आलोक कुमार संपादक सह निदेशक खबर सुप्रभात
पिछले दिन यानी रविवार को बिहार के भागलपुर जिला अंतर्गत सुल्तानगंज में गंगा नदी पर 1700 करोड़ रुपए का लागत से बालू का बना पुल ध्वस्त हो गया है। जानकारी के अनुसार इस हादसे में 24 लोगों का मौत भी हो गया है। घटना के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उच्चस्तरीय जांच कराने का बात कहे हैं लेकिन जांच कौन करेगा और जांच रिपोर्ट कब सामने आएगा यह अभी भविष्य के गर्भ में है।
अब सवाल यह उठता है कि जब 1700 करोड़ के लागत से पुल का निर्माण हो रहा था उस वक्त क्या अधिकारी , मंत्री और विधायक कुम्भकरणी निद्रा में सो तो नहीं रहे थे? घटिया मेटल और गुणवत्ता से समझौता कर जब संवेदक पुल का निर्माण करा रहा था तो आखिर कार्यों का इमानदारी से पर्यवेक्षण क्यों नहीं किया जा रहा था यह भी एक गंभीर मामला है। वाहां का स्थानीय जदयू विधायक संजीव द्वारा यह कहना कि उप मुख्यमंत्री और पथ निर्माण मंत्री को केवल बात बनाने से ब्यवस्था नहीं चलता हैं तो फिर विधायक क्या कर रहे थे जब घटिया पुल का निर्माण हो रहा था। विधायक को माने तो उन्होंने मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री को यदि बताये भी होंगें और उसके बावजूद भी यदि कोई असर नहीं पड़ा तो विधायक विधानसभा में कभी सवाल खड़ा किए या नहीं , कभी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मिडिया के माध्यम से राज्य के जनता को बताए या नहीं यह भी एक सोचने का वक्त है।
great article
Insightful piece