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आवारा पशुओं के प्रति नफरत और जुर्म को रोकने के लिए गाजियाबाद जिला अधिकारी द्वारा उठाए गए कदम और नियम।

गाजियाबाद संवाद सूत्र खबर सुप्रभात

हाल ही में क्लाउड 9 के एक ग्रुप की चैट लीक होने के बाद फिर ये मामला गर्म होता दिख रहा है । इसमें जानवरो को खाने में मेडिसिन दे कर मारने की बात सामने आई है , जिसपर साइबर क्राइम में अभी जांच चल रही है।
आपको बता दे इसमें मंजीत और सौरभ जैन बातें करते नजर आए थे ग्रुप में, की कैसे अपनी सोसायटी मैसे इन आवारा पशुओं को हटाया जाए ।
पर आपको बता दे गाजियाबाद जिलाधिकारी द्वारा ऐसे ही एक आरडब्ल्यूए के मामले पर संज्ञान लिया गया था 2020 में , जहा गाजियाबाद जिलाधिकारी द्वारा कुछ नियम एव शर्ते सामने आई थी जरा देखे इनको –

1) आवारा कुत्तों के प्रबंधन नियम 2001 में निर्धारित केंद्रीय कानून के तहत, किसी भी आरडब्ल्यूए या संपत्ति प्रबंधन के लिए कुत्तों को हटाना या स्थानांतरित करना अवैध है। शिकायतें यदि कोई हों, तो उन्हें नगरपालिका या स्थानीय पशु कल्याण संगठन को निर्देशित किया जा सकता है। कुत्तों की नसबंदी की जाएगी और उनका टीकाकरण किया जाएगा और कुत्तों की नसबंदी की जाएगी, उन्हें कभी भी नगरपालिका द्वारा हटाया नहीं जा सकता है।

2) आईपीसी की धारा 428/429 के तहत किसी भी जानवर को चोट पहुंचाना, या मारने के साथ-साथ क्रूरता अपनाना यह पशु अधिनियम 1960 के तहत अपराध है।

3) कई अदालतों ने माना है कि स्थानीय निवासियों के लिए कॉलोनी के कुत्तों को खाना खिलाना वैध और मददगार दोनों है क्योंकि यह नगरपालिका नसबंदी कार्यक्रम की सुविधा प्रदान करता है। कुत्तों को खाना खिलाना समाज सेवा माना गया है और पुलिस और आरडब्ल्यूए को इस समाज सेवा में लगे लोगों की सुरक्षा के लिए निर्देशित किया गया है।

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