तजा खबर

बिहार में लगभग अठारह सौ वितरहित संस्कृत विद्यालयों का हाल खस्ता , सरकार पर राजनैतिक भेदभाव व विद्ववेश का आरोप ।

आलोक कुमार , केन्द्रीय न्यूज डेस्क खबर सुप्रभात

बिहार में आज लगभग अठारह सौ संस्कृत प्राथमिक , मध्य और उच्च विद्यालय वितरहित मान्यता प्राप्त कर संचालीत किया जा रहा है इनमें कुछ विद्यालयों का तो अपना भवन आज भी बरकरार है लेकिन अधिकांश विद्यालयों का भवन रख रखाव के आभाव में दम तोड रहा है। जानकारी के अनुसार इन विद्यालयों में लगभग बीस हजार शिक्षक पदस्थापित हैं। लेकिन दुर्भाग्य है कि वित्तरहित मान्यता मिले लगभग चालीस साल बित गये परन्तु अभी तक वित्तसहित इन विद्यालयों को मान्यता प्राप्त न हो सका है। फलस्वरूप विद्यालय में पदस्थापित शिक्षक भुखमरी के कगार पर पहुंच गये हैं। मालूम हो कि नबे के दशक में तत्कालीन मुख्यमंत्री डाक्टर जगरनाथ मीश्र कुछ संस्कृत विद्यालयों को वित्त सहित मान्यता दिये थे और तब उन विद्यालयों का कायाकल्प होने के साथ साथ शिक्षकों का भी तकदीर बदल गया था। लेकिन जो विद्यालय शेष बच्चे हैं वे आज भी वित्तीय मान्यता प्राप्त मिलने के आशा और उम्मीद पर कायम है और अपना कार्य विद्यालय में कर रहे हैं।इस संबंध में अपना नाम न छापने के सर्त पर एक शिक्षक ने खबर सुप्रभात को बतलाये की जब नबे के दशक में सरकार बदली तो लोगों में आशा और उम्मीद जगा था कि सायद नई सरकार अपना दरिया दिल देखाते हुए शेष बचे विद्यालयों को भी वित्तीय मान्यता देकर भुखमरी के कगार पर पहुंच चुके शिक्षकों को उबार कर सकेगी लेकिन आज तक सरकार बदली लेकिन अभी तक कोई मतलब नहीं रह गया और लगभग अठारह सौ विद्यालयों का नतो कायाकल्प हुआ और नहीं शिक्षकों का तकदीर बदल सका फल स्वरूप इन सभी कार्यरत शिक्षकों के मन असांत है और रोजी रोटी के लिए शिक्षक मुहत्ताज नजर पड़ रहे हैं।

2 thoughts on “बिहार में लगभग अठारह सौ वितरहित संस्कृत विद्यालयों का हाल खस्ता , सरकार पर राजनैतिक भेदभाव व विद्ववेश का आरोप ।”

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *