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मतदान का प्रतिशत कम होने से प्रत्याशियों में चिंता

डीके अकेला का रिपोर्ट


बेहद नक्सल प्रभावित कहे जाने वाले बहुचर्चित रजौली और गोबिंदपुर विधानसभा क्षेत्र समेत नवादा लोकसभा के सभी 6 विधानसभा क्षेत्रों के 2043 मतदान केंद्रों पर मतदान शांतिपूर्ण रहा। 7 बजे सुबह से 10 दिन तक मतदान की प्रक्रिया काफी तेज रही। दोपहर में ज्यादातर बूथ खाली दिखाई दिया। इसके बाद शाम में फिर एक बार वोटरों की कतारें लम्बी हो गई। जिला मुख्यालय के अलावा इस बार सुदूर पूर्ण नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भी वोटरों को काफी उत्साहित देखा गया। जिला मुख्यालय में बनाये गये कन्ट्रोल रूम से कड़ी नजर लोकसभा के सभी 14 प्रखंडों के 5 विधानसभा क्षेत्रों में चुनावी गतिविधियों पर रखी जा रही थी। चुनाव के बाद इवीएम को केएलएस कालेज के काउंटीग सेंटर में रखा गया। यहाँ सुरक्षा के कड़े इंतजाम किया गया है।
चुनाव के दौरान एससएलआर तथा 20 राउण्ड गोली गायब हो गया।


नवादा ज़िले के पकरीवरावा प्रखंड के बूथ संख्या 234 राजोबीघा गांव में समस्तीपुर से आये सिपाही उत्तम कुमार रावत की एसएलआर राइफ़ल और 20 राउण्ड गोली गायब हो गई । जिला प्रशासन ने तत्काल सख्त कार्रवाई करते हुए सिपाही उत्तम कुमार रावत को निलंबित करते हुए पकरीवर्मा पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज करके राइफ़ल की खोजबीन शुरू कर दी गई। हालांकि, सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गायब एसएल आर राइफ़ल और गोली बरामद हो गया है। इसमें पुलिस की मिलीभगत की संभावना की चर्चा लोगों में हैं।
वारसलीगंज और बरबीघा में वोट के प्रतिशत पहले की तुलना में बेहद कम


पिछली बार से बहुत कम वोट के प्रतिशत एनडीए और इंडिया गठबंधन समेत तमाम प्रत्याशियों के नींद और चैन उड़ा कर रख दिया है । सवर्ण बाहुल्य वारसलीगंज और बरबीघा में बोट का प्रतिशत अपेक्षा से काफी कम है। रजौली ,हिसुआ और नवादा में वोट का प्रतिशत कुछ बेहतर रहा। हालांकि पिछले लोकसभा चुनाव के तुलना में कम ही रहा है। शहरी क्षेत्रों में चुनावी छुट्टी का भी असर देखने को मिला। मतदाता काफी कम संख्या में बूथों पर पहुचते नजर आए। नवादा शहर में 2 पिंक और 2 आदर्श बूथ बनाये गये थे। इसके बावजूद भी वोटरों को बूथ तक लाने में वह भी सफल नहीं हुए। सुरक्षा को लेकर चुनाव आयोग ने 38 कम्पनियां पुलिस तैनात की गई थी। खासकर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में ड्रोन कैमरे की मदद से निगरानी की गई। इस बार लोकसभा चुनाव में मतदाताओं के उत्साह के जगह पर बहुत ही उदासीनता देखने को मिला। बहुतेरे मतदाताओं का कहना था कि कोई उम्मीदवार जनहित के लिए नहीं, बल्कि अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए चुनाव मैदान में हैं। इनसे आम अवाम का कोई भी लाभ असम्भव है। इसीलिये मतदान को गलत उम्मीदवार के पक्ष में देने से बेहतर है सुरक्षित ही रखना। उनका कहना था कि गोईठा मे घि सुखाने से क्या फायदा होगा ? जब उम्मीदवार ही पसंदीदा नहीं है तो वोट को बर्बाद करने के बेहतर है सुरक्षित रख लेना।