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मोदी की गारंटी के बावजूद 48 बर्ष पुरानी बटाने ( हडियाही) नहर परियोजना अधर में, 77 लाख का परियोजना का बर्तमान लागत 203 करोड़ की हुई, घपला घोटाला का जांच कराने में स्थानीय जनप्रतिनिधि एवं जिला प्रशासन को मौन व्रत क्यों? चुनाव में परियोजना बनते रहा है वोट बैंक

आलोक कुमार निदेशक सह संपादक खबर सुप्रभात समाचार सेवा

बिहार – झारखंड के नक्सल प्रभावित इलाके की किसानों का लाइफ लाइन बटाने नहर परियोजना ( हडियाही) नहर का निर्माण कार्य पीएम मोदी की गारंटी की प्रचार और विज्ञापन का असलीयत का पोल तो खोल ही रहा है मैं न खाऊंगा और न खाने दुंगा के दावे का भी पोल खोल रहा है। बताते चलें कि बटाने (हडियाही) नहर परियोजना की शुरुआत आज से लगभग 48 बर्ष पूर्व किया गया था। 1975 में परियोजना की डीपीआर तैयार किया गया था और परियोजना का निर्माण पर 77 लाख रुपए खर्च करना था। लेकिन आज इस

आलोक कुमार, निदेशक सह संपादक खबर सुप्रभात

परियोजना का बर्तमान में लागत 203 करोड़ का बताया जा रहा है। आश्चर्य तो यह है कि इतनी मोटी राशि खर्च करने के बावजूद अभी तक परियोजना का निर्माण कार्य पुरा कर किसानों के खेतों में पानी नहीं पहुंचाया जा सका। यदि परियोजना का राशि कब और कितना आवंटित हुआ और कैसे खर्च हुआ इसकी उच्चस्तरीय जांच एजेंसी से जांच कराई जाए तो परियोजना के राशि में भयंकर लूट का पर्दाफाश होगा और न जाने कितने अधिकारी से लेकर सफेद पोष भ्रष्ट अधिकारियों को जेल की हवा खाना पड़ेगा।

बटाने (हडि़याही) नहर परियोजना

हरडियाहि (बटाने) नहर सिंचाई परियोजना संघर्ष समिति के बैनरतले हजारों प्रभावित किसानों ने परियोजना निर्माण कार्य पुरा कर किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने तथा परियोजना मद्द के राशि में हुए भयंकर लूट का जांच कराने हेतु लम्बे संघर्ष भी किया गया लेकिन अभी तक परियोजना का नहीं निर्माण कार्य पुरा कर किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाया गया और नहीं घपला घोटाला का चल रहे खेल का जांचोपरांत घोटाले बाजों के विरुद्ध कार्रवाई किया गया। जब पीएम मोदी कहा करते हैं कि न खाऊंगा और न खाने दुंगा तो फिर स्थानीय जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के अलावे पीएम मोदी आखिर जांच कराने से परहेज़ क्यों कर रहे हैं? इस परियोजना का शिलान्यास 20 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन राज्य के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर सिंह ने किया था और 1990 तक परियोजना का निर्माण पुरा करने का लक्ष्य तय किया गया था। लेकिन अभी तक परियोजना का कार्य अधुरे में लटका हुआ है और पीएम मोदी की गारंटी का प्रचार और विज्ञापन का भी असलीयत उजागर हो रहा है। सिर्फ चुनाव के दौरान यह परियोजना वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया जाते रहा है और चुनाव बाद परियोजना ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। यदि परियोजना का निर्माण कार्य पुरा कर दिया जाए तो बिहार के औरंगाबाद, गया तथा झारखंड के पलामू जिला अंतर्गत हरिहर गंज प्रखंड के 9000हेक्टेयर भूमि आबाद हो जाता।