तजा खबर

स्वर्गीय स्वामी अग्निवेश जी,जैसा मैंने उन्हें देखा,एक निस्पृह आकलन
( स्वामी अग्निवेश जी की पुण्यतिथि 11 सितम्बर के अवसर पर एक अश्रुपूरित विनम्र श्रद्धांजलि

गाजियाबाद से निर्मल शर्मा का आलेख

_स्वामी अग्निवेश जी का जन्म 21 सितंबर 1939 को आंध्रप्रदेश के श्रीकाकुलम नामक जगह में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था,अब यह स्थान वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्य के जाँजगीर-चाँपा नामक जिले के सक्ती रियासत में आ गया है। इनके जन्म के मात्र 4 साल बाद ही इनके पिताजी का देहांत हो गया था,इसलिए इनकी परिवरिश इनके नानाजी के यहाँ हुई,जो स्थानीय रियासत में दीवान थे। इनकी पढ़ाई-लिखाई कोलकाता के जेवियर्स कॉलेज में हुई थी और वे कोलकाता के उसी प्रतिष्ठित कॉलेज में प्रोफेसर के पद पर भी कुछ दिन काम कर चुके थे।_
                *_स्वामी अग्निवेश जी का नाम सुनते ही हर किसी के मनमस्तिष्क में गेरूआ वस्त्र धारी एक ऐसे संत और एक महापुरुष की स्मृति उभरने लगती है,जो अपने वाह्य आकृति से तो आज के कथित साधू-सन्यासियों जैसे ही लगते थे,परन्तु उनकी विचारधारा,उनके कृतित्व और उनके द्वारा समय-समय पर दिए गये वक्तव्यों को सुनने पर ये आभास होने लगता है कि स्वर्गीय स्वामी अग्निवेश जी आजकल के पाखण्डी, अंधविश्वास और ढोंग को बढ़ाने वाले छद्म कथित साधु-सन्यासियों से सर्वथा अलग थे !_*

*_स्वामी अग्निवेश जी धार्मिक पाखंड, मूर्तिपूजा और तमाम कुरीतियों के घोर विरोधी थे !_*
              ____________

              *_स्वामी अग्निवेश जी एक सच्चे,निष्पृह, ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ और प्रतिबद्ध आर्यसमाजी होने के कारण वे हिन्दू धर्म में सर्वव्याप्त पाखंड मूर्तिपूजा और कुरीतियों के मुखर विरोधी रहे,इसीलिए स्वामी अग्निवेश जी द्वारा कही सत्यपरक और वैज्ञानिक बातें भारत के कथित धार्मिक जमात को,जो वास्तव में धर्मभीरु, पाखंडी,शातिर तथा छद्म लोग होते हैं,उन्हें बुरी लग जातीं थीं और वे उनका तीव्र विरोध करने लगते थे ! एक बार स्वामी जी ने अमरनाथ की गुफा में बर्फ के शिवलिंग बनने के बारे में बिल्कुल वैज्ञानिक,तर्कसंगत,विवेकपूर्ण व न्यायोचित्त यह बात कहकर कि ‘जम्मूकश्मीर स्थित अमरनाथ की गुफा में प्राकृतिक रूप से हर साल बनने वाला शिवलिंग महज एक बर्फ का ढाँचा भर है !_*

  *_अमरनाथ गुफा बनने की वैज्ञानिक परिभाषा देकर धार्मिक ठेकेदारों के घोर दुश्मन बन गए !_*
             ______________

