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बिहार राज वैक्सीन कुरियर संयुक्त संघर्ष मंच की ओर से तमाम सिविल सर्जन के समक्ष प्रदर्शन करते हुए

देव से मो० अरशद अली का रिपोर्ट

औरंगाबाद जिले में 8 सितंबर को बिहार राज्य वैक्सीन कूरियर संयुक्त संघर्ष मंच की ओर से धरना प्रदर्शन करते हुए
उप मुख्यमंत्री सह स्वास्थ्य मंत्री, बिहार सरकार, पटना। सचिव बिहार सरकार पटना अपर मुख्य सचिव, स्वास्थ्य विभाग, बिहार सरकार पटना । 1202 का हस्ताक्षर कार्यपालक निदेशक, राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार, पटना। बिहार प 17 जुलाई 2023 से बिहार राज्य स्वास्थ्य वैक्सीन कुरियर संघ- एटक एवं दिनांक 18 जुलाई 2023 से बिहार राज्य वैक्सीन कुरियर राम के द्वारा संचलित अनिश्चितकालीन हड़ताल के दौरान गठित बिहार राज्य वैक्सीन कुरियर संयुक्त

संघर्ष मंच के बैनर तले दिनांक 23-08-2023 को धरना-प्रदर्शन के माध्यम से मांग पत्र का समर्पण बिहार राज्य वैक्सीन कुरियर उक्त संघर्ष मंच के दो घटकों ने अपनी मांग आपके समक्ष प्रस्तुत करते हुए अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है। लगातार कई बार धरना-प्रदर्शन सहित अन्य ध्यानाकर्षण मूलक कार्यक्रम अपनाने के बाद वैक्सीन वियर की समस्याओं के संबंध में कोई कार्रवाई नहीं किये जाने के कारण बाध्य होकर के हम श्चितकालीन हड़ताल पर जाना पड़ा है। वर्ष 2005 में हमें 50/- (पचास) रू० प्रति बक्सा मानदेय पर जित किया गया था जो क्रमशः आज ५०/- (नब्बे) रू० प्रति बक्सा मिल रहा है। यह कार्य सप्ताह में 02 (दो) दिन यानि महीना में 08 (आठ) दिन किया जाता है जिसके एवज में हमें मात्र 720/- – सौ बीस) रू० महीना प्राप्त होता है। सुबह के 06 बजे प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र एवं सामुदायिक थ्य केन्द्रों से वैक्सीन का बक्सा लेकर चाहे 44 डिग्री सेन्टीग्रेड का गर्मी हो या हाड़ कंपा देने वाली – मुसलाधार वारिस हो रहा हो या उनका गिरने या ओला पड़ने की संभावना हो फिर भी टीका केन्द्रों बना दवा बीच में खत्म हो जाने पर पुन दुबारा आकर दवा ले जाना तथा शाम को 05 बजे पुनः लाकर मुख्यालय में जमा करना हमारा काम है। हमारी मेहनत के बल पर बिहार का टीकाकरण ‘मानक की बराबरी कर रहा है। आज जब बिहार का विकास दर भारत सरकार से भी आगे है रीबी रेखा से ऊपर उठने वाली सर्वाधिक लोगों की संख्या बिहार में ही है तो फिर वर्ष 2005 से क. मात्र महीना में 08 (आठ) दिन कार्य के लिए हम अपनी पूरी जिन्दगी एवं जवानी को दाव पर वाले के मानदेय में राज्य स्तर से वृद्धि नहीं करना घोर आश्चर्य का विषय है। न्याय के साथ एवं सामाजिक न्याय की सरकार से हम यह अपेक्षा रखते हैं कि हमें महीनोंगर का काम एवं – वैधानिक मजदूरी का भुगतान सरकार अपने माध्यम से करे दूर्गग स्थल, नदी, नाला, जंगल, व्यस्त सड़कें सभी को बिना किसी पहचान पत्र के पार करते हुए गंतव्य स्थल तक जाने के क्रम में टनावश मृत्यु हो जाती है तो आशा, ममता की तरह दुर्घटनाग्रस्त मृतक के परिवार को — (चार लाख) रू० मिलने वाली राशि का भी भुगतान नहीं होता है।

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