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पर उपदेश कुशल बहुतेरे का राजनीति से देश का भला कतई नहीं होगा , प्रधानमंत्री के भाषण पर होना चाहिए राष्ट्रीय बहस

आलोक कुमार , संपादक , खबर सुप्रभात के कलम से।

पिछले दिनों देवघर यात्रा पर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी ने एक सार्वजनिक मंच से भाषण के दौरान कहे कि आज देश मे मुफ्त वाली राजनीति चल रहा है जो देश और लोकतंत्र के लिए खतरा है और राज्य का लकुटिया डुब जायेगा। प्रधानमंत्री को यह कहना बिल्कुल सही और चिंतनीय विषय है। इस पर एकसाथ पुरे देश में राष्ट्रीय बहस इमानदारी से होना चाहिए। प्रधानमंत्री को इसके लिए आगे आना चाहिए और इमानदारी से पहल भी करना चाहिए। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या प्रधानमंत्री इसके लिए कभी भी पहल कर पायेंगे या सिर्फ और सिर्फ सार्वजनिक मंचों से लोकलुभावन और सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए भाषण करते रहेंगे और आम लोगों को छलते रहेंगे?

मुफ्त वाली राजनीति यदि देश और राज्य का लकुटिया डुबा देगा तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी को यह एहसास कब से और कैसे एहसास होने लगा यह भी स्पष्ट होना चाहिए। बताते चलें कि केन्द्र सरकार के मुखिया अथार्त प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी ने भी मुफ्त वाली राजनीति के दौर में किसी से पीछे नहीं हैं और मुफ्त वाली राजनीति को इन्होंने भी काफी बल दिये हैं और कई वैसे मुफ्त वाली केन्द्रीय योजना है जो खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी द्वारा चलाया गया है जैसे पीएम अन्न योजना , आयुष्मान भारत , उज्जवला योजना , सुकन्या योजना आदि दर्जनों योजना जो मुफ्त वाली राजनीति है इसके अलावे भाजपा अथवा एनडीए सरकार वाले राज्यों में भी धड़ल्ले से मुफ्त वाली राजनीति चल रही है और इससे राज्य का लकुटिया डूबने के कगार पर पहुंच चुकी है। उत्तर प्रदेश आज 07 लाख करोड़ , मध्य प्रदेश 02लाख करोड़, गुजरात 03 लाख करोड़ , तामील नाडू 06लाख 60 करोड़ रुपए का कर्ज में चल रहा है और इसका मूल कारण मुफ्त वाली राजनीति है। उसके बाद यदि प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी केवल भाषण देकर गुमराह करने वाली राजनीति करेंगे तो क्या इससे कभी देश और लोकतंत्र का भला हो सकेगा? जहां तक लोकतंत्र को स्वस्थ और मजबूत रखने का सवाल है तो लोकतंत्र भी केवल भाषण और लोकलुभावन घोषणा और नारों से न तो स्वस्थ रह सकता है और नहीं मजबूत बनाया जा सकता है। इसके लिए सभी दलों और राजनेताओं को इमानदारी से स्वार्थ से ऊपर उठकर काम करने की आवश्यकता है। ध्यान आकृष्ट कराते चलें कि गोवा में कांग्रेस के विधायक को तोड़ने और खरीदने का आरोप , महाराष्ट्र में शिवसेना के सरकार गिराना और विधायकों को खरीद कर सरकार बनाने , मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार को गिराना और विधायकों को खरीद कर सरकार बनाने का आरोप भाजपा पर लग रहा है इसके लिए भी प्रधानमंत्री को विचार करना चाहिए और तब दुसरो को उपदेश देना चाहिए नहीं तो पर उपदेश कुशल बहुतेरे वाली चरितार्थ उजागर करने से प्रधानमंत्री को कुछ हासिल होगा या नहीं यह तो भविष्य के गर्व में है।

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