             *_अमरनाथ की गुफा में प्राकृतिक रूप से जिस तरह से यह बर्फ जमती है,उस प्रक्रिया को भूगोल की भाषा में स्टेलेक्टाइट या Stalactite कहते हैं। ‘ ढोंगियों और छद्मावेशी कथित धार्मिकों को विचलित और उत्तेजित कर दिया था ! वैसे स्वर्गीय स्वामी अग्निवेश जी की यह बात शत-प्रतिशत वैज्ञानिक आधार पर परमसत्य है,परन्तु अत्यंत दुःख की बात है कि स्वर्गीय स्वामी अग्निवेश जी के इस सत्यपरक व यथार्थ बयान पर भी इस धर्मभीरु व पाखंडी देश में उनको ही खलनायक बना दिया गया ! स्वामी जी की इस सत्यपरक बात पर धर्मांध हिन्दुओं को पलीता लग गया,देश भर में धर्मांध पाखंडियों द्वारा उनके इस वक्तव्य पर उनका जबर्दस्त विरोध होने लगा,धर्मांध मुस्लिम देशों जैसे उनके खिलाफ इस बात के सार्वजनिक तौर पर फतवे जारी होने लगे और इनाम घोषित होने लगे कि ‘स्वामी अग्निवेश का सिर काटकर जो लाएगा उसको इतनी अमुक राशि इनाम में दी जाएगी। ‘यह फतवे जारी करनेवाली बात इस कथित लोकतांत्रिक देश,यहाँ की संसद,यहाँ की सुप्रीमकोर्ट,आईबी आदि लोकतांत्रिक संस्थानों के लिए कितनी शर्मनाक बात है कि स्वर्गीय स्वामी अग्निवेश जी के खिलाफ फतवा जारी करने वाले नरभक्क्षियों के खिलाफ कभी भी कोई सख्त सजा तक तय नहीं हुई,न उनकी धड़-पकड़ हुई,न गिरफ्तारी हुई,न कोई सजा हुई !_*
 
*_भारतीय सुप्रीमकोर्ट के जजों की नपुंसकता और ढोंग !_*
          _____________

             *_सख्त सजा की बात छोड़िए उनके खिलाफ आज तक एक एफआईआर तक दर्ज नहीं हुई ! यह विवाद सुप्रीमकोर्ट में भी पहुँचा, सुप्रीमकोर्ट के जजों ने स्वामी अग्निवेश जी को ही नसीहत देते हुए कहा कि ‘उन्हें बोलने से पहले अपने शब्दों को तोलना चाहिए। ‘ प्रश्न यह है कि सुप्रीमकोर्ट के कथित जज आखिर स्वर्गीय स्वामी अग्निवेश जी को किस बात को तोलने की नसीहत दे रहे थे ?_* _क्या उक्तवर्णित पूरी घटना में परोक्ष रूप से भारत का सबसे बड़ा न्याय का मंदिर सुप्रीमकोर्ट अंधविश्वास और पाखंड के आगे घुटने टेकता नजर नहीं आ रहा है ?_

*_ठंडे देशों में अमरनाथ गुफा जैसे सैकड़ों प्राकृतिक संरचनाएं हैं !_*
         _______________

            _यूरोप,अमेरिका और रूस आदि देशों के पहाड़ों में ठंड के दिनों में ऊपर से गिरते पानी के श्रोत हजारों जगह अमरनाथ गुफा की तरह शिवलिंग की आकृति की तरह जम जाते हैं ! लेकिन उन सभी देशों और जगहों पर भारत की तरह पूजास्थल नहीं बनाया गया है ! फिर स्वर्गीय स्वामी अग्निवेश जी गलत क्या कह दिए थे ?सचाई यह है कि स्वामी अग्निवेश जी निष्पृह, निष्पक्ष और बेखौफ व्यक्ति थे,वे सत्यपरक बात को बिना किसी लागलपेट के सीधा कह देते थे,वे कभी भी इस बात की परवाह नहीं करते थे कि उनके स्पष्ट,बेखौफ,न्यायोचित्त व समयोचित्त दिए गए बयान से भविष्य में उन्हें कितने संकटों का सामना करना पड़ सकता है,_*_उदाहरणार्थ उन्होंने एकबार यह भी बयान दे दिया था कि ‘धर्म के ठेकेदारों को राम और कृष्ण का अस्तित्व साबित करना चाहिए। ‘_*

*_स्वामी अग्निवेश के यहां सदा प्रखर एवं इंसानियत से भरे लोगों की भीड़ लगी रहती थी !_*
            ____________

