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ये प्रवेश वर्मा कौन है ?

गाजियाबाद से निर्मल शर्मा का आलेख

     ये वही प्रवेश वर्मा है !,जो अपने सांप्रदायिक वक्तव्यों से दिल्ली में दंगे करवाया था !                   
                 ‘शाहीन बाग में लाखों लोग जमा हैं। दिल्ली की जनता को सोच-विचारकर ही फैसला लेना चाहिए। वे आपके घरों में घुस जाएंगे, आपकी मां-बहनों से दुष्कर्म करेंगे और उन्हें मार देंगे। अगर भाजपा सरकार बनी तो सभी मस्जिदें हटवा दूंगा,शाहीन बाग भी एक घंटे में खाली होगा ! ‘

             – प्रवेश वर्मा,दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे,शाहीन बाग में धरना-प्रदर्शन कर रही महिलाओं के खिलाफ बयान,जिसके बाद दिल्ली में दंगा भड़का और सैकड़ों निरपराध लोग बेमौत मारे गए और अरबों की संपत्ति जलाकर राख कर दी गई !

             वही प्रवेश वर्मा अब दिल्ली सरकार के अधीन जलबोर्ड के एक अधिकारी,जो छठ पूजा से पहले यमुना के कालिंदी कुंज के पास के एक घाट पर कुछ प्रामाणिक रासायनिक छिड़काव कर रहे थे,वहां उक्त श्री प्रवेश वर्मा सुपुत्र दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री श्री साहिब सिंह वर्मा ,ने अपने कुछ बीजेपी के चमचों के साथ आकर अभद्रता और मर्यादा की सारी सीमाओं को तार-तार करके उस अधिकारी से गाली-गलौज तक कर दिया !
          दिल्ली जल बोर्ड के उक्त अधिकारी से प्रवेश वर्मा ने जो अभद्रता और अमर्यादित व्यवहार किया उसे सभ्य दुनिया में पुन: उद्धृत करना भी मर्यादा का घोर उल्लंघन है, लेकिन बीजेपी के माननीय सांसद श्री प्रवेश वर्मा ने जो -जो शब्द कहे उसे शब्दशः उद्धृत कर रहे हैं..
         ‘ये तेरे को 8साल में ध्यान आ रहा है कि ये अप्रूव्ड है ? यहां तुम लोगों को मारा रहे हो, 8साल में इसको तुम साफ नहीं कर पाए ! तू चल इस केमिकल में डुबकी लगा, इस केमिकल को तेरे सिर पर डाल दूं ? ये केमिकल तू इस पानी में डाल रहा है,कल को लोग इस पानी में डुबकी लगाएंगे, ये केमिकल तेरे सिर पर डाल दूं ! अप्रूव्ड-अप्रूव्ड है कह रहा है, तुम्हें शर्म नहीं आती ! बकवास कर रहा है यहां पर, यहां पर डुबकी लगा चल यहां पर,तू डुबकी लगा के दिखा पहले ,तुझे साला 8 साल में ध्यान नहीं आया ! बेशरम ! घटिया आदमी ! ‘


                यह बीजेपी के एक कथित सम्मानित और माननीय सांसद की भाषा है ? क्या आपको लगता नहीं कि एक सड़क पर लड़नेवाले दो कंजरों, माफियाओं,ट्रक के खलासियों आदि से इन बीजेपी के कथित माननीय सांसद महोदय की भाषा में लंच मात्र भी अंतर है ?
               ज्ञातव्य है कि वर्तमान लोकसभा में 542 सासंदों में से 179 सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं जो कुल संख्या का 33 प्रतिशत है ! वहीं, 114 सांसदों के खिलाफ तो संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं ! ठीक उसी तरह राज्यसभा के 228 सासंदों में से 51 सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं ! वहीं, 20 के खिलाफ संगीन आपराधिक मामले दर्ज हैं ! इस तरह से दोनों सदन के सासंदों को मिला कर देखें तो 770 सासंदों में से 230 दागी हैं, जो पूरी संख्या का 30 प्रतिशत हैं !
             आप सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं कि ऐसे बलात्कारी, हत्यारे, माफिया,गुंडे, दंगाई, चरित्रहीन चरित्र के ये सांसद,नेता,मंत्री,गृहमंत्री, रक्षामंत्री और प्रधानमंत्री के पद पर बैठे ये असामाजिक तत्व भारतीय गरीब आवाम, मजदूरों, किसानों,बेरोजगारों, विद्यार्थियों आदि की कुछ भलाई करेंगे ! कतई नहीं ! भारतीय राजनीति में घुस आए इन असामाजिक तत्वों के रहते लोकजनहिताय और लोककल्याणकारी नीतियों का बनना और उस पर अमल में लाना रेत से तेल निकालने जैसा बिल्कुल असंभव बात है !
अब भारतीय राजनीति में घुसे इन असामाजिक तत्वों को चुन-चुन कर बाहर करना एकदम परमावश्यक हो गया है ! 
             यह कार्य बगैर जाति,धर्म आदि के एक सशक्त मंच द्वारा ही संभव है ! लेकिन यह कार्य बहुत कठिन है लेकिन असंभव नहीं है ! भारतीय समाज के प्रबुद्ध, संवेदनशील और करूणामयी लोग इस तरफ गंभीरता से विचार कर प्रयास करें,तो भारतीय राजनीति की सुचिता, स्वच्छता और कर्तव्यनिष्ठा में विश्वास रखने वाले लोग सत्ता में आकर यह काम आसानी से कर सकते हैं !

    
 

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