तजा खबर

_क्या ईसा मसीह सूली से बचकर हेवेन न जाकर भारत में आकर बस गए थे ?

गाजियाबाद से निर्मल शर्मा का आलेख

_ईसाई धर्म के मठाधीश पादरी या फादर भारत के सनातन धर्म और इस्लाम धर्म या अन्यान्य बहुतेरे धर्मों के मठाधीशों,पाखंडियों और समाज को हर तरह से अंधविश्वास और जाहिलता में जकड़े रहने को आतुर धूर्तों की तरह यूरोप के धार्मिक कूपमण्डूक समाज में भी इस झूठी और भ्रामक बात को बहुत ज्यादा प्रचारित-प्रसारित किए हैं कि धर्मांध और बर्बर यहूदियों द्वारा ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाए जाने के 7दिनों बाद वे पुनर्जीवित हो उठे थे और धार्मिक अंधविश्वास को बढ़ाने व अपने धर्म की दुकानदारी चलाने के लिए यह जोरदार प्रचार किए हैं कि ईसा मसीह सशरीर सीधे हेवेन या Haven या स्वर्ग चले गए थे ! लेकिन इस पाखंड के ठीक विपरीत दुनिया के बहुत से प्रतिष्ठित विद्वानों द्वारा लिखी गई उनकी पुस्तकें और दुनिया भर में उपलब्ध दस्तावेज ये जोरदार दावा करते हैं कि येरूशलम में उनके दुश्मन यहूदियों द्वारा ईसा मसीह यानी क्राइस्ट को सूली पर लटकाए जाने के बाद उनके शिष्यों ने सूली से उन्हें मात्र 6 घंटे के अंदर-अंदर उतार लिए थे !_ *_यह वैज्ञानिक तथ्य है कि सूली पर लटकाने के बाद तीन दिन तक उसी पर लटका कर छोड़ देने पर ही मौत होती है ।_*
                _तब तक ईसा मसीह जिन्दा थे,उनके परिवारजनों तथा शिष्यों ने उन्हें तुरंत एक गुफा में ले जाकर उन्हें गहन इलाज किए थे,जिससे वे मात्र तीन दिनों के अंदर पूर्णतः स्वस्थ्य हो गए थे,इसके बाद_ *_वे अपने परिवार,दल-बल और काफिले के साथ सीरिया,टर्की,ईरान और अफगानिस्तान होते हुए सिल्क रूट से 2500 किलोमीटर की यात्रा करते हुए भारत के कश्मीर राज्य के पहलगाम नामक स्थान पर बस गए थे ! जहां उन्होंने एक और शादी करके उससे हुए बच्चों के साथ सुखपूर्वक रहते हुए वे जीवनपर्यंत लंबे समय तक यहीं रहे ! कुछ वैज्ञानिकों और_* _नृवंशशास्त्रियों या Ethnographers_ *_के अनुसार ईसा मसीह 80 वर्ष की उम्र तक जीवित रहे,उसी के साथ कुछ अन्य शोधकर्ताओं के अनुसार ईसा मसीह 120 वर्ष की भरपूर जिंदगी जीकर मृत्यु को प्राप्त हुए थे !_*

*_ईसा मसीह सूली पर अल्प समय के लिए चढ़ाने के बावजूद जिन्दा बच गए थे_*
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             _कश्मीर सरकार,भारत सरकार और बीबीसी द्वारा बनवाई गई डॉक्युमेंट्रीज और सैकड़ों विद्वान लेखकों द्वारा पुष्ट साक्ष्य सहित लिखी प्रमाणित पुस्तकें भी इस बात की जोरदार वकालत करतीं हैं कि ईसा मसीह सूली पर लटकाए जाने के बावजूद भी किसी तरह बच गए थे और वे इलाज कराकर स्वस्थ्य होकर भारत के कश्मीर राज्य में आकर बस गए थे और यहां आकर अपने बच्चे और बच्चियों के साथ भरे पूरे शादीशुदा पारिवारिक जिंदगी जीते हुए कुछ शोधकर्ताओं के अनुसार पूरे 80 वर्ष तो कुछ के अनुसार 120 वर्ष की भरपूर जिंदगी जीकर मरे थे ! Jesus survived crucifixion, travelled to Kashmir, eventually died there and is buried in Srinagar,Every season hundreds of tourists visit the Rozabal shrine of Sufi saint Yuz Asaf in downtown Srinagar, believed by many to be the final resting place of Christ_

