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काराकाट में त्रिकोणीय संघर्ष या महज सेल्फी और तस्वीर खिंचवाएंगे युवा

औरंगाबाद खबर सुप्रभात समाचार सेवा

काराकाट संसदीय क्षेत्र में वैसे तो त्रिकोणीय संघर्ष का नजारा देखने को मिल रहा है। लेकिन वस्तु स्थिति क्या है यह तो चार जून तय करेगा कि आखिर काराकाट संसदीय क्षेत्र का तकदीर कौन लिखेगा और कौन बनेगा काराकाट का सांसद। काराकाट संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से पूर्व सांसद व केन्द्रीय राज्यमंत्री उपेन्द्र कुशवाहा

एनडीए प्रत्याशी के रूप में चुनावी अखाड़ा में ताल ठोक रहे हैं तो राजाराम सिंह इंडिया गठबंधन से प्रत्याशी के रूप में ताल ठोक रहे हैं और भोजपुरी फिल्म स्टार पवन कुमार सिंह भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी जंगे -ए- मैदान में ताल ठोक रहे हैं। भोजपुरी फिल्म स्टार पवन सिंह को देखने तथा सेल्फी लेने और फोटो खिंचवाने के लिए गांवों में पहुंचते ही युवा वर्गों का भीड़ तो उमड़ रहा है लेकिन भीड वोट में तब्दील होगा या फिर उनका आधार वोट खासकर स्वर्ण मतदाता अपने परंपरागत गठबंधन एनडीए प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करेंगे यह अभी तक संसय बना हुआ है।दुसरी तरफ इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी राजाराम सिंह भाकपा-माले के पोलितब्यूरो सदस्य और दो बार बिहार विधानसभा में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं तथा उनका संघर्ष का लम्बा सफर रहा है। राजाराम सिंह का दो बार  विधानसभा चुनाव जितने और लम्बे संघर्ष तथा भाकपा-माले का सांगठनिक लाभ भी मिलते दिख रहा है तथा इंडिया गठबंधन से उम्मीदवार होने का भी लाभ मिलना तय माना जा रहा है। ऐसे में यदि राजाराम सिंह को उक्त लाभ मिलता है और एनडीए गठबंधन का परम्परागत स्वर्ण मतदाताओं का झुकाव एनडीए प्रत्याशी उपेन्द्र कुशवाहा के प्रति बढ़ता है तो फिर काराकाट में त्रिकोणीय मुकाबला नहीं बल्कि आमने-सामने का लड़ाई होगा और राजाराम सिंह एवं उपेन्द्र कुशवाहा के बीच संघर्ष होगा।इस संबंध में काराकाट संसदीय क्षेत्र अंतर्गत बारुण प्रखंड के धर्मपुरा गांव निवासी महेन्द्र सिंह, अरबिंद सिंह बताते हैं कि हमलोग मोदी जी के नाम पर एनडीए प्रत्याशी को ही वोट देंगे। पुछे जाने पर उनलोगो ने बताया कि भोजपुरी फिल्म स्टार पवन कुमार सिंह को भोजपुरी गायक होना  संसद सदस्य के लिए चुनें जाना काराकाट के लिए दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले तक वे भाजपा के शिर्ष नेता थे लेकिन वे अपना अधिकांश समय भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में ही बिताया और फिर जब सांसद बनेंगे तो अपना समय वहीं बितायेंगे। यदि यही समझ अन्य स्वर्ण मतदाताओं में रहा तो यह स्पष्ट होगा कि फिल्म स्टार पवन कुमार सिंह को देखने और सेल्फी लेने तथा फोटो खिंचवाने का भीड़ को वे वोट में तब्दील नहीं होगा और तब यहां त्रिकोणीय संघर्ष नहीं बल्कि एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच सिधा मुकाबला होगा।