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लालू प्रसाद को करना पड़ा था 1980 में पहली बार हार का सामना, 1989 में फिर जीते

डीके अकेला का रिपोर्ट


लालू प्रसाद यादव छात्र आंदोलन की उपज हैं। छात्र आंदोलन से राजनीति में प्रवेश करने वाले लालू यादव पहली बार 1977 के आम लोकसभा के चुनाव में जनता पार्टी के लहर में सारन लोकसभा सीट से चुनाव जीतने में सफल रहे। लेकिन 3 साल बाद ही लोकसभा भंग हो गई और 1980 में देश में मध्यावधि चुनाव हुए। लालू प्रसाद यादव दूसरी बार सारन लोकसभा सीट से राज नारायण की नेतृत्व वाली जनता पार्टी सेकुलर के उम्मीदवार हुए।

उनके सामने जनता पार्टी के सत्यदेव सिंह को चुनाव मैदान में उतारा था। जनता पार्टी पूर्णतः टूट चुकी थी। कांग्रेस का उत्साह चरम पर था। लालू प्रसाद यादव राजनीति में स्थापित हो चुके थे। जब चुनाव परिणाम घोषित हुआ तो लालू प्रसाद यादव 9 हजार वोटों से पराजित हो गए। लालू प्रसाद को 1 लाख 51 हजार से अधिक वोट मिले। जबकि जनता पार्टी के उम्मीदवार सत्यदेव सिंह को 1 लाख 60000 से अधिक वोट आया। यह संसदीय राजनीति में लालू प्रसाद यादव की पहली हार थी।
इसके बाद लालू प्रसाद सारन लोकसभा सीट से 1989 में चुनाव जीत कर संसद बने। बाद में भी उन्होंने सारन लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। सारन की जनता आज भी 1980 के उस चुनाव का याद करते आ रहे हैं। लालू प्रसाद यादव अपने अंदाज में वोट मांगने पहुचते थे। छात्र आंदोलन, लोक नायक जय प्रकाश नारायण लोकनायक से करीबी उन्हें काफ़ी लोकप्रिय बनाया था। इन सबके बावजूद चुनावी परिणाम उनके पक्ष में नहीं रहा था।