*_ईसा मसीह भारत दो बार आए थे !_*
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            _कई शोधकर्ताओं का मानना है कि जीसस की मृत्यु सूली पर चढ़ाने से नहीं हुई थी. सूली पर चढ़ाए जाने के बाद भी वे बच गए थे फिर मध्यपूर्व के रास्ते सीरिया,इरान और अफगानिस्तान होते हुए सिल्क रूट से वे भारत आ गए थे,भारतीय भूमि पर वे इसलिए आए,क्योंकि वे अपनी युवावस्था में भी वे यहां एक बार आ चुके थे ! फिर उनका शेष जीवन भारत में ही बीता ! कश्मीर के शहर श्रीनगर के पुराने भाग में स्थित रोजाबल नामक स्थान पर जिस व्यक्ति का मकबरा है,उसका नाम यूजा आसफ बताया जाता है शोधकर्ताओं का मानना है कि यूजा आसफ कोई और नहीं बल्कि ईसा मसीह,जीसस या क्राइस्ट का ही नाम है !_
         _अभी पिछले कुछ सालों पूर्व एक सुप्रसिद्ध पुस्तक_ *_‘द विंची कोड या Famous book ‘The Vinci Code’_* _प्रकाशित हुई थी,उसमें भी इस रोजाबल नामक मकबरे का विवरण है,इसलिए इस पुस्तक के बेस्ट सेलर बुक बनने के बाद इस रोजाबल नामक मकबरे को लेकर दुनियाभर में ईसा मसीह के सूली पर चढ़ाने के बाद भी बचकर भारत आने की बेहद उत्सुकता जग गई और जो भी पर्यटक पश्चिमी देशों यथा यूरोप और अमेरिका से कश्मीर घूमने आते हैं,उनकी मुख्य प्राथमिकता रोजाबल नामक इस मकबरे पर एक बार जाने की अवश्य रहती है,ताकि वह ईसा मसीह को दफनाने वाले मकबरे को एक बार जरूर देख सकें !_
          

