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संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए भाजपा गठबंधन को हराना महिलाओं का सर्वोच्च दायित्व

पटना संवाद सूत्र खबर सुप्रभात समाचार सेवा

महिलाओं को विकास में समान हकदारी और सुरक्षा के सभी मोर्चों पर केंद्र में सत्तारूढ़ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार पूरी तरह विफल रही है। घृणा, नफ़रत और हिंसा पर आधारित भाजपा की हिन्दुत्व की विचारधारा मूलतः महिला विरोधी और साम्प्रदायिक फासीवाद की जनक है। महिला कार्यकर्ताओं का यह कन्वेंशन बिहार की महिलाओं का आह्वान करता है कि वे आसन्न लोकसभा चुनाव में भाजपा गठबंधन को हराने के लिए कृतसंकल्प हैं। राज्य स्तरीय महिला कार्यकर्ताओं का एक दिवसीय कन्वेंशन आज पटना स्थित गांधी संग्रहालय में लोकतांत्रिक जन पहल के तत्वावधान में आयोजित किया गया जिसमें प्रदेश के उन्नीस जिलों से 84 महिला कार्यकर्ताओं ने भाग लिया जिसमें युवतियों की संख्या ज्यादा थी। जिस जिले से प्रतिनिधि साथी शामिल हुई वे हैं, आरा, बक्सर, रोहतास, औरंगाबाद , गया, नवादा, नालंदा, जमुई, बांका, मुंगेर, लखीसराय, मुजफ्फरपुर, शिवहर, मधुबनी, छपरा , वैशाली, पटना, अरवल और जहानाबाद।कन्वेंशन दो सत्रों में चला। प्रथम सत्र के अध्यक्ष मंडल में सुधा वर्गीज, कंचन बाला, उर्मिला कर्ण, सुनीता कुमारी, संगीता और मंजु डुंगडुंग शामिल थीं। इस सत्र का संचालन किया कंचन बाला ने। भोजन के बाद के सत्र के अध्यक्ष मंडल में आनंद रंजना, तबस्सुम अली, गौरी और देवोप्रिया शामिल थीं। इस सत्र का संचालन किया तबस्सुम अली ने। जानी मानी राजनीतिक सामाजिक नेता कंचन बाला ने कन्वेंशन के प्रारंभ में कन्वेंशन की पृष्ठभूमि और मुद्दे पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संविधान और लोकतंत्र को बचाना हम महिलाओं का आज सर्वोच्च दायित्व है। क्योंकि संविधान और लोकतंत्र ही हमारे बराबरी के अधिकार की गारंटी करता है। समाज में धर्म आदि किसी भी आधार पर घृणा, नफ़रत और हिंसा होगी तो उसका सबसे क्रूर शिकार महिलाएं होती हैं चाहे वो किसी भी धर्म या जाति की हों।सामाजिक क्षेत्र और महिला आंदोलन की अग्रणी नेता सुधा वर्गीज ने दलित पिछड़े महिलाओं की समस्याओं को उठाते हुए आगामी लोकसभा चुनाव की ओर इशारा करते हुए कहा कि हम महिलाओं को अभी से सावधान हो जाने की जरूरत है क्योंकि अब मामला है कि अभी नहीं तो कभी नहीं। महिलाओं की सामाजिक समता के लिए अग्रणी स्तर पर सक्रिय रूप से जुड़ी उर्मिला कर्ण ने कहा कि राजनीति और समाजनीति बनाने में महिलाओं की भागीदारी नहीं है। उनके उपर केवल जिम्मेदारी थोपी जाती है। हमें सोचना होगा कि समाजनीति और राजनीति में अपनी खुद की स्थिति को समझें और ऐसी प्रक्रिया को सुनिश्चित करने के लिए गोलबंद हों ताकि हमारी बराबर की भागीदारी संभव हो सके । महिला आंदोलन की अग्रणी नेता मंजु डुंगडुंग ने सभी महिला कार्यकर्ताओं का स्वागत करते हुए कहा कि लोकतांत्रिक जन पहल की ओर से हम सब लोग सही समय पर‌ यह कन्वेंशन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि एकतरफ उद्योगपतियों का चौदह सौ लाख करोड़ रूपया माफ किया जाता है,तो दूसरी तरफ छह सौ लाख करोड़ रूपया लिया जाता है। उन्होंने कहा कि मजदूरों- किसानों, बेघरों और महिलाओं के हितों को केन्द्रित कर आगामी लोकसभा चुनाव में घृणा नफ़रत फैलाने वाली पार्टी को शिकस्त देने के लिए काम करना है। महिला आंदोलन की जुझारू नेता सुनीता कुमारी ने कहा कि मौजूदा राजनीतिक परिस्थिति में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। उनपर अन्याय अत्याचार बढ़ा है। सामूहिक बलात्कार की घटनाएं बढ़ी हैं। जब आंदोलन होता है तो सरकार और पुलिस प्रशासन दमन पर उतारू हो जाती है। महिलाएं आज की व्यवस्था से बहुत असंतुष्ट हैं। उन्होंने आह्वान किया कि आगामी लोकसभा चुनाव में हम अपनी वोट की ताकत का दिखाएं। पटना की शाहदा बारी ने महिलाओं के लिए जन घोषणा पत्र तैयार करने की बात कही। उन्होंने कहा कि जन घोषणा पत्र के साथ हमें अपनी राजनीतिक कार्ययोजना बनानी चाहिए। बक्सर की एडवोकेट आनंद रंजना ने कहा कि भाजपा गठबंधन सभी मोर्चे पर विफल है। नरेंद्र मोदी को दंभ है कि वो राम को लाए हैं,तो नीरव मोदी, ललित मोदी जैसे करोड़ों, अरबों के घोटालेबाजों और कालाबाजारियों को लाकर दिखाएं। हमलोगों को वोट की चोट से