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न्यूज़क्लिक पर पुलिसिया हमले की जन पहल ने किया कड़ी निंदा

पटना संवाद सूत्र खबर सुप्रभात


लोकतांत्रिक जन पहल ने ऑनलाइन पोर्टल न्यूजक्लिक के संस्थापक और प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और ह्यूमन रिसोर्स प्रमुख अमित चक्रवर्ती को कथित आरोपों के आधार पर आतंकवाद निरोधी काले कानून यूएपीए में गिरफ्तार करने और अन्य संबद्ध पत्रकारों को हिरासत में लेने की पुरजोर निंदा की है और मांग कि है कि उन्हें तुरंत रिहा किया जाए। लोकतांत्रिक जन पहल ने आज यहां जारी संयुक्त बयान में कहा है कि यह हमला मोदी सरकार की जगजाहिर बर्बर नीति का हिस्सा है – साजिशाना तरीके से आलोचकों, विरोधियों को फर्जी मुकदमों में फंसाकर बदनाम करो और फिर तथाकथित कानून अपना काम करेगा के जुमले के तहत उन्हें गिरफ्तार कर जेल में ठूंस दो। पहल ने कहा कि बंदूक की नोंक पर मोदी सरकार के द्वारा आलोचक मीडिया का मुंह बंद करने के उद्देश्य से किया गया यह सबसे बड़ा हमला है। उन्होंने ने कहा कि इसके पहले भी मोदी सरकार बी बी सी, न्यूज़ लांड्री, दैनिक भास्कर, भारत समाचार, द कश्मीर वाला और वायर आदि के खिलाफ कथित आरोप लगाकर उन्हें डराने धमकाने और लगाम लगाने की कोशिश कर चुकी है। उल्लेखनीय है कि हिरासत में लिए जाने वाले नामी पत्रकारों में उर्मिलेश, परंजोय गुहा ठाकुरता,अभिसार शर्मा, भाषा सिंह, सत्यम तिवारी, सुबोध वर्मा, संजय राजौरा, अनिंदो चक्रवर्ती और सोहैल हाशमी एवं न्यूजक्लिक से संबंधित अन्य लोग हैं। अगस्त माह में न्यू यार्क टाइम्स में एक खबर छपी कि न्यूजक्लिक ने अमेरिका स्थित एक व्यापारी नेविले रॉय सिंघम से कथित तौर पर करोड़ों की राशि प्राप्त की है। इस व्यापारी के बारे में कहा जाता है कि वह वामपंथी विचारधारा का व्यक्ति है और उसके चीन से अच्छे संबंध हैं। उल्लेखनीय है कि दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ईडी ने 2021 में ही न्यूजक्लिक के खिलाफ फंडिंग का एक तथाकथित केस दर्ज कर मामले की जांच कर रही है। ईडी का आरोप है कि 2018 – 21 के बीच 77 करोड़ रूपए विदेशी धन के रूप में न्यूजक्लिक ने प्राप्त किया है।
बताते चलें कि इस मामले में न्यूजक्लिक के संस्थापक ने दिल्ली हाई कोर्ट में अपील दायर किया कि उनलोगों पर जो मनी लांड्रिंग का आरोप मोदी सरकार लगा रही है वह बेबुनियाद है ,जो भी सहयोग प्राप्त हुआ है वह पूरी तरह से कानून सम्मत है और उनलोगों को इसलिए बदनाम करने की कोशिश की जा रही है क्योंकि वे लोग मोदी सरकार की दरबारी करने को तैयार नहीं है। कोर्ट ने इस मामले में न्यूजक्लिक के संपादक व अन्य लोगों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी। अब मोदी सरकार इस न्यूज़ पोर्टल को जबरन बंद करने के लिए दूसरा तरीका अपनाने के मौके की तलाश में थी। अगस्त में अमेरिका में छपी खबर के आधार पर इन लोगो पर टेरर लिंक होने का नया केस दर्ज कर यूएपीए के तहत गिरफ्तार कर लिया ताकि कोर्ट से इनलोगों को राहत नहीं मिल सके। लोकतांत्रिक जन पहल का मानना है कि मोदी सरकार बिना आपातकाल लगाए ईडी और यूएपीए जैसे काले कानूनों का इस्तेमाल कर एक तरफ़ मीडिया संस्थानों को प्राप्त होने वाले वित्तीय सहायता पर अवैध तरीके से हमला कर उनकी कमर तोड़ना चाहती है और दूसरी तरफ पत्रकारों को गिरफ्तार कर समाज में भय पैदा करना चाहती है। पहल का आरोप है कि जिस प्रकार भीमा कोरेगांव मामले में पुलिस पर आरोप है कि उसने जब्त किए गये लैपटॉप, मोबाइल और अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामनों के साथ छेड़छाड़ कर लोगों को फंसाने का काम किया। ठीक वही साजिश पुलिस इस मामले में भी जब्त लैपटॉप, मोबाइल और अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामनों के साथ कर सकती है। पहल‌ ने कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर मोदी जी को एहसास हो चुका है कि अबकी बार देश की जनता उन्हें दिल्ली की गद्दी से बेदखल करने वाली है इसलिए वे अपना मानसिक संतुलन खो बैठे और उनकी नाकामियों पर लोगों का ध्यान न जाए इसके लिए वे उलजलूल कारवाई कर लोगों का ध्यान भटकाना चाहते हैं विरोध करने वालों में सत्य नारायण मदन प्रदेश संयोजक, प्रदीप प्रियदर्शी, कंचन बाला, सुधा वर्गीज, अफ़ज़ल हुसैन, अशोक कुमार एडवोकेट, मणिलाल एडवोकेट, ओम प्रकाश मेहता एडवोकेट, विनोद कुमार रंजन, निर्मल चंद्र, डॉ राशिद हुसैन, शम्स खान, कपिलेश्वर राम, कृष्ण मुरारी, अशर्फी सदा, सुनीता कुमारी सिन्हा, मंजु डुंगडुंग, डॉ राधेश्याम राम, शैलेन्द्र प्रताप एडवोकेट, मनहर कृष्ण अतुल, अनुपम प्रियदर्शी, ऋषि आनंद, अनूप कुमार सिन्हा , हृषीकेश कुमार और अतुल कुमार प्रमुख रूप से शामिल हैं।

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