अम्बा खबर सुप्रभात समाचार सेवा
औरंगाबाद जिले के कुटुम्बा प्रखंड समस्याओं के मकड़जाल में फसा हुआ है। गरीबी और अशिक्षा का नजायज लाभ यहां अधिकारी से लेकर जनप्रतिनिधि तक उठा रहे हैं। राजनैतिक दल भी केवल रस्म अदायगी कर अपने जिम्मेवारी से पल्ला
झाड़ते दिख रहे हैं। बताते चलें कि प्रखंड मुख्यालय से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों का स्थिति इस कदर है कि यहां नहीं शासन -प्रशासन और नहीं कानून का राज दिखाई पड़ता है यहां यदि दिखाई पड़ता है तो सिर्फ ” सरकारी योजनाओं को लूटने का आजादी” जो जितना लूट सकता है उतना ही बलशाली।
प्रखंड मुख्यालय अम्बा स्थिति मदरसा गली में नाली का जल जमाव एवं कुडा का ढेर लगने से लोगों को जीना मुहाल है। मदरसा में जाना लोगों को मुश्किल हो रहा है। नबीनगर रोड़ स्थित नाला कुडा -कचरा से भरा हुआ है जिससे नाला से
पानी निकलना मुश्किल हो जाता है। कभी कभी स्थानीय लोगों द्वारा नाला का सफाई कराने से कुछ राहत मिलता है। नबीनगर रोड़, औरंगाबाद रोड़, हरिहरगंज रोड़ में बाजार में मुख्य सड़क पर ही सवारी गाड़ी रुककर सवारी उतारने से लेकर चढ़ाने का कार्य करती है जिससे दुर्घटना का प्रबल संभावना हर समय बना रहता है। अम्बा प्रखंड मुख्यालय में नहीं सार्वजनिक शौचालय और नहीं बस स्टैंड और नहीं यात्री सेड का ब्यवस्था है। बीडीसी के बैठक में इसके लिए कभी कभी चर्चा तो किया जाता है लेकिन नतीजा सिफर साबित हो रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में आज पेयजल संकट गंभीर रूप लेते जा रहा है। जलस्तर नीचे चले जाने के कारण चपा कल और समरसेबल जवाब दे रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार के कोई योजना नहीं है जिसमें लूट और मनमानी नहीं का सम्राज्य स्थापित नहीं हो गया है। जांच के नाम पर खानापूर्ति और लूटेरे को बचाने का जहां खेल शुरू है वहीं जांचकर्ता मालों माल हो रहे हैं। जनप्रतिनिधियों का स्थिति यह है कि वे अपने को बादशाह और भगवान से कम नहीं समझ रहे हैं तथा जनहित के कार्यों से बेमुख हैं और अपना सुख सुविधा और पूंजी का विकास में लगे हुए हैं। गरीबों को खाद्य सुरक्षा योजना के तहत मिलने वाले राशन में कटौती और काले बजारी, मनरेगा मजदूरों के साथ हकमारी, प्रधानमंत्री आवास योजना में मनमानी एवं लूट का बोलबाला है, अघोषित बिजली कटौती से जनजीवन अस्त व्यस्त है। लेकिन इसके लिए राजनैतिक दलों का भी चुप्पी आम लोगों को हैरान कर रहा है। राजनैतिक दलों का स्थिति यह है कि केवल महापुरुषों का जयंती और शहादत दिवस मनाने तक सीमित हैं। उपरोक्त समस्याओं का मूल कारण है कि यह क्षेत्र गरीबी और अशिक्षा का लगातार दंश झेल रहा है और इसी का नाजायज लाभ अधिकारी हों या जनप्रतिनिधि भरपूर लाभ उठा रहे हैं और समस्याओं के मकड़जाल में फसे नागरिक नहीं मुखर आवाज बुलंद कर रहे हैं और नहीं संघर्ष।यदा कदा आम नागरिक यदि कुछ मुंह खोलने का हिम्मत जुटाने का कार्य करता है तो चुप कराने का सभी षड्यंत्र और खेल प्रारंभ हो जाता है और अंततः विरोध का स्वर दब जाया करता है।
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