तजा खबर

मानवाधिकार आयोग ने पुलिस बर्बरता पर संज्ञान लिया और नवादा पुलिस अधीक्षक से जांच प्रतिवेदन मांगा

नवादा से डी०के० अकेला का रिपोर्ट

पुलिस की हर ज्यादती के बाद ढाल बनकर खङे रहने वाले पुlलिस अधीक्षक की मनमानी अब चलने वाली नहीं है।व्यक्ति अब सीधे राष्ट्रीय और राज्य मानवाधिकार आयोग का शरण लेने लगे हैं। उक्त मामला सदर प्रखंड नवादा के भगवानपुर पंचायत के नेया गाँव से जुङा है। मुफस्सिल थाना के तत्कालीन थानाध्यक्ष दीपक कुमार के कार्यकाल में उनके नेतृत्व में नेया गाँव के कई बुजुर्ग और महिलाओ के साथ घर का दरवाजा तोड़कर मारपीट का आरोप ग्रामीणों द्वारा लगाया गया। उक्त संगीन घटनाक्रम को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने केस नम्बर 281/24 के माध्यम से निबंधित कर नवादा पुलिस अधीक्षक को मेल द्वारा सूचना दिया है तथा एसडी डां आरसी श्रीवास्तव, एसबी -5 कानून सलाहकार द्वारा भूपेश कुमार एवं अन्य के सम्बन्ध में जांच का आदेश दिया है।
आयोग द्वारा भेजे गए मेल में बताया गया है कि दिनांक 20 दिसमबर 2023 को ग्रामीणों द्वारा शिकायत किया गया है , जो कि 7 फरवरी 2024 को आयोग के समक्ष रखा गया। इसका अवलोकन करने पर आयोग ने निर्देश दिया है ,जिसमें शिकायत उचित समझे जाने पर न्यायोचित कारवाई के लिए सम्बन्धित पदाधिकारियों को प्रेषित किया जायगा।
इसी के आलोक में पुलिस अधीक्षक को उक्त मामले की जिम्मेदारी दी है। पुलिस उत्पीड़न से पीड़ित भूपेश कुमार ने मामले की जानकारी देते हुए बताया कि मुफस्सिल थाना कांड के माध्यम से कुल 13 लोगों पर प्राथमिकी दर्ज हुई और अन्य 100 को अगयात रखा गया था। उन्हीं अभियुक्त को पकङने के बहाने नेया गाँव में घर का दरबाजा तोड़कर कई सामानों पुलिस उठाकर ले गई। पुलिस अधीक्षक समेत अन्य अधिकारी उक्त घटना की जांच में अनसुनी कर दी गई। तब लाचार व विवश होकर ग्रामीण को मानवाधिकार आयोग की शरण में जाकर न्याय के लिए दरबाजा खटखटाने के लिए मजबूर होना पड़ा।
सनद रहे कि कुछ इसी प्रकार पुलिस उत्पीड़न की कहानी जिले के वरिष्ठ पत्रकार भैया जी के साथ अकबरपुर के थानाध्यक्ष ने की थी, जो राष्ट्रीय और राज्य मानवाधिकार आयोग मेें चल रहा है। इतना ही नहीं, बल्कि उग्रवाद प्रभावित गोविंदपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत डुमरी गाँव में पुलिस उत्पीड़न की चर्चित घटना की जांच पड़ताल बिहार के पुलिस महानिरीक्षक तक ने फिलहाल की है, जिसका फलाफल आना अभी शेष है। पुलिस उत्पीड़न के शिकार लोग सब न्याय की बाट जोह रहे है।अब देखना यह है कि पुलिस ज्यादती से पीड़ित लोगों को कब तक न्याय मुअसर होगा ?