तजा खबर

ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक एक भारतीय के बहाने

गाजियाबाद से निर्मल शर्मा का आलेख

14 अगस्त 1947 की अर्द्ध रात्रि को जब प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भारत की नेशनल असेम्बली को सम्बोधित कर रहे थे तब अपने इतिहास प्रसिद्ध भाषण, जिसे ‘ट्रिस्ट विद डेस्टिनी ‘ के नाम से जाना जाता है, में कहा था, ‘जब आधी रात के घंटे बजेंगे और दुनिया सो रही होगी, तब भारत अपनी जिंदगी और आज़ादी के साथ जगेगा. ‘
         उसी दिन दो सौ वर्षों के ब्रिटिश उपनिवेशवाद का भारत से खात्मा हुआ था. ब्रिटिश संसद ने 18 जुलाई 1947 को ही भारत और पाकिस्तान को सत्ता हस्तांतरण का प्रस्ताव पास कर दिया था, लेकिन 15 अगस्त उसे लागू होने की तारीख थी.
          आजकल भारत अपनी आज़ादी की पचहत्तरवीं सालगिरह मना रहा है और आज जब पूरा भारत दीपावली मना रहा है, अपने घरों को दीया-बाती से सजाने की धुन में है, तो सात समुन्दर पार उसी विलायत में भारतीय मूल का एक इंसान ब्रिटेन का प्रधानमंत्री चुन लिया गया है, जिसे चार रोज बाद उसको ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई जाएगी !
            यह इंसान है 42 वर्षीय ऋषि सुनक, जिसके दादा पंजाब के गुजरावालां से 1935 में अफ्रीकी देश केन्या नौकरी करने गए और फिर 1966 में किस्मत की करवटें लेता यह परिवार यू. के.यानी ब्रिटेन पहुंच गया !
            इसी परिवार में 12 मई 1980 को जन्मा बालक ऋषि आज ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बन गया है !
            यह खबर मैं उन लोगों के लिए लिख रहा हूँ, जो सोनिया गांधी के भारत का प्रधानमंत्री बनने को लेकर एक समय हाय-तौबा मचाए हुए थे. जान दिए हुए थे, मानो भारत फिर से गुलाम हो जाएगा !
         ऐसे लोग भी हैं, जो स्वतंत्र भारत का प्रथम गवर्नर जनरल माउंटबेटेन को बनाए जाने के कॉंग्रेसी फैसले पर आज तक सवाल उठाते रहे हैं !

         अब वे लोग क्या करेंगे ?
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       मैं नहीं समझता उन जैसे लोगों पर कोई असर होगा. हम महान हैं, हम कहीं कुछ भी हो सकते हैं. हम आपके यहाँ चाय पीने आएँगे , लेकिन अपने यहाँ किसी को चाय पर आमंत्रित नहीं करेंगे. हमारा यही सामाजिक शिष्टाचार है. हम डरे हुए लोग हैं. दुनिया हमें ठग लेगी, फुसला लेगी जैसे भय हमें हमेशा घेरे रहते हैं !
           हमारी यह गुलाम मानसिकता है. न हम किसी को मित्र बना सकते हैं, न किसी से खुल कर बात कर सकते हैं.इन सभी बातों से दूसरे से हम कैसे सीख सकेंगे, यह कैसे संभव हो सकता है ! हम तो कथित तौर पर जगद गुरु भी हैं ! और यही गरूर हमें मूर्खता में तब्दील होकर हमें सारी दुनिया भर में हास्यास्पद बना देती है !
              ऋषि आस्था से हिन्दू हैं. जब वह ब्रिटिश पार्लियामेंट के सदस्य थे, तब उन्होंने गीता को साक्षी मान कर शपथ ली थी. वह प्रधानमंत्री के पद की शपथ भी वैसे ही लेंगे,ऐसी उम्मीद की जाती है. लेकिन इसे लेकर ब्रिटेन में कोई चिल्ल-पों नहीं मचा रहा है. उनकी राष्ट्रीयता ब्रिटिश है, धर्म हिन्दू. लेकिन वह कंज़र्वेटिव पार्टी के नेता हैं.
                ऋषि सुनक भारतीय उद्योगपति और इनफ़ोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ती और सुधा मूर्ती के दामाद हैं. उनकी पत्नी अक्षता सुनक भारत में जन्मी हैं. उम्मीद है अब वह ब्रिटेन के प्रधानमंत्री आवास 10 डाउनिंग स्ट्रीट में रहेंगी, लेकिन वहां कोई सुषमा स्वराज नहीं है,जो इसके लिए अपने बाल कटवाने जा रही है और हंगामा कर रही है.

हम लोगों को इन सब से सीखना चाहिए
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            लेकिन अभी तो ऋषि सुनक को ब्रिटिश प्रधानमंत्री बनने की बधाई !  सुनक, आप कंज़र्वेटिव हो और आपके विचारों से मेरे विचारों की टक्कर है, लेकिन थोड़ी -सी ख़ुशी इसलिए है कि भारतियों की एक कुंठा ध्वस्त हुई. एक भारतीय मूल का व्यक्ति आज ब्रिटिश प्रधानमंत्री है. हालांकि इसमें बड़प्पन तो ब्रिटेन का है !
        वह एक ऐसा मुल्क है जिसकी राष्ट्रीयता इतनी ख़ास है कि एक अल्पसंख्यक हिन्दू भी वहां सहज रूप से प्रधानमंत्री हो सकता है.
         हमारा भारत इतना महान कब बनेगा कि यहां पर भी राष्ट्रीयता पर धर्म, जाति और वर्ण हावी नहीं हो  !
                     
                साभार – अज्ञात, संपर्क – अनुपलब्ध

              प्रस्तुतकर्ता – कामरेड ब्रिजेश कुमार सिंह चौहान,

             संकलन व संपादन -निर्मल कुमार शर्मा गाजियाबाद

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