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सामाजिक समरसता का प्रतीक छठ या सूर्य षष्ठी का महापर्व

गाजियाबाद से निर्मल शर्मा का आलेख

छठ या सूर्यषष्ठी महापर्व एक ऐसा त्योहार है,जो हर तरह से पर्यावरणहितैषी,आर्थिक, सामाजिक समरसता,पृथ्वी पर उपस्थित समस्त जीवन,उसकी उर्वरता,हरियाली व इसके सम्पूर्ण जैवमण्डल के जनक उस सूर्य की उपासना करता है,जिसकी वजह से हमारी धरती पर इसके समस्त जीव-जन्तु,फल-फूल,अन्न,जल,नदियाँ,सरोवर, झरने,समुद्र,पहाड़,जंगल,अनन्त विस्तारित स्तेपी, वर्षा,ठंड,ऋतुराज वसंत,भौंरे,रंग-विरंगी तितलियाँ, मछलियाँ व परिंदे पलते हैं !
              इस पर्व में उस तेजस्वी सूर्य की अराधना करते हैं,जो शास्त्रों में वर्णित देवों की तरह काल्पनिक व हमेशा नेपथ्य में नहीं रहता,अपितु प्रतिदिन प्रातःकाल को बगैर एक सेकेंड के लाखों हिस्से के बराबर भी अपने दर्शन देने में कतई विलम्ब नहीं करता ! वह पूरे दिन अपने ऊर्जावान प्रकाश से इस धरती के हर अंधेरे कोने को प्रकाशित,ऊर्जावान व उत्तम स्वास्थ्य के अनुकूल बनाता है। वह इस पृथ्वी की सृष्टि का ही जनक है ! यह कहना गलत नहीं है कि अगर सूर्य नहीं रहता तो फिलहाल इस ज्ञात ब्रह्मांड में साँसों के स्पंदन से युक्त यह धरती,इसका समस्त जैवमण्डल सहित हम मानव प्रजाति भी नहीं रहते !


             हम छठ में इस विश्वास के साथ उस डूबते सूर्य को अर्घ्य चढ़ाते हैं,क्योंकि हमें पता है कि वह अपने ठीक समय पर अगले दिन उषाकाल के बाद पुनः निकल आएगा,इस पर्व में हम कामना करते हैं कि इस धरती पर उपस्थित समस्त धन-धान्य, जीव-जन्तु ,इसकी नदियाँ,इसके सरोवर, इसके जंगल, इसका पर्यावरण,इसका संपूर्ण जैवमण्डल आदि सभी के अस्तित्व की अक्ष्क्षुणता सदा बनी रहे,यही नहीं उसमें सतत अभिवृद्धि भी होती रहे।
               आज जब इस समस्त दुनिया में भयावह प्रदूषण से मनुष्य सहित सभी जीव-जंतु और परिंदे तक त्रस्त हैं और मर रहे हैं,तब परंपरागत ऊर्जा के श्रोत डीजल,पेट्रोल और कोयले के विकल्प में किसी अक्षय ऊर्जा की बात होती है,जो प्रदूषण से मुक्त भी हो,तो सबसे पहले हमें उस सूर्य की ही याद आती है,जो पिछले अरबों वर्षों से अपनी अक्षय ऊर्जाश्रोत से इस पृथ्वी को धन-धान्य और तमाम साधनों से सम्पन्न बनाए हुए है,वही भविष्य में भी मनुष्य प्रजाति सहित इस धरती पर उपस्थित सभी जीवों के लिए स्वास्थ्य के अनुरूप अक्षय ऊर्जा के रूप में अपना अमूल्य योगदान देने को अभी भी और करोड़ों वर्षों तक भविष्य में भी प्रदान करने को तत्पर है !


           छठ पर्व की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें सूर्य को अर्घ्य देने के लिए घाटों पर इकट्ठी भीड़ में कोई भी सामाजिक,जातिगत,धार्मिक भेद-भाव,ऊँच-नीच,अश्यपृश्यता आदि का कोई विभेद नहीं होता है। इस महापर्व छठ पर पूरा समाज समवेत स्वर में सूर्यदेव से यही प्रार्थना करता है कि हे सूर्यदेव ! इस धरती पर उपस्थित समस्त मानवप्रजाति,संपूर्ण प्राणीमात्र की बिना किसी भी भेदभाव व संकीर्णता के सुख,समृद्धि और स्वास्थ्य में अभिवृद्धि करो !
               सभी जीवों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए सूर्य की बहुत ज्यादा आवश्यकता है। सूर्य बगैर ऊँच-नीच,अमीर-गरीब और जाति-पाँति के भेदभाव के अपना सर्वोत्तम औषधीय गुणों वाला प्रकाश इस दुनिया के मनुष्य प्रजाति सहित इस धरती पर उपस्थित हर प्राणी को उपलब्ध कराता है। सूर्य एक अक्षय ऊर्जाश्रोत के साथ स्वास्थ्य प्रदान करने का भी एक अक्षय उर्जा श्रोत है !
                सूर्य के प्रकाश में निःशुल्क विटामिन-डी के अलावे बहुत से रोगनिरोधक गुणों से संपन्न अभिनव गुण भी हैं ! कोरोना के भयावहतम् काल में इस दुनिया के बहुत से लोगों का यह पूर्ण विश्वास था कि गर्मी के दिनों में सूर्य के तेज धूप में ये मानवहंता कोरोना वायरस स्वतः नष्ट हो जाएंगे,हालांकि गर्मी में भी ये विषाणु नष्ट नहीं हुए,लेकिन सूर्य के प्रति मानवप्रजाति का यह अपार विश्वास और निष्ठा की यह अद्भुत, अद्वितीय व अतुलनीय मिशाल है !

निर्मल कुमार शर्मा,’गौरैया एवं पर्यावरण संरक्षण तथा समाचार पत्र-पत्रिकाओं में पर्यावरण,सामाजिक व वैज्ञानिक विषयों पर स्वतंत्र व बेखौफ़ लेखन ‘ ,गाजियाबाद,

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