औरंगाबाद खबर सुप्रभात
बिहार सरकार के पुर्व मंत्री एवं राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश उपाध्यक्ष डा सुरेश पासवान ने कहा है कि सेना में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना के घोषणा के साथ ही देश में धरना प्रदर्शन और आंदोलन का सिलसिला जारी है। किसी भी लोकतांत्रिक देश में सरकार के समक्ष अपनी बातों को पहुंचाने का तरीका होता है सत्य अहिंसा के रास्ते धरना,प्रदर्शन, सत्याग्रह, आंदोलन के माध्यम से बातों को पहुंचाया जाता है और कोई भी संवेदनशील सरकार आंदोलनकारियों से वार्ता कर उसके समाधान का रास्ता निकलने का प्रयास करती है। लेकिन वर्तमान केन्द्र की सरकार युवाओं और विपक्षी दलों के आवाज को दबाने की जिस तरह कोशिश कर रही है उससे तो यही लगता है कि सरकार के द्वारा सीधे सीधे लोकतंत्र और संविधान का गला घोंटा जा रहा है।जो लोकतंत्र के लिए बिल्कुल ठीक नहीं है। हमेशा संवाद से ही समाधान के रास्ते निकलते हैं।
डॉ पासवान ने कहा है कि जिस तरह कल सेना के तीनो प्रमुखों के द्वारा धमकी भरा सफाई पेश किया गया उससे साफ लग रहा था कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में सेना का शासन स्थापित हो चुका है क्या? अड़ियल रुख और उनकी भाषा से स्पष्ट हो रहा था कि हम जो कह रहे हैं वह सही है और इसे मानना ही पड़ेगा जो सर्वथा उचित नहीं है। लेकिन यह नहीं भुलना चाहिए कि देश बहुत बड़ा है और उससे भी बड़ा जनता जनार्दन है।जिस किसी ने भी दंभ और अहंकार के बल पर जनता जनार्दन की बातों को अनसुनी करने का काम किया है उसे इतिहास याद रखना चाहिए कि अर्श से फर्श पर आते देर नहीं लगती। इसलिए प्रधानमंत्री जी अहंकार छोड़िए युवाओं के दर्द को समझिए, इसी देश के युवा नौजवान आपसे जानना चाहते हैं कि चार साल में तो डिग्री भी नहीं मिलती हमें सेना से रिटायर कर रहे हैं तो हम जाएंगे कहां। मेरी शादी की उम्र में रिटायर कराकर आप हमें बुढ़ापे की ओर धकेल तो नहीं रहें हैं।यह योजना हम नौजवानो का जीवन बर्बाद करने के अलावा कुछ भी नहीं है। इसलिए अग्निपथ कानून को वापस लेते हुए पुराने भर्ती प्रक्रिया शुरू किया जाए।
आपके भाजपा के नेता कैलाश विजयवर्गीय ने तो भाजपा और आरएसएस के अंदर की बात ही कह दिया कि रिटायरमेंट के बाद हम आपको भाजपा दफ्तर में चौकीदारी का काम देंगे। और वह सच भी इसलिए लग रहा है कि अभी से ही भाजपाइयों और भाजपा कार्यालय पर अर्धसैनिक बलों की तैनाती कर दिया गया है।जो समझने के लिए काफी है। प्रधानमंत्री जी आपको पुरे देश की चिंता करना चाहिए न कि सिर्फ भाजपाइयों और भाजपा कार्यालय की।यह किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं है।