*_ईसा मसीह भारत आए और यहीं पर उनकी मृत्यु हुई – कई डाक्यूमेंट्रीज और किताबों में दावा_*
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              *_दुनिया की लब्धप्रतिष्ठित समाचार एजेंसी बीबीसी में करीब दो दशक पहले उसके एक सुप्रसिद्ध पत्रकार सैम मिलर या Sam Miller ने एक रिपोर्ट लिखी थी, उसमें उन्होंने श्रीनगर के बाहर बनी एक प्राचीन रोजाबल दरगाह को जीसस टॉम्ब या Jesus Tomb के तौर पर संबोधित किया,माना यह जाता है कि निधन के बाद ईसा मसीह को यहीं दफनाया गया ! ये कब्र आज भी मौजूद है ! इसे दो हजार साल से कहीं ज्यादा पुराना बताया जाता है !_*
         *_इसके अलावा ईसा मसीह या क्राइस्ट के भारत आने के संबंध में सुप्रतिष्ठित समाचार एजेंसी बीबीसी लंदन ने 42 मिनट की एक डॉक्यूमेंट्री ‘जीसस इन इंडिया या ‘Jesus in India’ बनाई थी। श्रीलंका में भी वहां की एक सुप्रतिष्ठित मिडिया संस्थान ने लगभग सवा घंटे की एक डॉक्यूमेंट्री ‘जीसस वाज ए बौद्धिस्ट मांक या Jesus Was A Buddhist Monk ‘बनाई थी, ईसा मसीह के भारत आने के संबंध में बहुत से सुप्रसिद्ध लेखकों द्वारा तमाम पुस्तकें लिखी गईं हैं यथा कई दशकों पहले कश्मीर के जाने-माने लेखक अजीज कश्मीरी ने अपनी किताब ‘क्राइस्ट इन कश्मीर या Christ in Kashmir’ से लोगों का ध्यान खींचा,एक अन्य पश्चिमी लेखक आंद्रेयस फेबर कैसर या Western Writer Andreas Faber Kaiserने ‘जीसस डाइड इन कश्मीर या Jesus Died in Kashmir ‘ लिखी,एक और जाने माने लेखक एडवर्ड टी मार्टिन या Edward T Martin ने  ‘किंग ऑफ ट्रेवलर्सः जीसस लास्ट ईयर इन इंडिया या King of Travelers: Jesus Last Year in India ‘ लिखी !_*
           *_इस्लाम धर्म की एक शाखा अहमदिया समुदाय के संस्थापक हजरत मिर्जा गुलाम अहमद या Hazrat Mirza Ghulam Ahmad, the Founder of the Ahmadiyya Community, a Branch of Islam ने 1898 में लिखी अपनी किताब ‘मसीहा हिंदुस्तान या Messiah Hindustan में ‘ ये लिखा कि रोजाबल स्थित मकबरा जीसस का ही है,उन्होंने यह भी लिखा है कि कश्मीर प्रवास के दौरान ईसा मसीह की शादी  मरजान नामक एक स्त्री से हुई थी उन दोनों से कई बच्चे भी हुए थे या During his stay in Kashmir,Jesus Christ was married to a woman named Marjan, both of them had many children !_*
            *_प्रसिद्ध लेखक सुजैन ओस ने भी इसी विषय पर चर्चित किताब लिखी है जिसमें उन्होंने लिखा है कि जम्मू-कश्मीर आर्कियोलॉजी, रिसर्च एंड म्यूजियम में अर्काइव विभाग के पूर्व डायरेक्टर डॉक्टर फिदा हसनैन या Dr. Fida Hasnain, former director of the Department of Archive in Jammu and Kashmir’s Archeology, Research and Museum जब लद्दाख गए तो उन्होंने इस बारे में बौद्ध मठ में एक दस्तावेज देखा,तो उनकी भी दिलचस्पी इसमें पैदा हुई,तब उन्होंने राज्य में इस बारे में पुरानी किताबें और साक्ष्य तलाशने शुरू किए,जो कुछ उन्हें मिला,वो इशारा करता था कि ईसा के भारत आने की बात में दम है,जीव वैज्ञानिकों के अनुसार कश्मीर राज्य के पहलगाम क्षेत्र में बसे लोगों की डीएनए संरचना हूबहू यहूदी नस्ल के लोगों से एकदम मिलती है ! पहलगाम क्षेत्र यहूदियों से मुसलमान बने लोगों से ठसाठस भरा हुआ है !_*
           *_कई विद्वानों ने शोध से साबित करने की कोशिश की कि ये कब्र किसी और की नहीं, बल्कि ईसा मसीह या जीसस की ही है ! प्रश्न उठता है कि अगर जीसस की मौत सूली पर चढ़ाए जाने की वजह से येरूशलम में हुई तो उनका कब्र येरूशलम से लगभग 2500 किमी दूर कश्मीर में कैसे हो सकता है ? इसका उत्तर यह है कि ईसाइयों के प्रसिद्ध धर्मग्रंथ बाइबल भी ईसा को सूली पर चढ़ाने के बाद उनके 12 बार अलग-अलग समय पर लोगों के सामने आकर मानव रूप में जीवित होने का प्रमाण देती है !_*
             *_इस बारे में भारत सरकार के फिल्म प्रभाग की करीब 53 मिनट की डॉक्यूमेंट्री ”जीसस इन कश्मीर या Jesus in Kashmir ”में ईसा मसीह के सूली पर चढ़ने के उपरांत भारत आनेवाली जानकारी के मामले में अद्भुत और अतुलनीय है ! लगभग 53 मिनट की डॉक्यूमेंट्री में बहुत ही प्रमाणिक ढंग से बताया गया है कि किस तरह जीसस या ईसा मसीह भारत में आकर जीवनपर्यंत यहां रहे ! उनका ये प्रवास लद्दाख और कश्मीर में था !_*
              *_सन् 1887 में एक रूसी शोधकर्ता “निकोलस अलेकसैंड्रोविच नोतोविच या Nikolaj Aleksandrovič Notovič के अनुसार ईसाई धर्म में ईसा मसीह के जिन 18 वर्षों का उल्लेख लापता वर्ष के रूप में किया जाता है, उन वर्षों में वे भारत में ही रहे थे ! उन्होंने यह जानकारी एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित करवायी थी,जिसमे 244 अनुच्छेद और 14 अध्यायों में ईसा की भारत यात्रा का पूरा विवरण दिया गया है पुस्तक का नाम ‘संत ईसा की जीवनी यानी The Life of Saint Issa  है .पुस्तक में लिखा है ईसा अपना शहर गलील छोड़कर एक काफिले के साथ सिंध होते हुए स्वर्ग यानी कश्मीर गए, वहां उन्होंने  ‘हेमिस यानी Hemis ‘नाम के एक बौद्ध मठ में कुछ महीने रह कर जैन और बौद्ध धर्म का ज्ञान प्राप्त किया और संस्कृत और पाली भाषा भी यहीं सीखी थी !_*
            *_हालांकि रोमन कैथोलिक चर्च और वेटिकन इसे नहीं मानते ! लेकिन यह डॉक्यूमेंट्री जोरदार ढंग से हमें बताती है कि जीसस या ईसा मसीह सूली पर चढ़ाए जाने के बाद भयंकरतम् रूप से घायल होने के बाद क्रूस पर लटकाने वाले दुष्ट और बर्बर यहूदियों से छिपकर गुपचुप तरीके से अपने खास लोगों के साथ कश्मीर भागकर आ गए थे,और फिर वे अपने पूरे कुनबे के लोगों के साथ भारत की धरती पर ही कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में बसे गए थे और यहीं के होकर रह गए थे ! उनके साथ आए यहूदी यहीं के बाशिंदे हो गए !_*
 
