोषण से जन्मा नक्सलवाद, दमन से बढ़ेगा।# इस बयान पर काफी बवाल हुआ था। याद रखना छद्म राष्ट्रवादियों!
जितना मजबूर करोगे, उतना मजबूत बनूंगा।
धन्यवाद।
great article
great article