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नारायणा चाइल्ड हांस्पिटल में बवाल, देखते ही देखते बंद कमरे में सब कुछ हो गया मैनेज

औरंगाबाद खबर सुप्रभात का ग्राउ

बिहार के औरंगाबाद जिला मुख्यालय स्थपित नारायणा चाइल्ड हॉस्पिटल में एक बहुत ही संगीन मामला सामना आया है। कुटुंबा प्रखंड के महाराजगंज के पास जमुआ गांव के रहने वाले अमरिंदर सिंह के लड़के अनिष सिंह के यहां नवजात बच्चे के जन्म लेने का मामला था। परिवारजनों का आरोप है कि डॉक्टर की लापरवाही के कारण नवजात शिशु की मौत हुई। घटना के बाद सुबह से ही आकर परिवार जन

हंगामा कर रहे थे परिवार चीख – चित्कार कर रही थी। मौके पर नगर थाना से टीम भी मौजूद रहीं। इस मामले को लेकर पुलिस टीम समझाते देखे गए। परिवार जन का कहना है कि 36 घंटे पहले जन्मे नवजात शिशु को नहीं रोने के कारण परिवार- जन ने अस्पताल में भर्ती कराया। डॉक्टर ने गारंटी के साथ बताया कि बच्चा बिल्कुल ठीक हो जाएगा। परिजनों का आरोप है कि बच्चा स्वस्थ था सिर्फ जन्म के समय रोया

नहीं था। डॉक्टर लगातार बोलते रहे कि बच्चा स्वस्थ है और इलाज के नाम पर पैसे लेते रहे और आज बच्चे बिल्कुल खत्म हो गया । हॉस्पिटल प्रबंधन आनन – फानन में एंबुलेंस खुद से लाकर बताया कि बच्चे को गया या पटना हॉस्पिटल में ले जाएं । परिजन को फोन किया एवं परिजन हड़बड़ी में एंबुलेंस में नवजात शिशु को लेकर सदर अस्पताल गए जहां डॉक्टर ने बताया कि नवजात शिशु 3 घंटा पहले समाप्त हो चुका है। तब परिजनों ने जाकर फिर से नारायणा चाइल्ड हॉस्पिटल में पहुंचे तो बाहर से गेट बंद पाए। दो-तीन घंटे के बाद दरवाजा खोला। डॉ किस चीज को मानने को तैयार नहीं था डॉक्टर ने बताया कि हमने उचित इलाज किया। जिंदगी और मौत तो मेरे हाथ में नहीं है। साथ ही परिजनों का आरोप था कि डॉक्टर लगातार पैसे लेते रहे और बच्चों को मौत के आखिरी सांस तक पहुंचा दिया फिर रेफर का बहाना कर बच्चे को बाहर एंबुलेंस में डाल परिजन को सूचित किया। परिवार जन ने बताया कि ऐसे अस्पताल की और दोषी डॉक्टर को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए। ऐसे अस्पताल की जांच होनी चाहिए। जो ऐसा कार्य कर इलाज कर रहे हैं। बाद में इस घटना पर एक अहम मोड़ तब आया जब मामला डॉक्टर, परिवारजन और कुछ चुनिंदे जनप्रतिनिधि के दौरान मैनेज कर लिया गया। अस्पताल के बंद कमरे में क्या कुछ बातें हुई और सब कुछ मैनेज कर लिया गया और जनता हक्के-बक्के में है । घटना घटती है, प्रशासन दौड़ते हैं, पत्रकार दौड़ते हैं, लोग दौड़ते हैं, और सब कुछ एक तमाशा बनकर रह जाता है। इस संबंध में अपना नाम नहीं छापने के शर्त पर खबर सुप्रभात को कुछ शहरवासियों ने बताया कि जिला मुख्यालय में नारायणा चाइल्ड हास्पिटल के तरह अनेकों प्राईवेट हास्पिटल है जो गोदी मिडिया एवं सफेद पोश दलालों के प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष संरक्षण में संचालित हो रहा है।

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