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महादलितों की झोपड़ियों को किया आग के हवाले, पीयूसीएल ने की जांच कर दोषी पर शक्त कार्रवाई की मांग

वेद प्रकाश का रिपोर्ट

नवादा (रवीन्द्र नाथ भैया) जिले के सदर प्रखंड क्षेत्र के सिसवां गांव में बसाये गये महादलितों की झोपड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया। ऐसा करने से पीड़ित परिवारों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। घटना की पीयूसीएल ने निंदा करते हुए मामले की जांच करा दोषी को दंडित करने की मांग जिला प्रशासन से की है।
विदित हो कि पिछले वर्षों नगर के लाईनपार मिर्जापुर के प्लेटफार्म नंबर दो  में  वर्षों  से  बसे  झुग्गी झोपड़ियों के  महादलितों को  रेलवे-स्टेशन से बिहार सरकार ने सीसवां गाँव के किसानों से रैयती जमीन खरीद कर  परचा 3-3  डिसमिल का देकर प्रशासनिक अधिकारियों ने  बसाया था। इसमें नागरिक अधिकार संघर्ष समिति और मानवाधिकार से संबद्ध लोक स्वातंत्र्य संगठन ( पीयूसीएल ) के अथक  प्रयास और अमूल्य योगदान रहा है।
बताते चलें कि सीसवां गाँव में स्थानांतरित होकर लाईनपार के महादलितों ने जो पर्चा वाली जमीन पर झोपड़ी बनाकर जहां बस रहे थे।  सामंती और सरकारी  योजनाओं के तहत भाड़े के गुंडों द्वारा  28 जनवरी 23 को  करीब  12 बजे रात्री  में  प्रतिशोध  में  कई झुग्गी झोपड़ियों को जलाकर राख में तब्दील कर दिया।
सीसवां गाँव के मुसहरि  के  बगलगिर मुसहरि  के शंकर मांझी पिता महेश मांझी ने अपने लम्पट व समाज विरोधी तत्वों के साथ उक्त कांड को अंजाम दिया ।
अग्नि कांड में कुंदन मांझी पिता सुधीर मांझी, नंदु मांझी पिता स्व बंशी मांझी और पप्पू मांझी के  बेटा अजय मांझी के झुग्गी झोपड़ियों को आग के  हवाले निर्ममता  से असमाजिक तत्वों ने कर जीने और रोटी के  दो  टुकड़ा  के  लिए  मुहताज कर दिया है।
उक्त  हृदयविदारक घटना के पीछे मूलतः कारण  है कि मिर्जापुर के प्लेटफार्म पर के महादलितों ने जो सीसवां मुसहरि में जाकर बसे वो सरस्वती की मूर्ति पूजन कर रहे थे। ठीक उसी समय उसके बगल गाँव के शंकर मांझी वहां शराब के नशे में चूर होकर आया और  वहां  अश्लील गीत का प्रदर्शन करने लगा।   बहु- बेटियों से  छेड़खानी  करना  शुरू  कर  दिया।  बर्दास्त से बाहर हो जाने के  लोगों   के  सामने  विकल्पहीनता के  अभाव में  मजबूरन उक्त कार्यक्रम के लिए विवश होना पड़ा। इस जन विरोधी हरकतों को सजग व सम्वेदनशील ग्रामीणों ने  रोक  दिया। प्रतिशोध में  शंकर मांझी  अपने लम्पट अपराधी गिरोह, जो सामंती व सरकारी साजिशों के  मातहत सीसवां गाँव में उक्त शर्मनाक और दर्दनाक कांड का अंजाम देकर  मानवता को शर्मसार कर दिया है। मानवाधिकार से संबद्ध लोक स्वातंत्र्य संगठन ( पीयूसीएल ) के राष्ट्रीय पार्षद  दिनेश कुमार  अकेला ने  74 वीं वर्षगांठ के अवसर पर और  तथाकथित 21 वीं  सदी  में य़ह  अलोकतांत्रिक और अमानवीय कांड को बेहद निंदनीय व चिंतनीय बताया है। उन्होंने अति संवेदनशील अमानुषिक घटना की न्यायिक जांच की मांग जिला पुलिस अधीक्षक और सरकार से की है। इसके साथ ही स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी और सरकार पीड़ित महादलितों न्याय दिलाने में असफल रहीं तो पीयूसीएल मानवाधिकार आयोग का का दरवाज़ा खटखटायेगा तथा न्याय दिलाने तक संघर्ष करेगा।

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