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पटना गैंगरेप मामले में पुलिस के लापरवाही या आरोपितों को संरक्षण?

आलोक कुमार निदेशक सह संपादक खबर सुप्रभात समाचार सेवा

बिहार में पुलिस कार्यशैली पर एक बार फिर सवालिया निशान खड़ा हुआ है। पटना गैंगरेप मामले में वरीय पुलिस पदाधिकारी द्वारा जांच के दौरान पाया गया कि स्थानीय पुलिस द्वारा आरोपितों के विरूद्ध छेड़छाड़ का प्राथमिकी दर्ज कर महज खानापूर्ति किया गया था जबकि घटना गैंगरेप का था। ऐसे में यह सवाल खड़ा होना लाजिमी है कि स्थानीय

आलोक कुमार संपादक सह निदेशक खबर सुप्रभात

पुलिस गैंगरेप के घटना को छुपाकर क्या आरोपितों को मदद करने में जुटी हुई थी या फिर कोई लापरवाही था। जब इस मामले का न्यायिक जांच कराया जाएगा तब दुध का दुध और पानी का पानी सामने आएगा। लेकिन वरीय पुलिस अधिकारियों द्वारा जो जांच रिपोर्ट आया है उससे दोषी पुलिसकर्मियों ने न सिर्फ पीड़ित छात्रा के दोषियों को संरक्षण देने में लगी थी बल्कि न्याय और कानून का गला घोंटने का कार्य की है और पुलिस महकमा को दावेदार बनाने का कार्य किया है। ऐसे में यदि दोषी पुलिसकर्मियो को महज निलम्बित किया गया तो यही काफी नहीं है बल्कि ऐसे पुलिस कर्मियों के विरुद्ध फौरन प्राथमिकी दर्ज कर गिरफ्तार करना चाहिए और कठोरतम सज्जा दिलाना चाहिए। ताकि भविष्य में कोई भी पुलिसकर्मी ऐसा दुस्साहस न करें और पुलिस महकमा को दागेदार नहीं कर सके। बताते चलें कि पुलिस प्रशासन पर आवाम को भरोसा होता है और कानून तथा न्याय को स्थापित रखने में पुलिस को महत्व पूर्ण जिम्मेवारी होती है। लेकिन जो रक्षक वही भक्षक के रोल में महज चंद लालच और अनैतिक रूप से धनोपार्जन के उद्देश्य से चरितार्थ उजागर करे तो आखिर क्या होगा यह समझा जा सकता है।