*_ईसा मसीह गौतम बुद्ध और बौद्ध धर्म से सर्वाधिक प्रभावित !_
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        *_नृवंशशास्त्रियों या Ethnographers के अनुसार ईसा मसीह की शिक्षाओं और गौतमबुद्ध की शिक्षाओं में जो अद्भुत साम्य है,वह बताता है कि ईसा मसीह पर भारतीय बौद्ध धर्म की मानवीय, दयालु और प्रगतिशील विचारधारा और तत्व चिंतन का गंभीर प्रभाव पड़ा था उदाहरणार्थ ईसा मसीह ने कहा ‘तुम अपनी तलवार म्यान में ही रखो। क्योंकि जो लोग दूसरों पर तलवार उठाएंगे वे भी तलवार से ही मरेंगे ‘बाइबिल नया नियम- मत्ती- अध्याय 26 :52 या He who lives by the sword will die by the Sword’  by Matthew 26:52 और वे न किसी से हिंसा करते हैं वैसे ही मानव तू भी किसी को नहीं डरा और न किसी पर हथियार उठा !_*
                *_ईसाई विद्वानों के अनुसार ईसा मसीह का जन्म 25 दिसंबर सन 1 को इस्राएल के शहर नाजरथ में हुआ था,उनके पिता का नाम यूसुफ और माता का नाम मरियम था,ईसा बचपन से ही अत्यंत कुशाग्र बुद्धि के थे,इसका प्रमाण बाइबिल में इस प्रकार दिया गया है कि ‘जब ईसा 12 साल के हुए तो माता पिता के साथ त्यौहार मानाने यरूशलेम गए और वहीं रुक गए,यह बात उनके माँ बाप को पता नहीं थी,वह समझे कि ईसा किसी काफिले के साथ बाहर गए होंगे,लेकिन बहुत खोजने के बाद ईसा एक मंदिर में विद्वानों के साथ चर्चा करते हुए मिले,ईसा ने माता पिता से कहा आप मुझे यहाँ देखकर चकित हो रहे हो ,लेकिन आप अवश्य एक दिन मुझे अपने पिता के घर पाएंगे – बाइबिल – लूका 2 :42 से 50 तक में लिखा है ।_*

