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औरंगाबाद में मुख्यमंत्री का समाधान यात्रा और महागठबंधन के घटक दलों में असंतोष, कुछ मिडिया में चल रहे खबर और जिला प्रशासन द्वारा अफवाह फैलाने का प्रयास करार दिया जाना आखिर सच क्या है? अनावरण नहीं कर सके मुख्यमंत्री शंकर दयाल बाबू के स्मारक का, टुकुर टुकुर ताकते रह गए अनुवायी

आलोक कुमार संपादक सह निदेशक खबर सुप्रभात

औरंगाबाद जिले में 13फरवरी को मुख्यमंत्री का समाधान यात्रा और समीक्षा बैठक संपन्न हुआ। मुख्यमंत्री एयर मार्ग से समाधान यात्रा और समाहरणालय में जिला प्रशासन के साथ समीक्षा बैठक करने पहुंचे। जिला प्रशासन द्वारा सुरक्षा के चाक चौबंद ब्यवस्था किया गया था यहां तक कि चुन चुनकर

मिडिया कर्मियों को पास बनाया गया कि मुख्यमंत्री के समक्ष वैसे मिडिया कर्मियों को जाने दिया जाए जो मुख्यमंत्री के से जिले में सरकारी योजनाओं में मचे लूट और जांच के नाम पर लीपापोती तथा फर्जी विकास के दावे का पोल न खोल सके। लेकिन चाक चौबंद सुरक्षा ब्यवस्था के बावजूद कुछ मिडिया में प्रकाशित व प्रसारित खबर की मुख्यमंत्री पर कंचनपुर में

कुर्सी फेंका गया इस बीच जिला प्रशासन द्वारा यह सफाई देना कि कुछ मिडिया द्वारा अफवाह फैलाया जा रहा है। आखिर सच्चाई क्या है यह तो आने वाला वक्त बतायेगा कि जिला प्रशासन द्वारा दिया गया सफाई सच है या फिर कुछ मिडिया द्वारा कुर्सी फेंकने का खबर सच है इसकी सच्चाई जानने का सभी जिला व प्रदेश वासियों का मौलिक अधिकार और हक है। अब देखना यह है कि सरकार व जिला प्रशासन किसी स्वतंत्र जांच एजेंसी से जांच कराकर जिला वासियों तथा प्रदेश वासियों को मौलिक अधिकारों का हिफाजत करने के दिशा में कारगर कदम उठाने का साहस करेगा या फिर इसे रफा दफा कर दिया जाएगा यह भी एक यक्ष प्रश्न बना हुआ है। जहां तक मुख्यमंत्री का समीक्षा बैठक और समाधान यात्रा का सवाल है तो महागठबंधन के घटक दलों के स्थानीय नेताओं में असंतोष व नाराजगी ब्याप्त है। महागठबंधन के घटक दल भाकपा (माले) के नेताओं तथा कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि समीक्षा बैठक के पूर्व मुख्यमंत्री को महागठबंधन के नेताओं तथा आम जनता से फीड बैक लेना चाहिए था और तब समीक्षा बैठक सफल और कारगर होता। महागठबंधन के घटक दल और सरकार के कैबिनेट में शामिल कांग्रेस के वरीय नेता व जिला कांग्रेस में बड़े दलित चेहरा डाक्टर अक्षय लाल पासवान ने तो यहां तक कहा कि जिला प्रशासन अपने चेहरे को चमकाने का सर्वाधिक कार्य किया है। भाकपा (माले)के जुझारू व लोकप्रिय नेता योगेंद्र राम ने यह बताया कि जिले में सरकारी योजनाओं में लूट मची हुई है तथा ब्यूरोक्रेट्स हावी है , उन्होंने कहा कि महागठबंधन के घटक दलों को नजरंदाज किया जा रहा है। वयोवृद्ध समाजिक कार्यकर्ता एवं पेशे से किसान बद्री बाबू का आरोप है कि मुख्यमंत्री का समीक्षा बैठक महज खानापूर्ति है और इससे कोई लाभ मिलने वाल नहीं है। समाजिक कार्यकर्ता नागेन्द्र सिंह, अनिरुद्ध सिंह कांग्रेस के जिला उपाध्यक्ष समेत कई समाजिक एवं राजनैतिक हस्तियां ने भी जम कर भड़ास निकाला। समाहरणालय में मुख्यमंत्री का समीक्षा बैठक चल रहा था और समाहरणालय के मुख्य प्रवेश द्वार पर हजारों का भीड मुख्यमंत्री से मिलने और अपनी पीड़ा सुनाने के लिए इंतजार में खड़े थे लेकिन मुख्यमंत्री एक मिनिट के लिए भी लोगों का फरियाद और दुःख तकलीफ सुनना मुनासिब नहीं समझे। जिला मुख्यालय में डा०शंकर दयाल बाबू (पूर्व सांसद व साहित्यकार)का आदम कद प्रतिमा का अनावरण हेतु प्रतिमा स्थल को दुलहन के तरह सजाया गया था और हजारों अनुवाई मुख्यमंत्री द्वारा अनावरण करने का इंतजार में फूल माला लेकर खड़े थे लेकिन मुख्यमंत्री का काफिला सामने से गुजर गया लेकिन मुख्यमंत्री द्वारा अनावरण करना तो दूर सड़क किनारे खड़े हजारों लोगों को नजरंदाज करते हुए निकल गया यहां तक कि मुख्यमंत्री अभिवादन भी लगता है स्विकार करना मुनासिब नहीं समझे और अंततः मुख्यमंत्री के इंतजार में खड़े हजारों लोगों के आशा पर पानी फिर गया।

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