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बीजेपी एमसीडी ने ऐसे एनजीओ को दिया स्कूल के कामों का टेंडर जिसका कोई नामोनिशान नहीं

हिमांशु शर्मा /आलोक कुमार, केन्द्रीय न्यूज डेस्क

बीजेपी एमसीडी ने ऐसे एनजीओ को दिया स्कूल के कामों का टेंडर जिसका कोई नामोनिशान नहीं, उसपर अपने ही अधिकारियों को दी फंड जमा करने की जिम्मेदारी

– एनजीओ अशोक विहार में पंजीकृत है लेकिन ना तो वहां उसका ऑफिस है और ना ही कोई संबंधित व्यक्ति- दुर्गेश पाठक

– एमसीडी के स्कूलों में कई कामों का टेंडर किसी एनजीओ को दिया जाता है, एनजीओ इस काम के लिए खुद फंड इकट्ठा करता है- दुर्गेश पाठक

– पहली बार ऐसा हुआ है कि बीजेपी अपने ही अधिकारियों से कह रही है कि इस एनजीओ के लिए फंड जमा करो- दुर्गेश पाठक

– यदि एनजीओ फंड लाने में समर्थ नहीं था तो बीजेपी ने उसे टेंडर क्यों दिया? – दुर्गेश पाठक

– यह सारा काम छुपकर हो रहा था लेकिन जब एक दुकानदार ने एमसीडी के अधिकारियों को फंड देने से मना किया तो उन लोगों ने दुकान सील करने की धमकी दी- दुर्गेश पाठक

– हम 100 से अधिक मामलों का खुलासा कर चुके हैं जहां बीजेपी ने अपने लोगों के एनजीओं के साथ सांठगांठ कर भ्रष्टाचार की कोशिश की है- दुर्गेश पाठक

नई दिल्ली, 1 मई 2022

आम आदमी पार्टी ने बीजेपी शासित एमसीडी की एक नई चोरी को उजागर किया है। ‘आप’ एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पाठक ने कहा कि भाजपा ने एमसीडी के स्कूलों के काम का टेंडर एक ऐसे एनजीओ को दे दिया जिसका ना तो कोई नामोनिशान मौजूद है और ना ही वह फंड इकट्ठा करने में सक्षम है। उसपर बीजेपी ने एमसीडी के अधिकारियोंको फंड जमा करने का आदेश दे दिया। जबकि ऐसे कामों के लिए एनजीओ खुद फंड इकट्ठा करता है। यह सारा काम छुपकर हो रहा था लेकिन जब एक दुकानदार ने एमसीडी के अधिकारियों को फंड देने से मना किया तो उन लोगों ने दुकान सील करने की धमकी दी।

आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पाठक ने रविवार को पार्टी मुख्यालय में एक महत्वपूर्ण प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने एमसीडी में भ्रष्टाचार के कई नए-नए तरीके इज़ात किए। मुझे लगता है कि दुनिया के बहुत सारे चोरो ने सीखा कि भाजपा एमसीडी में चोरी के कितने अभिनव तरीके निकालती है। लेकिन अब उन्होंने चोरी का नया तरीका निकाला है और मुझे लगता है कि दुनिया में अपने प्रकार का यह पहला चोरी का तरीका होगा।

सभी जानते हैं कि एमसीडी के स्कूलों में ऐसे बहुत काम होते हैं जो एनजीओ को दे दिए जाते हैं। जैसे कक्षा को स्मार्ट बनाना, कंप्यूटर खरीदने हैं या ग्राउंड तैयार कराना है। इस प्रकार के कई काम एनजीओ को दे दिए जाते हैं। वह एनजीओ अपने तरीके से फंड इकट्ठा करती हैं। वह कई कंपनियों से सीएसआर फंड लेती हैं। बहुत सारे लोग डोनेशन भी देते हैं। हमने आपको ऐसे 100 से ज्यादा मामले बताए हैं, जिसमें हमने बताया कि एमसीडी में भाजपा ने एनजीओ से सांठगांठ की है। आपको मंजू खंडेलवाल का मामला याद होगा, जिसमें अपने पति के एनजीओ को ही ज़मीन दे दी थी। इसी प्रकार से यह सभी एनजीओ प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा के नेताओं के होते हैं।

दुर्गेश पाठक ने कहा कि ‘ड्रॉप इन ओशन’ नाम का एक एनजीओ है, पहले इस एनजीओ को टेंडर दिया गया और उसके बाद अधिकारियों से कहा गया कि इस एनजीओ के लिए आप लोग फंड इकट्ठा करेंगे। पहली बार ऐसा हुआ है कि अपने अधिकारियों से ही कह रहे हैं कि इस एनजीओ को पैसा दिलाओ। यदि वह एनजीओ फंड लाने में समर्थ नहीं था तो आपने उसे टेंडर क्यों दिया?

तस्वीरें पेश करते हुए दुर्गेश पाठक ने कहा कि हमने जानकारी निकाली तो हमें कुछ तस्वीरें मिली जो मैं आपलोगों को भी दिखाना चाहूंगा। यह एनजीओ अशोक विहार में पंजीकृत है। ना तो वहां उनका कोई ऑफिस है और ना ही वहां उनका कोई बंदा मौजूद है। वहां पर कुछ परिवार रहते हैं लेकिन इस एनजीओ का कोई नामोनिशान नहीं मिला। तस्वीर में एक घर दिख रहा है, जहां एक परिवार रहता है। उसमें ना तो एनजीओ का ऑफिस है और ना ही उससे संबंधित कोई काम हो रहा है। तो इस प्रकार के एनजीओ को एमसीडी के स्कूलों का सारा काम दे दिया गया है। साथ ही भाजपा ने अपने ही अधिकारियों से फंड इकट्ठा करने के लिए कह दिया।

उन्होंने कहा कि हमें इसकी भनक भी नहीं लगती क्योंकि यह सारा काम छुपकर किया जा रहा था। अच्छी बात यह रही कि परसो एक दुकान पर जाकर इन लोगों ने कहा कि हम इस एनजीओ के लिए फंड जमा कर रहे हैं। दुकानदार ने उनकी पहचान पूछी तो उन लोगों ने खुद को एमसीडी का कर्मचारी बताया। यह सुनकर दुकानदार ने पैसा देने से मना कर दिया तो एमसीडी के लोगों ने उसे दुकान सील करने की धमकी दी। तो अब इनलोगों ने चोरी का यह नया तरीका निकाला है।

दुर्गेश पाठक ने कहा कि मैं भाजपा और उनके अधिकारियों से कहना चाहता हूं कि आपने चुनाव तो टाल दिया है। चुनाव होने में लगभग एक साल लग सकता है लेकिन दिल्ली की जनता आपका इंतजार कर रही है। इस बार दिल्ली में आप शायद 10 सीटें भी न जीतें। उसके बाद यह सारी फाइलें खुलेंगी और इसका ऑडिट होगा। तब आपको पता चलेगा कि भ्रष्टाचार करना आप लोगों पर कितना भारी पड़ने वाला है।

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