*_ईसा मसीह के बाइबल में वर्णित  शांत वर्ष या Silent Year भारत में बीते !_*
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           *_इसके बाद 30 साल की आयु तक यानि 18 साल ईसा मसीह कहाँ रहे और क्या करते रहे इसके बारे में कोई प्रमाणिक जानकारी न तो बाइबिल में मिलती है और न ईसाई इतिहास की किताबों में मौजूद है,ईसा मसीह के इन 18 साल के अज्ञातवास को इतिहासकार ‘ईसा के शांत वर्ष या Silent years ,खोये हुए वर्ष या  Lost years  और या ‘लापता वर्ष Missing years के नाम से पुकारते हैं ! 30 वर्ष की उम्र में उन्होंने येरुशलम में यूहन्ना यानी जॉन से दीक्षा ली। दीक्षा के बाद वे लोगों को शिक्षा देने लगे। ज्यादातर विद्वानों के अनुसार सन् 29 ईसवी में ईसा मसीह एक गधे पर बैठकर येरुशलम पहुंचे थे। वहीं उनको दंडित करने का षड्यंत्र रचा जाने लगा था। अंतत: उन्हें विरोधियों ने पकड़कर क्रूस पर लटका दिया। उस वक्त उनकी उम्र लगभग 33 वर्ष की थी।_*
          *_शोधकर्ताओं के अनुसार रविवार को ईसा मसीह ने येरुशलम में प्रवेश किया था। इस दिन को ‘पाम संडे Palm Sunday’ कहते हैं। शुक्रवार को उन्हें सूली दी गई थी इसलिए इसे ‘गुड फ्रायडे या Good Friday ‘ कहते हैं और रविवार के दिन ही  एक स्त्री मेरी मेग्दलेन , Mary Magdalene ने उन्हें उनकी कब्र के पास जीवित देखा था। जीवित देखे जाने की इस घटना को ईसाई धर्म में ‘ईस्टर Easter ‘ के रूप में मनाया जाता है।_*

*_जीसस या क्राइस्ट ने भारतीय नाम ‘ईशा ‘ रख लिया,जो बाद में अपभ्रंश होकर ईसा मसीह बन गया !_*
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         *_यही नहीं ईसा मसीह ने अपना नाम बौद्ध धर्म से प्रभावित होकर अपना नाम ‘ईशा ‘ रख लिए थे जबकि कुरान में उनका नाम ‘ईसा – मतलबعيسى ‘ बताया गया है ! रूसी विद्वान निकोलाई अलेकसैंड्रोविच नोतोविच ने भी अपनी किताब में ईसा के बारे में जो महत्त्वपूर्ण जानकारी दिए हैं उसके कुछ अंश दिए जा रहे हैं तब ईसा चुपचाप अपने पैतृक नगर यरूशलेम को छोड़कर एक व्यापारी दल के साथ सिंध की तरफ रवाना हो गए बाइबल के सूक्ति 4:12। उनका उद्देश्य धर्म के वास्तविक रूप के बारे में जिज्ञासा शांत करना और खुद को परिपक्व बनाना था- बाइबल सूक्ति 4:13 !_*

