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नबीनगर में सावित्री बाई फुले की जयंती संपन्न

निशांत कुमार , खबर सुप्रभात

भारत की प्रथम महिला शिक्षिका, समाज सुधारिका, मराठी कवित्री सावित्रीबाई फुले की 192 वे जयंती मानते हुए मानवाधिकार फाउन्डेशन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ0 शारदा शर्मा ने बताया कि महिलाओं के आधिकारिक उत्थान के लिए लड़ाई लड़ते हुए 5 सितंबर 1848 में पुणे में अपने पति ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर विभिन्न 9 नव जातियों के छात्राओं के साथ महिलाओं के लिए एक विद्यालय खोली थी और संघर्ष करते हुए एक वर्ष में 5 पांच विद्यालय खोल दी थी। आज उन्हीं के महिलाओं के प्रति संघर्ष का देन हैं कि हर क्षेत्र में महिला अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहीं हैं, यहां तक कि औरंगाबाद जिले के वर्तमान पुलिस अधीक्षक महिला सपना श्री जी मेश्राम है। आज से लगभग 200 दो सौ साल पहले महिलाओं को शिक्षित करना एवम महिलाओं के लिए विद्यालय खोलना पाप समझता था उस दौर में सावित्रीबाई फुले ने महिलाओं के उत्थान के लिए विद्यालय खोलने का कार्य किया था। आगे डॉ0शर्मा ने कहा कि सिर्फ महिलाओं के शिक्षा के लिए लड़ाई नहीं लड़ी बल्कि शतिप्रथा,विधवा विवाह,बाल विवाह के प्रति जागरूक कर निजात दिलाई थी।सावित्रीबाई फुले एवम पति ज्योतिराव फुले ने समाज सुधार के कार्य में शिक्षा को अहम हिस्सा मानते हुए यही नहीं रुके बल्कि उन्होंने 1857 के भारत विद्रोह के बाद भी 18 अठारह विद्यालय खोलने का कार्य किया था। डॉ0 शर्मा ने यह भी बताया कि सावित्रीबाई फुले एक गरीब एवम कमज़ोर परिवार से आती थी जिसके कारण उनकी शादी 9नव वर्ष की अवस्था में 12बारह वर्ष के उम्र के ज्योतिराव फुले के साथ 1840 में कर दिया गया था इसके बाद ही उनके शिक्षण का कार्य पति ज्योतिराव फुले के साथ ही हुई थी।
सावित्रीबाई फुले की मृत्यु 10 मार्च 1897 में एक दलित बच्चे के पलेग की बीमारी में सेवा के दौरान इन्हे भी प्लेग की बीमारी हो गई थी जिसके कारण मृत्यु हो गई थी। अब यह निर्भर करता है कि महिलाएं जो आत्म निर्भर हो चुकी है और कितने महिलाओं को सावित्रीबाई फुले के पथ पर अग्रसर होकर आत्मनिर्भर बनाती हैं।

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