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नवादा के हॉट सीट का विश्लेषण

शम्भु विश्वकर्मा कि रिपोर्ट

बेशक पहले चरण के मतदान के लिए प्रत्यासियो को प्रचार के लिए बहुत काम समय मिला है किन्तु क्षेत्र में लंबे समय से प्रचार प्रसार का श्रेय निर्दलीय प्रत्यासी विनोद यादव को जाता है । उनके नामांकन के बाद से क्षेत्र में राजनीतिक दलों के पसीने छूटने लगे हैं । लगातार जनसंपर्क और डोर-टू-डोर कैम्पेनिंग से जहाँ विनोद यादव के कार्यकर्ताओं का हौसला बुलन्द है वहीँ दो विधायक , एक एमएलसी और एक जिला परिषद अध्यक्ष समेत

– निर्दलीय प्रत्याशी भाई विनोद यादव

जिलेभर के पंचायत प्रतिनिधियों के तूफानी दौरे से यहां का समीकरण विनोद यादव के पक्ष में लामबंद हो गया है । खास कर एक ख़ास जाति का एकमुश्त वोट बीजेपी से खिसक जाने के बाद यहां का चुनावी माहौल स्वतः निर्दलीय प्रत्यासी विनोद यादव की गोद में आ गिरा है । मजे की बात ये कि नवादा नगर समेत अन्य कस्बाई क्षेत्र के व्यवसायिक वर्ग , पिछड़ा अतिपिछड़ा , अल्पसंख्यक समुदाय , यादव समुदाय और उच्च वर्ग के मोदी विरोधी वोट रोज-ब-रोज विनोद यादव के समर्थन में सभी तरह के परदे हटाकर एकजुट हो रहे हैं । आम लोग अब नवादा की तक़दीर और तस्वीर बदलने के लिए निर्दलीय उम्मीदवार विनोद यादव को विजयी बनाना चाहते हैं । लोग मानने लगे हैं कि इस बार नवादा इतिहास लिखेगा और निर्दलीय प्रत्यासी को सांसद बनाकर पूरे देश के नक़्शे पर नवादा को शिखर तक ले जायेगा । कारण बताते हुए चर्चा आम है कि दल के दलदल में फंसे प्रत्यासी जीतने के बाद व्यवहारिक तौर पर क्षेत्र का विकास नहीं कर पाते हैं और अपने आकाओं का हुक्म बजाते हुए पांच साल काट देते हैं । भाई विनोद यादव उसके ठीक विपरीत स्वतंत्र चुनाव जीतेंगे और किसी भी दल की गुलामी करना स्वीकार नहीं करेंगे । लोगों में यह भी चर्चा है कि बीजेपी को नवादा के लोग कई टर्म तक आजमा चुके हैं जबकि राजद के घोषित प्रत्यासी न कभी टिकाऊ रहे हैं न कभी रहेंगे । उनको सस्ते में खरीद लेना या बीजेपी के ऑपरेशन कमल का शिकार हो जाना बहुत आसान है । विनोद यादव दौलत कमाने नहीं बल्कि सेवाभाव से मैदान में डटे हैं जिन्हें खरीद पाना अंबानी अडानी के बस की भी बात नहीं है ।