*_ईसा मसीह बौद्ध धर्म से प्रभावित होकर इजरायल में इंसानियत और करूणा का उपदेश देने लगे,इसी से चिढ़कर यहूदी धर्म के ठेकेदारों ने उन्हें सूली पर चढ़ा दिए थे !_*
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             *_फिर ईसा सिंध और पांच नदियों को पार करके राजपूताना गए ,वहाँ उनको जैन लोग मिले , जिनके साथ ईसा ने प्रार्थना में भी भाग लिया-बाइबल सूक्ति 5:2 लेकिन वहाँ ईसा मसीह को समाधान नहीं मिला,फिर ईसा मसीह राजगृह होते हुए बनारस चले गए और वहीं पर वे छ: साल तक रह कर बौद्ध धर्म का भरपूर ज्ञान प्राप्त करते रहे,अब उनकी आयु 29 वर्ष हो चुकी थी,इसलिए वह यह ज्ञान अपने लोगों तक देने के लिए वापिस यरूशलेम लौट गए । जहाँ ईसा मसीह बौद्ध धर्म से प्रभावित होकर अंधविश्वास,ढोंग और पाखंड का पोल खोलते हुए उसकी जगह दया,करूणा, परोपकार,इंसानियत,भाई-चारे आदि अच्छी बातों का उपदेश देने लगे थे जो यहूदी धर्म के ठेकेदारों को बिल्कुल अच्छा नहीं लगा और कुछ ही महीनों के बाद यहूदी धर्म के इन ठेकेदारों ने उनपर झूठे आरोप लगा लगा कर क्रूस पर चढ़वा दिया था !_*
          *_बाइबिल के अनुसार ईसा को केवल 6 घंटे तक ही क्रूस पर लटका कर रखा गया था और वह जीवित बच गए थे,उनके एक शिष्य थॉमस ने तो उनके हाथों में कीलों के छेदों में उंगली डाल कर देख लिया था कि वह कोई भूत नहीं बल्कि सचमुच ईसा मसीह ही हैं.यह पूरी घटना बाइबिल की किताब यूहन्ना 20: 26 से 30 तक विस्तार से दी गयी है ! बाइबिल में यह भी बताया गया है कि ईसा बेथनिया नाम की जगह तक अपने शिष्यों के साथ गए थे और उनको आशीर्वाद देकर स्वर्ग की तरफ चले गए साभार बाइबिल – लूका 24:50 यद्यपि बाइबिल में ईसा के बारे में इसके आगे कुछ नहीं लिखा गया है,लेकिन इस्लामी हदीस ‘ कन्जुल उम्माल- كنج العمّال ” के भाग 6 पेज 120 में लिखा है कि मरियम के पुत्र ईसा इस पृथ्वी पर 120 साल तक जीवित रहे ,عيسى ابن مريم عاش لمدة 120 سنة، “Kanz al Ummal, part 6,पृष्ठ संख्या -120 ।_*
                 *_इस्लाम के कादियानी संप्रदाय के स्थापक मिर्जा गुलाम कादियानी जन्म 1835 और मृत्यु 1909 ने भी ईसा मसीह की दूसरी और अंतिम भारत यात्रा के बारे में उर्दू में एक शोधपूर्ण किताब लिखी है,जिसका नाम ‘मसीह हिंदुस्तान या Jesus in India ‘ है। इन किताबों में अनेकों ठोस सबूतों से प्रमाणित किया गया है कि ईसा मसीह क्रूस की पीड़ा सहने के बाद भी जिन्दा बच गए थे और जब कुछ दिनों बाद उनके हाथों, पैरों और बगल के घाव ठीक हो गए थे तो फिर से वे यरूशलम छोड़ कर ईरान के नसीबस शहर से होते हुए अफगानिस्तान जाकर रहने लगे और वहाँ रहने वाले इजराइल के बिखरे हुए 12 कबीले के लोगों को उपदेश देने का काम करते रहे ! लेकिन अपने जीवन के अंतिम वर्षों में ईसा मसीह भारत के स्वर्ग यानि कश्मीर में आकर रहने लगे थे और 120 साल की आयु में उनका देहांत कश्मीर में ही हुआ,आज भी उनकी मजार श्रीनगर की खानयार स्ट्रीट में मौजूद है !_*

