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_इरोड वेंकट रामासामी पेरियार :दक्षिण पूर्व एशिया के सुकरात !

गाजियाबाद से निर्मल शर्मा का आलेख

_पश्चिमी तमिलनाडु के इरोड में एक सम्पन्न, परम्परावादी हिन्दू परिवार में 17 सितम्बर, 1879 में जन्में इरोड वेंकट नायकर रामासामी भारत के बीसवीं सदी के सबसे महानतम् क्रांतिकारी राजनेता, समाज सुधारक,समाज सुधार आन्दोलन के प्रखर प्रवक्ता,अज्ञानता, अंधविश्वास,धार्मिक कूपमण्डूकता,पाखंड और बेकार के रीति-रिवाजों के अद्वितीय योद्धा थे। वे कम्युनिस्ट से लेकर दलित आंदोल नम्रन,उसकी विचारधारा,तर्कवादियों और नारीवाद की ओर झुकाव वाले सभी समाज सुधारक लोग उनके उद्दात्त और बेहद आमजन जनहितैषी विचारों का बेहद सम्मान करते हैं ! उनके विचारों का उद्धरण के तौर पर हवाला देते हैं और उन्हें मार्गदर्शक के रूप में भी देखते हैं।_*                                          

             *_पेरियार साहब ने अपने मृत्यु पर्यंत अत्यंत पाखंडी,घोर जातिवादी और धार्मिक वैमनस्यता से युक्त विषाक्त हिंदू धर्म और ब्राह्मणवाद का जमकर विरोध किया ! वे अपने जीवन काल में तर्कवाद के सहारे आत्म सम्मान और महिला अधिकार जैसे मुद्दों को सुलझाने के लिए बहुत गंभीर प्रयास किए,उन्होंने भारतीय समाज की कोढ़ इसमें व्याप्त जाति प्रथा का घोर विरोध किया ! यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सर्वाधिक लब्धप्रतिष्ठित संस्था संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक,वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन या  United Nations Educational,Scientific and Cultural Organization,जिसे यूनेस्को या UNESCO कह देते हैं, उनके किए गए सद् कार्यों और जनकल्याणकारी कार्यों की महत्ता को स्वीकार करते हुए,उन्हें ‘नए युग का पैगम्बर, दक्षिण पूर्व एशिया का सुकरात,भारतीय समाज सुधार आन्दोलन के पिता,अज्ञानता,अंधविश्वास और बेकार के रीति-रिवाजों का दुश्मन या New Age Prophet, Socrates of Southeast Asia,Father of Indian Social Reform Movement,Enemy of Ignorance, Superstition and Useless Customs’ का सम्मानजनक उपाधियों से अलंकृत किया है !_*
              *_इस देश के लोगों,यहां के समाज और दुनिया भर के लब्धप्रतिष्ठित संस्थानों द्वारा इरोड वेंकट पेरियार को इतना सम्मान इसलिए मिला क्योंकि उन्होंने मानवता के लिए,समानता के लिए अपना जीवन न्यौछावर कर दिया,उन्होंने जातिवादी संकीर्णता और धार्मिक वैमनस्यता, पाखंड,अंधविश्वास आदि के खिलाफ भारतीय समाज में इतने व्यापक रूप से अलख जगाया कि भारतीय समाज में सर्वव्याप्त धार्मिक पाखंड रूपी इन अमानवीय व सामाजिक तथा मानसिक विकृतियों के घने अंधेरे कोहरे को उन्होंने बिल्कुल सफाई कर दिया !_*  
