अम्बा (औरंगाबाद) ख़बर सुप्रभात समाचार सेवा
भारतमाला परियोजना के तहत निर्माण होने वाले कोलकाता वाराणसी ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे में अधिग्रहण होने वाले जमीनों को लेकर प्रभावित सैकडों गांवों के किसान चिंतित और हताशा में हैं। किसानों की सबसे बड़ी चिंता मुआवजे को लेकर है जिसे किसान बहुत ही कम मुआवजा मान रहे हैं।
किसानों की इस बड़ी समस्या को लेकर किसानों नें आपसी समन्वय से किसान संघर्ष समिति नाम से एक समिति का गठन भी कर लिया है जो दिन रात किसानों के हितों की रक्षा के लिये दिनरात संघर्ष कर रहा है।
भूमि अधिग्रहण को लेकर पिछले बुधवार को सरकार नें जैसे ही अखबारों में गजट का प्रकाशन किया किसान संघर्ष समिति के लोगों ने किसानों को जागृत करने व अपने संगठन में जोड़ने के लिये गांवों का दौरा तेज कर दिया है। समिति के लोग शुबह से देर रात तक गांव गांव में जाकर किसानों की समस्या सुनने, गजट प्रकाशन को बताने, गजट प्रकाशन में हुई त्रुटियों को बताने तथा अपने अधिकार के लिये संवैधानिक तरीके से लड़ने के लिये एकजुट होने की बात बता रहे हैं। पिछले दो दिनों में संघर्ष समिति के लोगों नें बरौली, ओर, चिरैयाँटांड़, चिंतावन बिगहा, जगरनाथ बिगहा, नरेन्दरखाप, परसा, मनोरथा,देउरिया, झरहा, बरहेता, बसौरा गांव का दौरा कर चुके हैं। अन्य गांवों में पहुंचने का कार्यक्रम फिलहाल चालू है।
गांवों का दौरा कर रहे किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष बिरेन्द्र पांडेय नें बताया कि फिलहाल हम सभी प्रभावित गांवों में जाएंगे इसके बाद किसानों के एक बड़े समूह के साथ हम महात्मा गांधी के सिद्धांतों पर चलते हुए महात्मा गांधी की दांडी यात्रा की तरह जिले के प्रभावित सारे गांवों का पैदल यात्रा करेंगे जिसका नाम किसान अधिकार यात्रा होगा। श्री पांडेय नें यह भी बताया कि यात्रा समाप्त होते ही हम आंदोलन की रूपरेखा तैयार कर किसानों की हक के लिये आंदोलन शुरू करेंगे।
उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले ही किसान संघर्ष समिति के ग्यारह सदस्यीय शिष्टमंडल अपनी मांगों को लेकर जिला पदाधिकारी सौरभ जोरवाल तथा भू अर्जन पदाधिकारी अमित कुमार सिंह से मिला था जहां उनकी सारी मांगों को खारिज कर दिया गया था।
मौके पर दौरा कर रहे समिति के मीडिया प्रभारी राज कुमार सिंह नें बताया कि पूरे देश और दुनियां में जगह, स्थिति और अवस्थिति के अनुसार अलग अलग जमीनों की कीमत अलग अलग प्रकार की होती हैं पर यह सरकार अंधेर नगरी चौपट राजा की तरह सभी प्रकार के जमीनों का एक ही भाव लगा रही है। सबसे दुःखद तो जमीनों का मुआवजा है जो बाजार दर से बहुत ही कम है। श्री सिंह ने दुःख जताते हुए उदाहरण के तौर पर बताया कि जैसे धनिबार गांव में राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे की जमीन चार लाख रु डिसमिल है, अम्बा नबीनगर सड़क के किनारे तीन से चार लाख रु डिसमिल है, कुटुम्बा माली सड़क के किनारे दो लाख रु डिसमिल है पर सरकार सब का मुआवजा एक समान वह भी प्रति डिसमिल पचास हजार से भी कम लगाने को आमादा है।
इस मौके पर समिति के सदस्य विकास कुमार सिंह, राजन तिवारी, बलराम सिंह, बिजेंद्र मेहता, समिति के सचिव जगत सिंह, कृष्णा पांडेय, निखिल सिंह, ललन सिंह, अभय सिंह, दिनेश सिंह, विक्की सिंह आदि उपस्थित थे।
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