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कुटुम्बा के प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के ब्यान तथा उनके द्वारा दिनांक 24सितम्बर को निर्गत आदेश संख्या 571 संदेह के घेरे में, घपला घोटाला और कुटरचना का संभावना प्रबल

अम्बा (औरंगाबाद) खबर सुप्रभात

औरंगाबाद जिले में कुटुम्बा प्रखंड अंतर्गत महशु मध्य विद्यालय में फर्जीवाड़ा और घपला घोटाला मामले में खबर सुप्रभात को आज 28 सितम्बर को कुटुम्बा के प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी डाक्टर यदुवंश यादव के द्वारा दिए गए ब्यान से साफ जाहिर होता है कि विद्यालय में फर्जीवाड़ा एवं घपला घोटाला हुआ है। घपला घोटाला और फर्जीवाड़ा के खेल में कौन कौन लोग शामिल हैं यह तो उच्चस्तरीय जांच से ही उजागर होगा। लेकिन प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी डाक्टर

यदुवंश यादव के ब्यान कि विद्यालय में वितीये अनियमितता नहीं हुआ है केवल जाली हस्ताक्षर से पैसा का निकासी किया गया है। उन्होंने अपने ब्यान में आगे कहे कि जांच के बाद कारवाई किया जायेगा, अब सवाल यह उठता है कि जब वे जाली हस्ताक्षर से पैसा निकासी करने का पुष्टि करते हैं और जांच करने और कारवाई करने का बात करते हैं तो जबतक मामले का जांच नहीं किये है तो जांच करने के पहले ही वे कैसे कह सकते है कि वितीये अनियमितता नहीं हुआ है यह तो अभी से ही लिपापोती करने का संदेह को पोख्ता कर रहा है , दुसरा सवाल यह उठता है कि जब प्रभारी प्रधानाध्यापक भीम प्रसाद गुप्ता 14 सितम्बर को विद्यालय के शिक्षा समिति

के सचिव को पत्र लिखकर जाली हस्ताक्षर से पैसा निकालने का जानकारी दी तो प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी डाक्टर यदुवंश यादव ने आनन फानन में केवल प्रभारी प्रधानाध्यापक भीम प्रसाद गुप्ता के जगह मनोज कुमार को प्रभारी प्रधानाध्यापक बनाने का आदेश संख्या 571 के अनुसार आदेश निर्गत कर अपने जिम्मेवारी से पल्ला झाड़ लिए। लेकिन जाली हस्ताक्षर से पैसा निकालने के विरुद्ध न तो प्राथमिकी दर्ज करा सके और नहीं जांच कर कोई अभी तक कठोर कार्रवाई कर सके। आश्चर्यजनक बात तो यह है कि प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी द्वारा जारी आदेश के बावजूद अभी तक मनोज कुमार को प्रभार नहीं सौंपा गया है और प्रभारी प्रधानाध्यापक भीम प्रसाद गुप्ता बगैर सूचना के ड्यूटी से फरार हैं और विद्यालय के सहायक शिक्षक भगवती शरण सिंह को 27 सितम्बर को विद्यालय का प्रभार किनके द्वारा सौंपा गया यह भी एक गंभीर मामला है और अभी तक अबुझ पहेली बना हुआ है। अभी तक खबर सुप्रभात को जो भी तथ्य सामने आया है उससे स्पष्ट होता है कि विद्यालय में फर्जीवाड़ा और घपला घोटाला का खेल हुआ है और इस खेल में परदा के पीछे कोई बड़ा हाथ भी हो सकता है। इसलिए पुरे मामले का सच्चाई स्थानीय जांच से नहीं बल्कि उच्चस्तरीय जांच से ही सामने आयेगा।

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