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जिले के दक्षिणी क्षेत्रों में गुण्डा गर्दी , सरकार प्रायोजित योजनाओं में भयंकर लूट के लिए जिला प्रशासन और बिचौलिए का सांठ गांठ दोषी नहीं है? जहां एक समय लाल आतंक कहा जाता था वहां आज भ्रष्ट अधिकारियों, बिचौलियों तथा जनप्रतिनिधियों का सांठ गांठ और गुण्डो का सम्राज्य स्थापित हो रहा है

औरंगाबाद खबर सुप्रभात समाचार सेवा

औरंगाबाद जिले के दक्षिणी हिस्से मदनपुर, देव, कुटुम्बा और नबीनगर के जंगल और पहाड़ी इलाकों में सरकार द्वारा गरीब , कमजोर और असहाय लोगों के उत्थान और विकास के नाम पर चलाए जा रहे योजनाओं में भयंकर लूट मची हुई है। सरकार के द्वारा चलाए जा रहे योजनाओं का धरातल पर कुछ भी दिखाई नहीं पड़ रहा है। अधिकारियों तथा बिचौलियों के सांठ गांठ से बंद कमरे तथा अधिकारियों के

कार्यालय में योजना के राशि को लूटने और कार्यों का खानापूर्ति कर लिया जा रहा है। विरोध करने वाले ग्रामीणों को फर्जी मुकदमों में फंसाने तथा भयभीत किया जा रहा है। इस आशय से संबंधित पुलिस और जिला प्रशासन को आवेदन के माध्यम से तथा कुछ अपराधिक योजना बनाने का Audio recording तक पुलिस के बड़े अधिकारियों तथा भेजा जाते रहा है। भेजे गए Audio recording में बड़ा बाबू (थानाध्यक्ष) से बातचीत कर लेने का भी जिक्र किया गया है। इतना ही नहीं अपराधिक योजना बनाए जाने का Audio recording सोशल मीडिया पर भी खुब वायरल हुआ। लेकिन जांच और कारवाई के नाम पर अभी तक नतीजा सिफर दिखाई पड़ रहा है। इससे साफ जाहिर होता है कि योजनाओं में भयंकर लूट और अपराधियों को बढ़ते मनोबल के लिए कहीं पुलिस के अधिकारियों तथा जिला प्रशासन के आलाधिकारियों का रवैया भी जिम्मेवार तो नहीं है? दुसरा सवाल यह है कि जिले के दक्षिणी क्षेत्रों जहां एक समय नक्सलियों का फरमान जारी होता था और नक्सलियों का बंदुकें गरजता था आज नक्सलियों का फरमान जारी होना बंद हो गया है लेकिन उसके जगह सरकारी योजनाओं को लूटने वाले सफेद पोश पंचायत प्रतिनिधियों तथा बिचौलियों का मनमानी अधिकारियों के मिली भगत से चल रहा है और जनता की आवाज को दबाने और कुचलने का संगठित गिरोह सक्रिय है तथा गुण्डो और असमाजिक तत्वों द्वारा मोबाइल फोन पर ही आपराधिक घटनाओं का अंज़ाम देने हेतु किये जा रहे तैयारी का Audio recording पुलिस के उच्च अधिकारियों तक भेजे जाने और सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल होने के बावजूद भी कारवाई के जगह प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों का चुप्पी आज जन मानस के बीच अबूझ पहेली बना हुआ है। साथ ही शोषित पीड़ित और असहाय नागरिक आत्म रक्षार्थ कुछ भी कर गुजारने के लिए चौराहे पर खड़ा है तथा विकल्प के तलाश करने लगे हैं।

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