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सलैया में शौर्य दिवस का आयोजन

मदनपुर से सुनील कुमार सिंह का नाम

मदनपुर प्रखंड के ग्राम सलैया स्थित हरि बीघा के देवी मंडप प्रांगण में राम भक्तों के द्वारा गीता जयंती के अवसर पर शौर्य दिवस का भव्य आयोजन किया गया। विश्व हिंदू परिषद की पद्धति के अनुसार आयोजन का शुभारंभ वैदिक विधान से प्रणवोच्चार, विजय महामंत्र तथा एकात्मता मंत्र के सस्वर पाठ के साथ किया गया। तथा श्री गीता ग्रंथ पर पुष्पांजलि अर्पित करके पूजन वंदन किया गया। विश्व हिंदू परिषद धर्म प्रसार के विभाग प्रमुख डॉक्टर संत प्रसाद ने संगठन के अधिकारियों तथा कार्यकर्ताओं का परिचय कराते हुए आयोजन के हेतु पर विस्तार पूर्वक प्रकाश डाला।
विश्व हिंदू परिषद के विभाग प्रमुख रामाकांत सिंह ने उपस्थिति को संबोधित करते गीता जयंती की महत्ता को बताते हुए कहा कि श्री गीता जी के प्रत्येक शब्द विश्व गुरु भगवान श्रीकृष्ण के मुखारविंद से प्रस्फुटित है ।तथा इसके प्रत्येक श्लोक मानव जीवन के लिए क्रमगत संसार का सांगोपांग संविधान है। एवं धर्म रक्षार्थ नीति और नियमों के प्रतिपाल करने का ब्रह्मास्त्र है। इस अवसर पर उपस्थित विश्व हिंदू परिषद बजरंग दल के पूर्व प्रदेश प्रमुख एवं विश्व हिंदू परिषद के आजीवन हितचिंतक तथा राष्ट्रीय संस्था स्वदेश भारती के केंद्रीय अध्यक्ष जितेंद्र सिंह परमार ने अपने संबोधन में कहा कि 6 दिसंबर भारतीय इतिहास के लिए एक गौरवपूर्ण तिथि है। उन्होंने बताया कि 15 अगस्त 1947 में भारत को प्राप्त आधी अधूरी, लुंज पुंज आजादी की पूर्णता वर्षों के संघर्ष के बाद 6 दिसंबर 1992 को हुई थी। इस आजादी की पूर्णता का शंखनाद हुआ था– भगवान श्री राम की जन्म स्थली अयोध्याधाम से। सैकड़ों वर्षो से पराधीन भगवान श्री राम की जन्म स्थली को राष्ट्र भक्तों ने अपने पराक्रम और शौर्य से 6 दिसंबर 1992 को परतंत्रता से मुक्त करते हुए भगवान श्री राम के भव्य मंदिर निर्माण का संकल्प लिया था ! इसलिए राष्ट्र भक्तों के लिए यह 6 दिसंबर की तारीख कोई सामान्य कैलेंडर की तारीख नहीं है । बल्कि भारत के इतिहास में पूर्ण विजय का शुभांक तिथि है।
इन्होंने श्री राम जन्म भूमि की गौरव गाथा पर सविस्तार प्रकाश डालते हुए कहा कि श्री राम जन्मभूमि मंदिर वोट का विषय नहीं है। बल्कि देश की आस्था का प्रतीक है। जन-जन के आराध्य भगवान श्री राम की जन्मभूमि, सूर्यवंश के प्रतापी राजाओं की राजधानी, सप्तपुरीओं में से एक, जैन मत के 5 तीर्थंकरों की जन्मस्थली, भगवान बुद्ध की तपोस्थली, सीख मतके प्रवर्तक गुरु नानक देव, नवम गुरु श्री तेग बहादुर और दशम गुरु श्री गोविंद सिंह यहां पधारे । प्राचीन भारत का समस्त इतिहास सरयू तट पर बसी इस नगरी की गाथा है। दुनिया भर के इतिहासकारों, विदेशी यात्रियों ने अपनी रचनाओं में अयोध्या का वर्णन किया है। इतना ही नहीं विश्व प्रसिद्ध प्रकाशकों के द्वारा प्रकाशित विभिन्न काल खंडों के एटलसों में सांस्कृतिक भारत के मानचित्र में अयोध्या को प्रमुखता के साथ दर्शाया गया है। दुर्भाग्यवश सैंकड़ों वर्ष से

भारत भारती के इस ऐतिहासिक नगरी की पराधीनता पर किसी ने गंभीरतापूर्वक सोचा तक नहीं। किंतु स्वयं भगवान श्री राम की प्रेरणा से राष्ट्र भक्तों के प्रचंड आंदोलन के परिणाम स्वरूप अंततः 6 दिसंबर 92 को अयोध्या धाम स्थित राम जन्मभूमि सदा सदा के लिए पूर्ण स्वतंत्रत हो गया। तथा इस तिथि को शौर्य दिवस का विजय पताका फहराया गया।
उपस्थित राम भक्तों को विश्व हिंदू परिषद के प्रखंड अध्यक्ष जयराम सिंह, धर्म प्रसार के प्रखंड प्रमुख राम पुकार सिंह, गोरक्षा के प्रखंड प्रमुख आशुतोष कुमार सिंह, धर्म प्रसार के संयोजक अनिल कुमार सिंह तथा एकल अभियान मदनपुर संच के सचिव दिलीप प्रसाद के अलावे समाजसेवी धर्मेंद्र कुमार सिंह ने भी संबोधित किया।
कार्यक्रम में किशन विश्वकर्मा, रितिक रोशन, डॉ हीरालाल, रामस्वरूप सिंह, राम नरेश यादव, धनंजय कुमार सिंह, उपेंद्र साहू, संजय कुमार यादव, रामाधार राम, बसंत मिस्त्री सहित सैकड़ों की संख्या में राष्ट्रभक्त उपस्थित थे।

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