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4 दिनों में भी अजित बहुमत नहीं दिखा सके , विधायकों की संख्या पर अभी तक संसय बरकरार, दल बदल क़ानून का खतरा भी प्रबल

आलोक कुमार संपादक सह निदेशक खबर सुप्रभात

महाराष्ट्र में चार दिनों से चल रहे एन सी पी का संकट अभी छटने का नाम नहीं ले रहा है। हला की 5 जूलाई को एन सी पी के सभी अटकलों पर विराम लगने की संभावना था। शरद पवार और अजित पवार ने अलग अलग बैठक बुलाकर शक्ति का प्रदर्शन किया। लेकिन अभी तक दोनों गुटों में संसय बरकरार है। किसके साथ कितने विधायक हैं यह स्पष्ट अभी तक नहीं हो सका है। शरद पवार के बैठक में 16 विधायक तो अजित पवार के बैठक में 29 विधायक पहुंचे।8 विधायक

दोनों बैठक से अलग रहे। सूत्रों से जानकारी के अनुसार 8 विधायक ट्रेफिक जाम में फंसे रहे। सचमुच में ट्रैफिक जाम में फंसे या कोई और सियासी खिचड़ी पक्का रहे थे यह तो आने वाला वक्त बताएगा। बता दें कि महाराष्ट्र में एन सी पी के कूल 53 विधायक हैं जिसमें मात्र 29 विधायक ही अजित पवार के द्वारा बुलाई गई बैठक में पहुंच सके जबकि अजित पवार 40 विधायकों को अपने साथ होने का दावा कर चुके हैं। विधायकों के संख्या बल के अनुसार दल बदल कानून से बचने के लिए अजित पवार को 36 विधायकों को होना जरूरी है जिसमें मात्र 29 विधायक ही पहुंच सके। इस स्थिति में अभी अजित पवार को और 7 विधायकों को होना जरूरी है। यदि और 7विधायक नहीं मिले तो वैसे स्थिति में अजित गुट पर दल बदल कानून का खतरा मंडराता दिख रहा है। अब 8 विधायक जो किसी के बैठक में शामिल नहीं हुए उनके पाले में गेंद है कि अजित पवार अपनी प्रतिष्ठा बचाने में कामयाब होंगे या फिर चारों खाने चित होकर दल बदल कानून के मजधार में फसेंगे। यदि अजित पवार दल बदल कानून में फसते है तो उनके साथ विधानसभा स्पीकर और मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के साख भी आम जनता में फसेगा।

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