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डाक्टर शारदा के नजरों में सावन पुर्णिमा का महत्व

अम्बुज कुमार खबर सुप्रभात सामाचार सेवा

सावन माह के पुर्णिमा रक्षा बंधन सभी को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई देते हुए मनवाधिकार फाउन्डेशन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ0शारदा शर्मा ने बताया कि सभी बहनों को रक्षा बंधन का त्यौहार याद रहता है और अपने ससुराल से अपने भाई के कलाई पर राखी बांधने मायके जाती हैं। राखी के त्यौहार को अध्यात्म और प्राचीन काल से लिया गया है,बात करें अध्यात्म कि तो पाताल के राजा बलि को देवी

लक्ष्मी ने राखी बांध कर उन्हें अपना बनाया एवम भगवान नारायण को स्वतंत्र कराया वह दीन सावन पुर्णिमा का था।
येन बद्धो बलि राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वामपि वाधनामी रक्षे माचल माचलः।।
आगे डॉ0शारदा शर्मा ने कहा कि ईतिहास के पन्नों पर कही नही लिखा हुआ मिला कि अपनी बहन अपने भाई को कलाई पर राखी बांधी थी। अगर कहीं इतिहास के पन्नों पर मिला भी है तो मुहबोली एवम परिस्थिति में बनी हुई बहन ने ही परिस्थिति में बने भाई के कलाई पर राखी बांधी है।
बात करे 6 हजार वर्ष पहले के तो मध्यकालीन में राजपूत और मुस्लिम के बीच संघर्ष चल रहा था। उस समय रानी कर्णावती चितौड़ के राजा की विधवा थी। उस दौरान गुजरात के सुलतान बहादुर शाह ने अपने और अपनी प्रजा की सुरक्षा का कोई रास्ता न निकलता देख रानी कर्णावती ने हुमायू को राखी भेजी थी तब हुमायूं ने उन्हे रास्ता देकर रानी कर्णावती को बहन का दर्जा दिया था। एक वाकया यह भी इतिहास में मिलता है कि अलेकजेंडर व पुरू के बीच के संघर्ष में भी अलेकजेंडर कि पत्नि ने पुरू को राखी भेजकर भाई बनाया था। आगे डॉ0 शर्मा ने कहा कि पहले जाति धर्म में कोई भेद भाव नहीं था लोग किसी जाति धर्म के लोग को अपना भाई बहन बना कर अपना धर्म एवम संस्कार को निभाते थे, लेकिन आज के लोग जाति एवम धर्म के नाम पर खाई पैदा कर रहें हैं।इससे सभी लोग को बचने कि जरूरत है।

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