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मगध क्षेत्र में फसल में मधुआ कीट लगने की शिकायत

अम्बुज कुमार , खबर सुप्रभात

भूरा मधुआ कीट धान का रस तनो से चूसता है। ये हल्के भूरे रंग के होते हैं। व्यस्क एवं बच्चे पौधे तने के आधार मे रस चूसते हैं। अधिक रसश्राव के कारण पौधे पीले हो जाते हैं तथा जगह जगह गोल चटाईनुमा क्षेत्र बनता है जिसे हाॅपर बर्न कहते है।

इसके लिए निम्न दवाएं उपयोगी है।

एसिटामेप्रिड 20% एस पी 0.25 ग्राम
अथवा
बूप्रोफेजिन 25% एस सी 1.5 मिलीलीटर
अथवा
कार्बोसल्फान 25 ई सी 1.5 मिलीलीटर
अथवा
इथोफेनोप्राक्स 10% ई सी 1 मिलीलीटर
अथवा
फिप्रोनिल 0.5 एस सी 2 मिलीलीटर
अथवा
थायामेथाक्साम  25 % डब्लू जी 1 ग्राम
अथवा एसिफेट 50% + इमिडाक्लोप्रिड 1.8 % एस पी 2 ग्राम
फिप्रोनिल 0.4 % + थायमेथाक्साम 4 % एस सी 2 मिलीलीटर

प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर फसल में छिड़काव करना है।

1 एकड़ में लगभग 150 से 200 लीटर पानी का प्रयोग किया जाना चाहिए।

इनमें से कोई एक दवा प्रयोग की जा सकती है एवं 5 दिन पर दुबारा स्प्रे किया जाना चाहिए।

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