              *_धार्मिक ठेकेदारों द्वारा अपने स्वार्थ की खातिर संचालित धर्मों में पैदा किए गए  अंधविश्वास,पाखंड,छूआछूत,अश्यपृश्यता, जातिवाद और मानसिक विकृतियों को पेरियार साहब द्वारा भारतीय समाज को चैतन्य करने के लिए बहुत से लेख,वक्तव्य और पुस्तकें लिखीं गईं,उन सभी श्रोतों से उद्धृत कुछ प्रमुख सारतत्व निम्नलिखित है-_*
               *_‘नास्तिकता मनुष्य के लिए कोई सरल स्थिति नहीं है। ईश्वर की सत्ता स्वीकार करने के लिए किसी बुद्धिमत्ता की आवश्यकता ही नहीं पड़ती,लेकिन नास्तिकता के लिए बड़े साहस और दृढ़ विश्वास की जरूरत पड़ती है। यह स्थिति उन्हीं लोगों के लिए संभव हैं जिनके पास तर्क,दृढ़ संकल्प और बुद्धि की शक्ति हो । आप धार्मिक व्यक्ति से किसी भी तर्कसंगत विचार की उम्मीद ही नहीं कर सकते। वह पानी में लंबे समय से व्यर्थ में पत्थर मारे जा रहा है,जिसका कोई फल नहीं निकलने वाला ! मैंने सभी देवी- देवताओं की मूर्तियां तोड़ डालीं ! सभी की तस्वीरों को जला दिया ! मेरे ये सब करने के बाद भी मेरी सभाओं में मेरे भाषण सुनने के लिए यदि हजारों की संख्या में लोग आते हैं तो इसका मतलब है कि जनता जागृत हो रही है,उसे स्वाभिमान और बुद्धि का अनुभव हो रहा है ! ‘_*
               *_‘वेद,पुराण और अनेक शास्त्रों में वर्णित कल्पित देवी- देवताओं में मेरी कोई आस्था नहीं है,क्योंकि वे सारे के सारे दोषी हैं। मैं जनता से उन्हें जलाने और नष्ट करने की अपील करता हूं !पाखंडी हमें अंधविश्वास में निष्ठा रखने के लिए तैयार करता है,जबकि वह स्वयं आरामदायक जीवन जी रहा होता है। वह अछूत कहकर हम सभी की निंदा करता है। मैं आपको सावधान करता हूं कि उनका कभी भी विश्वास मत करो। जब सभी मनुष्य समान रूप से पैदा हुए हैं तो अकेले पाखंडियों को उच्च व अन्य सभी वर्गों को नीच कैसे ठहराया जा सकता है ? ‘_*
           *_‘आप अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई इन मंदिरों में क्यों लुटाते हो ? क्या आपने कभी देखा है कि कभी भी दुनिया को मूर्ख बनानेवाले ये पाखंडी इन मंदिरों,तालाबों या अन्य परोपकारी संस्थाओं के लिए एक रुपया भी दान किए हैं ? इसका जबाव है कभी नहीं,तो फिर आप लोग  ऐसी बेवकूफी का काम क्यों कर रहे हैं ? हकीकत यह है कि इस दुनिया में न कोई देवी हैं,न कोई देवता हैं ! जिन लोगों ने इनका अविष्कार किया है वे उच्च कोटि के धूर्त और ठग हैं। वे जो भगवान का प्रचार करते हैं,वे सभी समाज के छोटे हुए शातिर,धूर्त और बदमाश लोग हैं। इसके साथ ही वे लाखों-करोड़ों लोग जो इन धूर्तों से प्रभावित होकर भगवान की पूजा करने लगते हैं वे सभी निरा मूर्ख हैं ! ‘_*
               *_‘अगर देवता ही हमें निम्न जाति बनाने का मूल कारण है तो ऐसे देवता को नष्ट कर दो, अगर इसका कारण कोई धर्म है तो इसे मत मानों, अगर इस बात का समर्थन कथित धार्मिक पुस्तकें यथा मनुस्मति,गीता या अन्य कोई पुराण आदि करती हैं तो उन्हें जलाकर राख कर दो ! इसी प्रकार भारत में बहुत से मंदिर या त्यौहार हैं जो अंधविश्वास और पाखंड को बढ़ावा देते है तो इन सभी का बहिष्कार कर दो। यदि हमारी राजनीति ऐसा करती है तो उसका खुले रूप में पर्दाफाश करो ! मद्रास राज्य में  ‘द्रविड़ कड़गम आंदोलन ’का लक्ष्य है इस आर्य ,ब्राह्मणवादी और वर्ण व्यवस्था का अंत कर देना,जिसके कारण भारतीय समाज को ऊंच और नीच जातियों में बांटा गया है। यह आंदोलन उन सभी शास्त्रों, पुराणों और देवी-देवताओं में आस्था नहीं रखता, जो वर्ण तथा जाति व्यवस्था को यथावत बनाए रखना चाहते हैं ! ‘_*