    *_इजरायल के 10यहूदी कबीलों के वंशज अभी भी कश्मीर में रहते हैं !_*   
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            *_भारत सरकार के फिल्म प्रभाग की ये डॉक्यूमेंट्री प्रमाणिक रूप से भारत में ईसा मसीह के संबंध पर ध्यान खींचती है ! भारतीय सेंसर बोर्ड से पास इस डॉक्यूमेंट्री में 2000 साल पुराने एक शिव मंदिर के अभिलेखों,संस्कृत और बौद्ध पांडुलिपियों में यीशू के यहूदी नाम यसूरा के इस्तेमाल,सम्राट कनिष्क के अनदेखे सिक्कों और तिब्बती ऐतिहासिक पांडुलिपियों द्वारा उनके कश्मीर आने को साबित किया गया है या The Indian documentary, which has been cleared by the Censor Board of India, shows the 2000-year-old inscriptions from a Shiva temple, the use of the Jewish name Yasura in Sanskrit and Buddhist manuscripts, unseen coins of Emperor Kanishka and Tibetan historical manuscripts to prove his arrival in Kashmir. !_*
          *_नृवंशशास्त्रियों के अनुसार या According to Ethnographers इजरायल के कुल 12 यहूदी कबीलों में गुम हुए 10 यहूदी कबीलों में कुछ के वंशज अफगान और कश्मीर में ही बसे हुए हैं ! उन्हें ‘बनी इजरायल ‘ कहा जाता है । वो सभी बेशक मुस्लिम बन चुके हैं, लेकिन उनका खानपान और रीति रिवाज कश्मीरियों से अलग हैं ! वो कश्मीरियों से रोटी-बेटी के संबंध नहीं रखते या They are called ‘Bunny Israel ‘ They have all become Muslims of course, but their food and customs are different from Kashmiris. They don’t keep Roti-Beti relations with Kashmiris._
                *_लेकिन बहुत दु:ख की बात है कि ईसाइयों के सबसे बड़े सुप्रतिष्ठित चर्च जो इटली की राजधानी रोम में स्थित वेटिकन में है,ईसा मसीह संबंधित उक्त वर्णित यथार्थवादी और तथ्यात्मक बातों को सिरे से खारिज करता है,क्योंकि इन पुस्तकों और अन्य साक्ष्यों में उनके इस छद्म प्रचार से कि ईसा मसीह सूली पर लटकाने के बाद पुनर्जीवित होकर सीधे हेवेन या स्वर्ग चले गए थे ! की पोल खुल गई है और ये भी कि अन्य धर्मों यथा हिन्दू,इस्लाम, यहूदी आदि धर्मों के ढकोसलों की तरह ईसाई धर्म की स्थापना भी अंधविश्वास, पाखंड और तमाम बेसिर पैर की अनर्गल बातों पर आधारित ही हुई है,की भी नींव दरक जाएगी,चूलें हिल जाएंगीं !_*                        
                     *_जरा इस बात पर ध्यान दीजिए कि यह ऐतिहासिक तथ्य है कि मानवीय इतिहास में जितना मानवता का कत्ल सभी युद्धों में मिलकर भी नहीं हुआ है, उससे ज्यादा मानवता का कत्ल धर्म के इन न दुष्ट ठेकेदारों ने कथित ईश्वर, खुदाताला और गाड के नाम पर करवाया है ! कितनी क्षुब्ध और व्यथित कर देने वाली बात है कि ईसाई धर्म के संस्थापक ईसा मसीह को ही यहूदी धर्म के नरपिशाच ठेकेदारों ने सूली पर चढ़ाकर मौत के मुंह में धकेलने का कुत्सित और जघन्यतम् अपराध किए हैं,वह तो संयोग है कि ईसा मसीह किसी तरह बचकर वहां से भारत को भाग निकले और यहां सुख और शांति से अपना शेष जीवन बिताए !_*
          
     

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