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अपने ही जिला में उपेक्षित है शहीद जगतपति कुमार का स्मारक, पुस्तैनी हवेली भी खंडहर में तब्दील होकर अपने दुर्दशा पर बहा रहा है आंशु , नीज चौकीदार के भरोसे बच रहा है हवेली का अवशेष, कुंठित और नपाक राजनीति का शिकार हो रहे हैं शहीद।

औरंगाबाद जिले के शहीद जगतपति कुमार का पैतृक गांव ओबरा प्रखंड के खंराटी में बने शहीद जगतपति कुमार का स्मारक आज सरकारी उपेक्षा का दंश झेल रहा है। स्मारक परिसर पर पहुंचते ही उपेक्षा का साफ गवाही देखने को मिल रहा है। रखरखाव और साफ सफाई के लिए सरकार के तरफ से कोई इंतजाम नहीं किया गया है। पटना औरंगाबाद मुख्य पथ एन एच139 तथा बंटाने नदी के किनारे बने शहीद जगतपति कुमार का स्मारक औरंगाबाद जिलावासियों को तथा इस पथ से गुजरने वाले हरेक यात्रीयों को सचे देश भक्ति का प्रेरणा तो दे ही रहा है साथ ही साथ 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन का इतिहास भी ताजा कर रहा है। फिर भी स्मारक परिसर उपेक्षा का दंश झेल रहा है यह शासन प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों का दोहरा चरित्र का उजागर कर रहा है तथा यह शाबीत कर रहा है कि शहीद जगतपति कुमार अपने ही जिला में उपेक्षित हैं तथा स्वार्थ और गंदे राजनीति का शिकार हो रहे हैं। शहीद जगतपति कुमार का पुस्तैनी हवेली आज खंडहरनुमा बनकर रह गया है।

शहीद के पुस्तैनी हवेली और स्मारक परिसर का नीज चौकीदार सुनील लाल खत्री खबर सुप्रभात से एक मुलाकात के दौरान बताते हैं कि सरकार और जिला प्रशासन द्वारा उपेक्षित स्मारक परिसर तथा पुस्तैनी हवेली को मैं किसी तरह से बचाने का प्रयास कर रहा हूं। इन्होंने कहा कि शहीद के परीजन एक जमींदार परिवार से आते हैं और आज इनके परीजन दिल्ली पटना में रहते हैं तथा बड़े ओहदे पर है वे लोग के आदेशानुसार मैं शहीद जगतपति कुमार का स्मारक और हवेली के अवशेषों का बचाकर रखा हूं। ग्रामीणों को मानना है कि शहीद का सम्मान सीर्फ 15अगस्त और 26 जनवरी को झंडोत्तोलन कर रश्म अदायगी किया जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि हमारे लिए गर्व है कि हमारे जन्म भूमि से एक सपुत देश के लिए शहीद हुए हैं। लेकिन सरकारी और प्रशासनिक उपेक्षा तथा स्थानीय जनप्रतिनिधियों के द्वारा नजर अंदाज करने से हम लोग दुखी हैं।

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