केन्द्रीय न्यूज डेस्क , खबर सुप्रभात
देश में केन्द्र सरकार द्वारा अचानक अग्नि पथ के रास्ते सेना में भर्ती प्रक्रिया का घोषणा से एक बार पुरे देश के छात्र युवाओं में उबाल आ गया है। छात्र युवाओं ने न देश भर में अहिंसक आंदोलन पर उतारू है। कही रेल सेवा बाधित कर रहे हैं तो कहीं हाइवे जाम कर याता यात । पुलिस थाना को भी नीशाना बनाया जा रहा है। बिहार के औरंगाबाद जिले के दाउदनगर अनुमंडल मुख्यालय में एक नीज विद्यालय पर हमला करने से दर्जन भर छात्र छात्राएं घायल हो गए तथा विद्यालय के चार वाहन को जला दिया गया। निज स्कूल पर यह पहला हमला माना जा रहा है इसी अनुमंडल में गोह थाना पर हमला का प्रयास के अलावे देश भर में हिंसक आंदोलन का खबर प्राप्त हो रहा है जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है। देश में रेलवे का समय सारणी बदला जा रहा है , इंटरनेट सेवा सस्पेंड किया जा रहा है इससे भी देश एक तरह से अचानक ठप हो गया है। सरकार के अग्नि पथ के रास्ते सेना बहाल करने का रास्ता का विरोध करने वालों का रास्ता लोकतांत्रिक पद्धति से होना चाहिए था लेकिन लोकतांत्रिक पद्धति से न होना और हिंसक आंदोलन का रास्ता अपनाया जा रहा है जो लोकतांत्रिक देश में किसी भी माप दण्ड से उचित नहीं कहा जा सकता है। लेकिन अब सवाल यह उठता है कि आखिर इसके लिए जिम्मेवार कौन है? क्या अग्नि पथ का घोषणा करने के पूर्व सरकार को देश के संसद और विपक्ष का विश्वास हासिल करना उचित नहीं होता। लेकिन सरकार न तो संसद का विश्वास हासिल करना उचित समझा और नहीं विपक्ष का। यानी सरकार अपने फैसला को पुरे देश पर थोपने का फासिस्ट रवैया फिर से एक बार दिखाया है , इस तरह फासिस्ट रवैया पहले भी देखा चुकी है जिससे देश को भारी नुक्सान उठाना पड़ा है यहां तक कि देश का आर्थिक विकास दर काफी नीचले पैदान पर आ चुका है। नोट बंदी का फैसला , लोकडाउन का घोषणा भी अचानक किया गया था और नहीं संसद और नहीं विपक्ष को विश्वास में लिया गया था। और अब अगि्न पथ के रास्ते सेना में भर्ती प्रक्रिया का घोषणा यह साफ जाहिर होता है कि सरकार अपार बहुमत का नशे में चुर होकर देश में लोकतांत्रिक मूल्यों को समाप्त कर फासिस्टवादी रास्ते पर चल रही है।
Excellent write-up