भाजपा गठबंधन को पटकनी देनी है। गया से आईं संगीता ने कहा कि हमें समझ-बूझ कर लोकसभा चुनाव में वोट करना है। जो हमारी समस्या को उठाने और हमारे साथ सहयोग करने का काम करें। उन्होंने ने महिला हिंसा के सवालों पर प्रमुखता से बात की और सरकार के रवैए को भी कटघरे में खड़ा किया। मधुबनी की कृष्णा ने कहा कि सरकार की नीतियों के चलते मधुबनी की जिले में पीने के पानी का हाहाकार मचा हुआ है जिससे सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं को झेलना पड़ रहा है। नल-जल योजना के तहत जो पानी टंकी बना है वह जमीन के अंदर गहराई से तेज़ी से पानी खिंचता है। समरसेबुल बोरिंग से भी संकट बढ़ा है। नतीजा अब गर्मी बढ़ने पर टैंकर से पानी पहुंचाने की नौबत है। शिवहर की रामकुमारी ने कहा कि केन्द्र में नरेंद्र मोदी सरकार के आने के बाद पहला आक्रमण महिलाओं पर हुआ। महिलाओं द्वारा महिलाओं के लिए और महिलाओं की समस्याओं पर काम करने वाली महिला समाख्या योजना को बंद कर दिया गया। अन्य कई राज्यों की तरह नीतीश सरकार चाहती तो इस योजना को बिहार में लागू रख सकती थी। हमलोग आज फेडरेशन बना कर किसी तरह काम कर रहे हैं। इसके बंद होने से बिहार भर में इससे जुड़ी महिलाएं लाभ से वंचित हैं।आरा की मिथिलेश जानकी ने महिलाओं के वासगीत की समस्याओं को उठाया और कहा कि हमलोग के सामूहिक संघर्ष से कुछ महिलाओं को लाभ मिला है। लेकिन वासभूमि मुहैया कराने के मामले में नीतीश सरकार पूरी तरह विफल है। उन्होंने कहा कि पहले दस डिसमिल की नीति थी,अब पांच डिसमिल कर दिया गया। ज़मीन के स्वामित्व के अभाव में लाखों महिलाएं बेघर हैं । पटना की रोशनी ने स्लम की महिलाओं के सवालों को उठाया। कार्ड पर मिलने वाले राशन की परेशानियों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए 112 नम्बर डायल करने की योजना का लाभ अधिकारियों के रवैए के चलते नहीं महिलाओं को नहीं मिलता है। पटना की देवोप्रिया ने कहा कि वह पर्यावरण के क्षेत्र में सक्रिय हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियों के चलते पर्यावरण का संकट बढ़ा है जिसका खामियाजा सबसे ज्यादा महिलाएं झेलती हैं। नालंदा की मंजू देवी ने कहा कि नारी शक्ति जागेगी तभी गरीबी भागेगी। उन्होंने ने कहा कि मुखिया लोग काम नहीं करता है। मौजूदा सरकार को बदलने की जरूरत है।मुजफ्फरपुर की सरस्वती ने स्वयं सहायता समूह की समस्याओं और कठिनाईयों को रखा।छपरा की ज्योति जी ने कहा कि मैं जब युवतियों को देखती हूं तो मेरा हौसला बुलंद हो जाता है। उन्होंने कहा कि हमलोगों को दबी कुचले महिलाओं की आवाज बनना है। अरवल की शैली देवी महिला अधिकारों की चर्चा की और कहा कि वे आगामी लोकसभा चुनाव में वे अपने क्षेत्र में इस बात के लिए आगाह करेंगे की लोग पैसे के लोभ में न फंसे और भाजपा गठबंधन को हराने के लिए एकजुट हों। बांका की बीणा हेम्ब्रम ने कहा कि हम आदिवासी महिलाओं को तो न तो सरकार महत्व देती है और राजनीतिक नेतागण। हम तो हमेशा ठगे जाते रहे हैं। हमारी आवाज को कमजोर समझ लिया जाता है। लखीसराय की पूनम कुमारी ने मौजूदा हालात के लिए सरकार को कटघरे में खड़ा किया और कहा कि हम महिलाओं को जागरूक करेंगे कि वो परिवार के पुरूषों के कहने में न आएं। अपने से सोच कर वोट दें। मुंगेर की गौरी ने कहा कि महिलाएं धार्मिक अंधविश्वास, पाखंड और आडंबर के फेर में न पड़ें। उन्होंने बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर की चर्चा करते हुए कहा कि भाजपा गठबंधन वाले अंबेडकर का केवल‌ नाम जपते हैं। हिन्दुत्व की विचारधारा दलितों के खिलाफ है।गया की रूबी देवी ने कहा कि वे फतेहपुर में काम करती हैं। आधार कार्ड , राशनकार्ड आदि बनाने में कठिनाइयों का ज़िक्र करते हुए कहा कि मुखिया भी इस पर ध्यान नहीं देता है। उन्होंने कहा कि आज की बैठक में हमको बहुत सीखने को मिला कि काम के दौरान राजनीतिक सोच जरूरी है। नौबतपुर, पटना की सिंधु जी ने कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव में हमें महिलाओं के अधिकार के मुद्दे को मजबूती से उठाना चाहिए। इस मुद्दे पर भाजपा गठबंधन की सरकार के कारनामे को उजागर करने की जरूरत है। बिहटा , पटना की मानती वर्मा ने महिलाओं को संगठित करने पर जोर दिया। अंत में कंचन बाला ने सभी को धन्यवाद देते हुए कहा कि इसी तरह का कन्वेंशन जिला स्तर पर भी आयोजित किया जाएगा जिसका सभी ने समर्थन किया।