तजा खबर

सावित्री बाई फुले के जयंती पर नमन: डाक्टर शारद शर्मा

अम्बुज कुमार खबर सुप्रभात समाचार सेवा

देश के प्रथम महिला शिक्षिका एवम समाज सुधारक माता सावित्री बाई फुले जी कि जयंती पर कोटिश नमन और देश वासियों को हार्दिक अभिनंदन करते हुए मनवाधिकार फाउन्डेशन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ0शारदा शर्मा ने बताया कि बिपरित परिस्थिति में माता सावित्री बाई फुले ने महिलाओं के लिए शिक्षा का अलख जगाई थी। नदी के धार कि ओर तो स्वतः तिनका भी बहता हुआ चला

जाता हैं लेकिन उसके विपरित चलना ही सबसे कठिन कार्य होता है। आज परिस्थिति के अनुकुल रहने के वावजुद भी गरीब बच्चों को सही शिक्षा नहीं मील पा रहा है क्योंकि आज कि शिक्षा वैश्वीकरण हो गया है।जिसके पास जितनी अधिक पैसा होगा उनको उतने अच्छी शिक्षा प्राप्त होगा।
माता सावित्री बाई फुले जी की जन्म 3 जनवरी 1831 में एक साधारण परिवार में हुआ था तथा शिक्षा के अभाव के कारण बाल विवाह से उत्प्रेरित होकर 1941 में एक तेरह वर्ष के लड़के ज्योति राव फुले के साथ कर दी गई थी। ज्योति राव फुले ने अपनी पत्नी सावित्री बाई फुले जी को अपने खेत के पास एक पेड़ के निचे ज़मीन पर अंगुली या लकड़ी के तिनके से लिख कर अक्षर ज्ञान सिखाने का कार्य शुरू किया था क्योंकि उनके पास उस समय न तो कॉपी कलम या सिलेट पेंसिल तथा शिलापट भी नहीं था। ज्योति राव फुले जी के पिता जी अंधविश्वास एवं ब्राह्मण वाद से उत्प्रेरित थे, बीना पूछे कोई भी कार्य नहीं किया करते थे जिसके कारण ज्योति राव फुले एवम उनकी पत्नी सावित्री बाई फुले जी को पढ़ने लिखने पर पाबंदी लगाई गई लेकिन उन्होंने अपनी पढ़ाई नहीं रोकी तो सन 1839 में उनके पिता ने दोनों बेटा पतोहु को घर से निकाल दिया था। जब दोनों दमपति इधर उधर भटक रहे थे तो एक महान् महिला फतीमा शेख़ कि नज़र उन दोनों पर पड़ी और अपने घरों में पनाह दी। महामना ज्योति राव फुले ने अपनी पत्नी को शिक्षित करते हुए समाज के कुष्ठो को मिटाने के लिए उत्प्रेरित किया था। माता सावित्री बाई फुले जी ने महिलाओं को शिक्षित करने और अपने अधिकार दिलाने के लिए 1848 में पहली विद्यालय खोली थी और लगातार संघर्ष करते हुए तीन तीन विद्यालय का संचालन करते हुए तथा समाज को सुधारते हुए 1897 में 66 वर्ष कि आयु में अपने शरीर को छोड़ कर मुक्त हो गई। आगे डॉ0शारदा शर्मा ने कहा कि ऐसे महान आत्मा के लिए देश के सभी विद्यालयों में कार्यक्रम आयोजित कर इनके जिवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए संदेश देने का कार्य भारत सरकार को करना चाहिए ताकि जनमानस में एक अच्छा संदेश जाएं।

1 thought on “सावित्री बाई फुले के जयंती पर नमन: डाक्टर शारद शर्मा”

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *