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देश में जब फेंक न्यूज, पेड़ न्यूज और चाटुकारिता करने वाले पत्रकारों का बाढ़ हो तो समझिए अब देश बचाना एक गंभीर चुनौती हम सभी को है , बिहार के औरंगाबाद में भी फेंक न्यूज और जिलाधिकारी के मनमानी का जांच तथा मिडिया में बहस होगा?

आलोक कुमार संपादक सह निदेशक खबर सुप्रभात

आज मैं काफी शर्मिंदा हूं और दारुण कष्टों के साथ लिखने के लिए मजबूर हो रहा हुं। चुके भारत जैसे विशाल लोकतांत्रिक देश के चतुर्थ खंभा (पत्रकारिता) के नाम पर फेंक न्यूज, पेड़ न्यूज और चाटुकारिता करने वाले पत्रकारों का भरमार है। पत्रकारिता धर्म सिर्फ सुनने और पढ़ने भर रह गया है। फेंक न्यूज, पेड़ न्यूज और चाटुकारिता वाले पत्रकारिता के दरिया

में सोशल मीडिया से लेकर न्यूज चैनलों यहां तक कि प्रिंट मीडिया से भी आने वाले लोग गोता लगा रहे हैं फलस्वरूप आज लोकतंत्र और पत्रकारिता का पवित्रता और अस्तित्व पर काले धुंध मंडराना स्वाभाविक है। लोकतांत्रिक और पत्रकारिता पर मंडराते खतरों से देश को उबारने के लिए जितना जिम्मेवारी हम सभी लोगों पर है उतना ही जिम्मेवारी बनता है कि आखिर इसके लिए दोषी सिर्फ़ सोशल मीडिया, न्यूज चैनलों और प्रिंट मीडिया से जुड़े लोग ही हैं या फिर देश के सरकार से लेकर सभी राजनैतिक दलों से जुड़े लोग और देश के नौकर शाह बाबू लोग भी हैं। 11मार्च (शनिवार) को एक बड़े न्यूज चैनल न्यूज 24पर सबसे बड़ा सवाल में बहस सुन रहा था कि तामिल नाडु में बिहारी मजदूरों के साथ मारपीट और अपमानित करने का फेंक न्यूज के माध्यम से देश को गुमराह किया जा रहा है तथा देश में सौहार्द और अमन चैन को भंग करने का प्रयास किया जा रहा है। यदि ऐसा प्रयास किया गया है तो निश्चित ही चिंता का विषय है और होना भी चाहिए। लेकिन अब सवाल यह है कि आखिर इसके लिए जिम्मेवार सिर्फ सोशल मीडिया, न्यूज चैनलों और प्रिंट मीडिया से जुड़े लोग ही हैं या फिर देश के भिन्न भिन्न राजनैतिक दलों और सरकार तथा मुख्य विपक्षी पार्टी के अलावे देश के नौकर शाह भी जिम्मेवार है? आज अत्याधिक धन अर्जित करने के चाहत में अपने उद्देश्यों से भटक चुके पत्रकारों के विरुद्ध कठोरतम से कठोरतम सज़ा मिलनी चाहिए और इसके लिए सभी को एक साथ आगे आने की आवश्यकता है। लेकिन जब राजनैतिक दलों और विपक्षी दलों तथा सरकारी मुलाजिम का भी तमिलनाडु मामले में भिन्न भिन्न तरह का ब्यान आ रहा है तो फिर इसके लिए जिम्मेवार एक भी लोगों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज मैं समझता हूं कि नहीं हुआ है आखिर क्यों इस पर भी बड़ा न्यूज चैनल न्यूज 24 में सबसे बड़ा सवाल में होना चाहिए। एक सवाल यह भी उठता है कि आज देश के नौकर शाह लोग भी न्यूज चैनलों, सोशल मीडिया तथा प्रिंट मीडिया को विकास का फर्जी आंकड़े उपलब्ध करा रहे हों और अत्यधिक धन कमाने के चाहत में बड़े पत्रकार होने का दावा करने वाले लोगों द्वारा जब फर्जी आंकड़ों का प्रचार प्रसार करने और उसे प्रकाशित व प्रसारित कर रहे हों तो इसके लिए जिम्मेवार तथा कथित पत्रकारों और फर्जी आंकड़े उपलब्ध कराने वाले अधिकारियों पर क्या कार्रवाई होना चाहिए यह भी मिडिया में बहस होना चाहिए। चुके मेरा मानना है कि फर्जी आंकड़े उपलब्ध कराने और उसे बगैर सोचे समझे और पड़ताल किए प्रकाशित एवं प्रसारित करना भी फेंक न्यूज के ही श्रेणी में आता है। मैं इसके लिए विशेष जगहों का दावा नहीं कर सकता लेकिन बिहार राज्य के औरंगाबाद जिले में दावा जरुर करुंगा कि जिले में सरकारी योजनाएं जो विकास के लिए प्रारंभ हुआ और इसके लिए सरकार द्वारा जिला में बोरा से पैसा भेजा जा रहा है लेकिन पैसा और योजनाएं भ्रष्टाचार का भेंट चढ़ा हुआ है और जिलाधिकारी सौरभ जोरवाल द्वारा जांच के नाम पर खानापूर्ति और भ्रष्टाचारियों को बचाने का कार्य किया जा रहा है तथा कुछ चुनिंदा तथा कथित पत्रकारों के माध्यम से विकास और उपलब्धि होने का खबर प्रकाशित और प्रसारित कराया जा रहा है और जो पत्रकार द्वारा भ्रष्टाचार और झुठे आंकड़ा का पर्दाफाश करते हुए जमीनी हकीकत को उजागर करने का कार्य कर रहे हैं तो जिलाधिकारी सौरभ जोरवाल द्वारा अपने न्यूज ग्रुप से हटाकर एक तानाशाह और मनमानी करने का घृणित कार्य किया जाता है । क्या ऐसे जिलाधिकारी भी जो अपना पद का दुरपयोग करते हुए अपना सिक्का चलाना चाहते हैं तो क्या यह लोकतंत्र और देश तथा समाज के लिए खतरा नहीं हैं ? क्या इसके लिए मिडिया में बहस नहीं होना चाहिए?,

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  1. Lorsque vous avez des doutes sur les activités de vos enfants ou sur la sécurité de leurs parents, vous pouvez pirater leurs téléphones Android à partir de votre ordinateur ou appareil mobile pour assurer leur sécurité. Personne ne peut surveiller 24 heures sur 24, mais il existe un logiciel d’espionnage professionnel qui peut secrètement surveiller les activités des téléphones Android sans les en informer.

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