औरंगाबाद से अधिवक्ता सतीश स्नेही का रिपोर्ट
जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह जिला विधिक सेवा प्राधिकार के अध्यक्ष श्री सम्पूर्णानन्द तिवारी द्वारा प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए बताया गया कि अपने वादों को निस्तारण में मध्यस्थता का प्रयोग करें| जिला जज द्वारा बताया गया की स्वच्छ समाज तथा स्वच्छ पारिवारिक वातावरण के निर्माण में मध्यस्थता का महत्वपूर्ण स्थान होता है। जिला जज द्वारा सभी न्यायालय को निर्देश भी दिया गया है कि अपने न्यायालय से सम्बन्धित वादों को
मध्यस्थता केन्द्र भेजें। जिला जज द्वारा बताया गया कि अग्रिम जमानत, सुलहनीय वाद के विचारण के दौरान, वाद के निर्णय के पूर्व, दिवानी वाद के दौरान, घरेलू हिंसा, पारिवारिक मामले में वाद लाने के पूर्व अथवा न्यायालय के कार्रवाई शुरू होने (प्रि-लिटिगेशन) जैसे मामलों के निस्तारण में मध्यस्थता एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जिसका उपयोग अधिक से अधिक लोगो को करना चाहिए। मध्यस्थता के तहत विवादों को खत्म करने, प्रेम-भाईचारे एवं पक्षकारो के बीच सौहाद्र को पुनः स्थापित करने में काफी कारगर साबित होता है। साथ ही साथ पक्षकारो के विवाद की जड़ अथवा मुख्य कारण पता चलता है और मध्यस्थ यह प्रयास करते हैं कि पक्षकारो की आपसी सहमति से उस कारण को हमेशा के लिए निदान कर दिया जाए। आज के दौर में जिस तरह से विवाद छोटी-छोटी बातों में बढ़ रहा है खासकर पारिवारक मामलों में यह देखा जा रहा है कि पक्षकार छोटी से बात को लेकर परिवार विच्छेद की स्थिति उत्पन्न हो रही है और पति-पत्नी के साथ-साथ बच्चों की भविष्य अंधकारमय हो रहा है इसके निदान में हाल के दिनों में देखा गया है कि मध्यस्थता के माध्यम से कई परिवारों को टूटने से बचाया गया है और उनका परिवार बच्चें आज खुशहाल जीवन जी रहे हैं बस जागरूकता की आवशकता है और समय रहते मामलों को मध्यस्थता के माध्यम से सुलझाने की जरूरत है। न्यायालय को यह निर्देश है कि वैसे मामलो को मध्यस्थता के लिए मध्यस्थता केन्द्र भेजे, अगर न्यायालय किसी कारणवश नहीं भेजता है तो पक्षकार या अधिवक्ता मामलें को आवशयक रूप में दोनों पक्षकारो को मध्यस्थता की सलाह देते हुए न्यायालय से अथवा खुद मामले को मध्यस्थता में लाने के लिए प्रयास करें। उन्होंने आमजन से प्रेस, मीडिया एवं सम्बन्धित समस्त स्टेक होल्डर से इस सम्बन्ध में जागरूकता हेतु अधिक से अधिक पहल करने का अपील किया है। जिला जज द्वारा बताया गया कि इधर कुछ दिनों में मध्यस्थता के प्रति लोगो का रूझान बढ़ा है तथा मध्यस्थता के प्रति न्यायालय भी सजग हुआ है जिसमें और सजगता लाने की आवशकयता है। मध्यस्थता की महता तथा लोगो के बीच मध्यस्थता के प्रति बढ़े रूचि को देखते हुए और अधिक मेहनत तथा प्रचार-प्रसार करने की जरूरत है ताकि लोगों को इसका लाभ मिल सके, और प्रारंभिक स्तर से लेकर अपने वाद का मध्य स्तर यहाँ तक की सुलहनिये वादों में निर्णय के पूर्व तक लोग इसका लाभ ले सकते है | अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह प्राधिकार के सचिव प्रणव शंकर ने बताया कि जिला विधिक सेवा प्राधिकार के तहत पुरी तरह से दक्ष मध्यस्थ द्वारा पक्षकारो के समस्या को सुनकर उनके समस्याओं को सुलझाने का प्रयास करते हैं और उनका प्रयास लगभग मामलों में सफल रहता है। प्राधिकार अपने स्तर से हर संभव प्रयास करता है कि उन्हें मध्यस्थता के दौरान किसी तरह की कोई परेशानी उत्पन्न न हो और वे खुले एवं मधुर वातावरण में अपने समस्याओं का निपटारा करायें। पिछले कई सालो की तुलना में इधर कुछ महीनों में काफी मामले मध्यस्थता केन्द्र में आये तथा इसकी सफलता बिहार राज्य में अपना सर्वोच्च स्थान रखता है।
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