तजा खबर

ठाकुर मुंसी, अवध सिंह, रामशरण यादव से भीम यादव तक का लम्बा सफर फिर भी गोह के सूदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के नाम पर लगाते रहे ग्रामीण, गोह का चुनावी इतिहास रहा है रक्तरंजित, विकास और जांच के नाम पर चारागाह बना गोह के इलाका

आलोक कुमार संपादक सह निदेशक खबर सुप्रभात

गोह (औरंगाबाद) औरंगाबाद जिले के दाउदनगर अनुमंडल के गोह प्रखंड के सूदूरवर्ती क्षेत्र अमारी पंचायत और इसके आसपास क्षेत्रों में आजादी के बाद से आज तक विकास के नाम पर खानापूर्ति और जांच के नाम पर लीपापोती तथा सरकारी एवं प्रशासनिक उपेक्षा का दंश झेल रहा है। बता दें कि अमारी पंचायत और इसके आसपास के इलाका

औरंगाबाद, गया, अरवल व जहानाबाद के सीमा से सटता है।यह क्षेत्र अति उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र के रुप में जाना जाता है। लेकिन आज तक इन क्षेत्रों में बुनियादी विकास का किरण भी नहीं पहुंच सका है तथा ग्रामीण शासन -प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों के द्वारा उपेक्षा का दंश झेलने के लिए मजबूर व लाचार हैं। बता दें कि गोह विधानसभा से अभि तक प्राय सभी दलों को बिहार विधानसभा में प्रतिनिधित्व करने का अवसर प्रदान किया। बिहार विधान परिषद में गोह के ही ठाकुर मुंसी जैसे प्रखर लोग प्रतिनिधित्व किये। अवध सिंह, रामशरण यादव, देवकुमार शर्मा (डीके शर्मा) डाक्टर प्रोफेसर रणविजय सिंह, मनोज शर्मा और वर्तमान में भीम यादव विधानसभा में प्रतिनिधित्व करने के बावजूद भी इस क्षेत्र के सूदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों में बुनियादी विकास के नाम पर केवल खानापूर्ति और जांच के नाम पर लिपापोती होते आ रहा है तथा ग्रामीण ठगे ठगे महसूस कर रहे हैं। इन इलाकों में सड़क का आज स्थिति यह है कि रोड़ में गढ़ा है या फिर गढ़ा में रोड़ है यह कहना बड़ा मुश्किल हो रहा है। सड़कों का जर्जर स्थिति यह है कि सड़क पर फोर व्हीलर और मोटरसाइकिल तो दुर पैदल चलना भी मुश्किल है तथा हमेशा दुर्घटना का निमंत्रण दे रहा है जर्जर सड़क। शिक्षा, स्वास्थ्य का खस्ताहाल इस बात का गवाही दे रहा है कि आजादी के बाद से चुनाव में उम्मीदवार आते हैं और लोक लुभावन वायदा तथा नारों के जाल में फंसकर तथा जाती के चक्रव्यूह में उलझकर विधानसभा में प्रतिनिधि भेजते रहे हैं। एक दौर था कि जब जब विधानसभा का चुनाव आता था तो इस क्षेत्र में जातिय उन्माद चरम पर होता था और चुनाव अंततः रक्तरंजित हुआ करता था। सागर पुर बुथ पर चुनाव के दिन चुनावी रंजिश में हुए हत्या कांड आज भी लोगों का रोंगटे खड़ा कर देता है। जिन लोगों का हत्या हुआ उसका तो घर परिवार उजड़ा ही लेकिन जो लोग इस हत्या कांड का अभियुक्त बने और न्यायालय में लम्बे चले ट्रायल में दोषी पाए गए तथा अजीवन कारावास तक का सजा भुगते उनके घरों का रौनक खत्म होने के बाद आज तक रौनक लौट कर वापस नहीं पहुंचा तथा आज भी वादी एवं प्रतिवादी के परिजनों पर इसका असर साफ दिखाई देता है। अब सवाल यह है कि जो लोग खुनी संघर्षो का तानाबाना बुनते रहे और चुनावी वैतरणी पार कर विधानसभा का सफर किये उनके परिजनों एवं रिश्तेदारों के घर चमक दमक एवं रौनक तो दिन दुना रात चौगुना के तरह बढ़ा लेकिन जिन लोगों ने चुनावी हिंसा के शिकार हुए उनके न तो घरों पर आज तक रौनक लौट सका और नहीं गांवों में विकास पहुंच सका। आज हालात यह है कि आजादी के लम्बे सफ़र के बावजूद भी लोग थपेड़े खाते आ रहे हैं तथा आजादी के अमृत महोत्सव ग्रामीणों को मुंह चिढ़ा रहा है। बुधवार यानी 15फरवरी 2023को गोह प्रखंड के अमारी डीह निवासी झुन्नू शर्मा, गौतम शर्मा के अलावे दर्जनों ग्रामीण एक खास मौके पर मुलाकात के दौरान खबर सुप्रभात से एक भेंट वार्ता के क्रम में बताये की क्षेत्र में विकास नहीं बल्कि विकास के नाम पर खानापूर्ति और जांच के नाम पर लीपापोती का खेल चल रहा है तथा जनप्रतिनिधियों,शासन -प्रशासन का उपेक्षा का दंश झेलने के लिए मजबूर और लाचार हैं।

1 thought on “ठाकुर मुंसी, अवध सिंह, रामशरण यादव से भीम यादव तक का लम्बा सफर फिर भी गोह के सूदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के नाम पर लगाते रहे ग्रामीण, गोह का चुनावी इतिहास रहा है रक्तरंजित, विकास और जांच के नाम पर चारागाह बना गोह के इलाका”

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *