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कुटुम्बा प्रखंड में निजी वगैर रजिस्ट्रेशन के चल रहा है दर्जनों निजी विद्यालय, रजिस्ट्रेशन प्राप्त दर्जनों निजी विद्यालय नहीं पुरा करता है आहर्ता, बच्चों और अभिभावकों का हो रहा है शोषण, जिला शिक्षा पदाधिकारी बने हुए हैं अनजान

अम्बा खबर सुप्रभात समाचार सेवा

औरंगाबाद जिले के कुटुम्बा प्रखंड में इन दिनों शिक्षा माफियाओं का जमावड़ा बना हुआ है। जानकारी के अनुसार कुटुम्बा प्रखंड में शहरी क्षेत्रों से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक निजी विद्यालय का जाल बिछा हुआ है।इन विद्यालयों में अयोग्य शिक्षकों के माध्यम से बच्चों का भविष्य संवारने तथा उन्नत

शिक्षा मुहैया कराने का दावा विद्यालय संचालकों द्वारा किया जाता है जो काफी हास्यास्पद है। जानकारी के अनुसार प्रखंड मुख्यालय अम्बा से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में मात्र 25 निजी विद्यालय होने का सूची प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी कुटुम्बा के कार्यालय में है जो खबर सुप्रभात को प्रखंड

कार्यालय से उपलब्ध कराया गया है। जबकि प्रखंड मुख्यालय अम्बा के अलावे ग्रामीण क्षेत्रों तक यदि उच्चस्तरीय जांच पारदर्शिता पूर्ण कराया जाए तो दर्जनों वैसे निजी विद्यालय चल रहा है जिसका नाम प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी कुटुम्बा द्वारा उपलब्ध कराए गए निजी विद्यालयों के सूची में नहीं है। जिन विद्यालयों का नाम सूची में है उनमें अधिकांश वैसे विद्यालय है जो सरकार द्वारा निर्धारित आहर्ता (शर्तें ) पुरा नही करता है। लेकिन उन्नत शिक्षा मुहैया कराने का दावा विद्यालय संचालकों द्वारा किया जा रहा है और बच्चों तथा अभिभावकों का आर्थिक दोहन धड़ल्ले से किया जा रहा है। चौंकाने वाला बात तो यह है कि इसकी जानकारी नहीं स्थानीय शिक्षा विभाग को है और नहीं जिला शिक्षा पदाधिकारी को तभी तो धड़ल्ले से शिक्षा माफियाओं द्वारा वगैर रजिस्ट्रेशन के तथा वगैर आहर्ता पुरा किए दर्जनों निजी विद्यालय चलाए जा रहे हैं जहां बच्चों तथा अभिभावकों का आर्थिक और मानसिक शोषण हो रहा है। यदि इन विद्यालयों में बच्चों को घर से स्कूल लाने और घर पहुंचाने वाले जो स्कूल वाहन है उसमें अधिकांश वाहन खटारा बना हुआ है और परिवहन नियमों का धज्जी उड़ाया जा रहा है। इस संबंध में जब खबर सुप्रभात के प्रतिनिधि जिला शिक्षा पदाधिकारी संग्राम सिंह से उनका पक्ष जानने का प्रयास किया गया तो उन्होंने इस तरह के जानकारी नहीं होने का बात बताते हुए कहे कि जानकारी मिलने पर जांचोपरांत उचित कार्रवाई किया जाएगा। लेकिन सवाल यह उठता है कि इसकी जानकारी जिला शिक्षा पदाधिकारी को नहीं होना आखिर किस बात का संकेत है इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। शिक्षा विभाग के अधिकारी या तो अपने उद्देश्यों से भटक चुके हैं और अधिकारियों का प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष संरक्षण प्राप्त है या फिर उन शिक्षा माफियाओं के समक्ष बौना साबित हो रहे हैं।

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  1. The most common reasons for infidelity between couples are infidelity and lack of trust. In an age without cell phones or the internet, issues of distrust and disloyalty were less of an issue than they are today.

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