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औरंगाबाद जिले में सरकार द्वारा चलाए जा रहे अधिकांश योजना का लाभ धरातल पर नहीं

औरंगाबाद , खबर सुप्रभात

औरंगाबाद जिले में राज्य व केन्द्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे योजनाओं का लाभ सुदूरवर्ती इलाकों में धरातल पर दिखाई नहीं दे रहा है यदि कुछ योजनाएं धरातल पर उतारा भी गया है तो उसमें गंभीर भ्रष्टाचार मनमानी किया गया है। जिले में मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना के तहत नलजल योजना का स्थिति बद से बद्तर बना हुआ है अधिकांश नलजल योजना प्राक्कलन के विपरित तथा प्राकलित राशि को विभागीय अधिकारियों द्वारा लूटा गया है और तो और लगभग 90फिसदी नल जल योजना ठप है और पेयजलापूर्ति नहीं हो पा रहा है। मनरेगा योजना भी दम तोड रहा है और कच्छप चाल में है। मनरेगा मजदूरों को नवम्बर 2022से की प्रखंडों में मजदूरी का भुगतान नहीं हो सका है। अधिकांश राजकीय प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों में मीड डे मील के तहत बच्चों को मिलने वाले मध्याह्न भोजन योजना में सरकार द्वारा निर्धारित मेन्यू का अनुपालन नहीं हो रहा है तथा इस संबंध में शिक्षकों का आरोप है कि सरकार मेन्यू तो बना दिया है लेकिन मेन्यू के हिसाब से राशि नहीं उपलब्ध करा रही है फलस्वरूप मेन्यू का अनुपालन नहीं हो रहा है। आयुष्मान भारत, स्वक्षता अभियान, राशन योजना के अलावे सरकार द्वारा चलाए जा रहे एक भी योजनाओं का क्रियान्वयन इमानदारी पूर्वक धरातल पर नहीं दिखाई पड़ रहा है। आश्चर्यजनक पहलू तो यह है कि जिलाधिकारी द्वारा प्रत्येक सप्ताह में योजनाओं का स्थल जांच कराया जा रहा है लेकिन जांचोपरांत समुचित कार्रवाई नहीं हो रहा है जबकि कोई भी सरकारी योजना नहीं है जहां लूट और मनमानी नहीं किया गया है। जिलाधिकारी द्वारा प्रत्येक सोमवार को फ्लोअप

मीटिंग भी किया जाता है लेकिन परिणाम ढाक के तीन पात ही साबित हो रहा है और कोई सार्थक नतीजा सामने नहीं आ रहा है. इससे साफ जाहिर होता है कि सप्ताहिक जांच करने वाले अधिकारी या तो जांच अभियान को अपना कोरम पूरा कर रहे हैं और इमानदारी से स्थल जांच नहीं कर रहे हैं या फिर इसे मिलीभगत कर जांच अभियान को चारागाह बना चुके हैं और वास्तविक स्थिति से अपने वरिय पदाधिकारी अथवा जिलाधिकारी को अवगत नहीं करा पाते हैं। प्रतेयक सोमवार को होने वाले फ्लोअप मीटिंग का भी कमोवेश यही स्थिति है। इस संबंध में वरिय समाजिक कार्यकर्ता बिजेंद्र सिंह ने खबर सुप्रभात को बताते हैं कि इसके लिए सरकार और अधिकारी तो दोषी है ही साथ साथ ब्यवस्था भी कम दोषी नहीं है।

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