               *_‘धूर्त पाखंडियों ने हमें शास्त्रों और पुराणों की सहायता से गुलाम बनाया है। उन्होंने अपनी आर्थिक व सामाजिक स्थिति को मजबूत करने के लिए मंदिर,ईश्वर और देवी-देवताओं की कल्पना और रचना की है ! हमारा देश सही मायनों में तभी आजाद समझा जाएगा,जब इस देश के ग्रामीण लोग देवी-देवता,धर्म-अधर्म, जाति और अंधविश्वास से छुटकारा पा जाएंगे ! आज के आधुनिक युग में दूसरे उन्नतिशील देशों के विदेशी लोग दूसरे ग्रहों पर अंतरिक्ष यान भेज रहे हैं,दूसरी तरफ हमारे देश में आज के आधुनिकतम् समय में भी ये पाखंडी और धूर्त लोग श्राद्धों में यहां करोड़ों मूर्ख भारतीयों को दशकों पूर्व मरे लेकिन परलोक में बसे उनके पूर्वजों को चावल और खीर भेजने का बेवकूफी भरा कुकृत्य रहे हैं। क्या यह किसी भी दृष्टिकोण से बुद्धिमानी का काम है ? ‘_*
              *_‘पाखंडी धूर्तों द्वारा रचित देवी-देवताओं को देखो,एक देवता हाथ में भाला,त्रिशूल उठाकर खड़ा है तो दूसरा धनुष बाण। अन्य दूसरे देवी-देवता कोई गुर्ज,खंजर और ढाल के साथ सुशोभित हैं। यह सब क्यों है ? यह किसको मारने के लिए है ? उन देवताओं को नष्ट कर दो जो तुम्हें शूद्र कहे,उन पुराणों और इतिहास को ध्वस्त कर दो,जो देवता को शक्ति प्रदान करते हैं ! उस देवता की पूजा करो जो वास्तव में दयालु ,भला और बौद्धगम्य है। संसार का अवलोकन करने पर पता चलता है कि भारत जैसे देश जितने धर्म और मत मतान्तर दुनिया में कहीं भी नहीं हैं। यही नहीं इतने धर्मांतरण या धर्म परिवर्तन दुनिया भर में दूसरी जगह कहीं भी नहीं हुए हैं। यह इसलिए कि निरक्षर और गुलाम प्रवृति के कारण भारतीयों का धार्मिक शोषण करना आसान है। ‘_*
            *_‘आर्यों ने हमारे ऊपर अपना धर्म थोपकर, असंगत, निर्थक और अविश्वनीय बातों में हमें फांसा। अब हमें इन्हें छोड़कर ऐसा धर्म ग्रहण कर लेना चाहिए जो मानवता की भलाई में सहायक सिद्ध हो। धूर्त पाखंडियों ने हमें शास्त्रों ओर पुराणों की सहायता से गुलाम बनाया है और अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए मंदिर, ईश्वर और देवी-देवताओं की रचना की। जबकि वास्तविकता यह है कि हम सभी मानव एक हैं, हमें भेदभाव रहित समाज चाहिए। हम किसी को प्रचलित सामाजिक भेदभाव के कारण अलग नहीं कर सकते। आज का आधुनिक समय तेजी से बदल रहा है, पाखंडियों को नीचे आना ही होगा, तभी वे आदर और सम्मान से रह पायेंगे, नहीं तो एक दिन उन्हें बलपूर्वक और देशाचार के अनुसार ठीक होना ही होगा। ‘_*

      

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