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औरंगाबाद के सांसद ने लिखा जिलाधिकारी को पत्र, शहर में नागरिक सुविधा के लिए कराया ध्यानाकृष्ट

अम्बुज कुमार खबर सुप्रभात समाचार सेवा

औरंगाबाद सांसद सुशील कुमार सिंह ने जिला पदाधिकारी को औरंगाबाद शहर में खेल मैदान एवं जन सुविधाओं के संबंध में पत्र के माध्यम से ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि शहर में सार्वजनिक एवं सरकारी कार्यक्रमों को सम्पन्न करने जन सुविधाओं की बहाली एवं बढ़ोतरी तथा युवाओं के लिए

खेल मैदान एवं वरिष्ठ नागरिकों के लिए सुबह-शाम टहलने के लिए स्थान का घोर अभाव है।शहर की जनसंख्या में निरंतर वृद्धि के बावजूद इन विभिन्न नागरिक सुविधाओं और सरकारी गैर सरकारी सामाजिक समारोहों के लिए उपयुक्त स्थल की व्यवस्था नहीं की गई है। जिससे शहर वासी कठिनाई और अभाव झेलने को मजबूर है।वहीं एक तरफ जहां ऐसे ही स्थलों का अभाव झेलने को आम जन मजबूर है ऊपर से सार्वजनिक, सरकारी एवं शिक्षण संस्थानों की जमीन का उपयोग सरकारी कार्यालयों के निर्माण या किसी अन्य कार्य में किया जा रहा है।उदाहरण के रूप में बताना चाहूँगा कि अभी ऐसी जानकारी विभिन्न श्रोतों सेमिली है कि अनुग्रह इंटर कॉलेज की जमीन जो इंडोर स्टेडियम के बगल में कर्मा मोड़ पर है।वहाँ शिक्षा विभाग का कार्यालय बनाने का प्रस्ताव है।इस भूखंड पर हमेशा कबड्डी वॉलीबॉल,कुश्ती जैसे खेलों का आयोजन होता है एवं युवा वर्ग अन्य आयोजन इसी जमीन पर करते है।अनुग्रह इंटर कॉलेज का पूर्व छात्र,औरंगाबाद का नगर वासी और सांसद होने के नाते मैं इसका विरोध करता हूँ।इसी प्रकार से औरंगाबाद के एकमात्र सरकारी मैदान गांधी मैदान में भी भवन आदि बनाकर इसके आकार को छोटा कर दिया गया जो उचित नहीं है।क्योंकि इसी एकमात्र मैदान में स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस जैसे राष्ट्रीय समारोह एवं छोटी बड़ी आम सभाएं होती है।नागरिक सुविधाओं के हनन के लिए, लिए गए ऐसे किसी निर्णय में सांसद के रूप में मुझसे कभी कोई विमर्श नहीं किया गया और ना ही किसी प्रकार की जानकारी ही देना मुनासिब समझा गया जबकि हम सब एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के नागरिक हैं जहां लोकतांत्रिक पद्धति का पालन अनिवार्य है।मैं चाहूँगा कि शहर के किसी महाविद्यालय,विद्यालय की जमीन या सरकारी जमीन का उपयोग किसी भी तरह का स्थायी निर्माण करने से पूर्व स्थानीय जनप्रतिनिधियों यथा सांसद, विधायक,विधान पार्षद,अध्यक्ष, उपाध्यक्ष,नगर परिषद एवं नगर पार्षदों से निश्चित रूप से विमर्श किया जाना चाहिए।तत्पश्चात ही कोई निर्णय करना श्रेयस्कर होगा।लोकतांत्रिक प्रक्रिया के पालन की अपेक्षा है।

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