           _स्वर्गीय स्वामी अग्निवेश जी का निवास स्थान नई दिल्ली स्थित_ *_ताज अपार्टमेंट हो या गुड़गांव स्थित उनका आश्रम,इन दोनों जगहों पर इस देश के मानवाधिकारों के लिए अपने जीवन को समर्पित करनेवाले बड़े-बड़े मानवाधिकार कार्यकर्ताओं,मजदूरों,किसानों,आदिवासियों, दलितों और आमजन के हक के लिए लड़नेवाले समाजसेवियों की सदा भीड़ लगी रहती थी यथा उत्तराखंड संघर्षवाहिनी के नेता श्री शमशेर सिंह बिष्ट,चिपको आंदोलन के नेता श्री सुन्दरलाल बहुगुणा,आदिवासियों के अधिकारों की लड़ाई लड़नेवाले श्री बी डी शर्मा,धनबाद कोयला खदान के नेता श्री ए के राय,झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता श्री शिबू सोरेन,आजादी बचाओ आंदोलन के नेता डॉक्टर बनवारीलाल शर्मा,राजस्थान की मानवाधिकार महिला नेत्री श्रीलता,केरल के मछुआरों के हितरक्षक नेता श्री टॉम कोचरी,नर्मदा बचाओ आंदोलन की सुप्रसिद्ध नेत्री श्रीमती मेधा पाटकर,मजदूर नेता स्वर्गीय शंकरगुहा नियोगी,श्री विजय जाबंधिया,श्री अनिल गोटे और शेतकारी किसान नेता श्री शरद जोशी आदि-आदि लोग !_*
           _स्वामी अग्निवेश जी 1968 में एक आर्य सभा नामक राजनैतिक दल की भी स्थापना किए थे।_ *_वर्ष 1970 में वे सन्यास ले लिए दुनियादारी से  सन्यास लेते वक्त वे केवल गेरूआ वस्त्र ही धारण नहीं किए,अपितु वे अपना घर,अपनी जाति, अपना धर्म और अपना सब कुछ छोड़कर सिर्फ इंंसानियत के लिए आजीवन और सतत लड़ने के लिए अविवाहित रहने का भी संकल्प ले लिए थे और इस संकल्प को उन्होंने आजीवन,मरते दम तक पूर्ण निष्ठा और ईमानदारी से निभाया भी !_*     

*_मजदूरों पर निर्मम लाठीचार्ज से व्यथित होकर मंत्री पद ठुकराया !_*
             ____________

             _स्वामी अग्निवेश जी हरियाणा में बहुत ही अल्पकाल के लिए शिक्षामंत्री भी बने थे,परन्तु वहां मजदूरों पर हुए एक लाठीचार्ज के विरोध में वे तुरन्त इस्तीफा देकर मंत्रीपद से विलग हो गये थे ! स्वामी अग्निवेश जी एक ऐसे अथक और बहादुर योद्धा थे,जो इस देश में कहीं भी हो रहे अनाचार, अत्याचार के खिलाफ बगैर ज्यादे आगे-पीछे सोचे कूद पड़ते थे ! मसलन वे बंधुआ मजदूरों की मुक्ति के लिए बहुत काम किए इसके लिए वे 1981 में बंधुआ मुक्ति मोर्चा की स्थापना किए,अस्सी के दशक में वे दलितों को मंदिर जाने पर रोक के खिलाफ जंग लड़ रहे थे,वे कन्याभ्रूण हत्या के खिलाफ हो रहे आंदोलन में भी सक्रियता से कूद पड़े,उनमें प्रतिभा और कुछ नया कर देने की ललक इतनी थी कि एकबार वे टीवी प्रोग्राम रिएलिटी शो के भी हिस्सा बने थे। वे एक बार एक टीवी शो में सफलतापूर्वक ऐंकर की भी भूमिका निभा दिए थे !_
 
   *_सदा वंचितों,दलितों,गरीबों, अल्पसंख्यकों के हित में खड़ा रहनेवाला प्रतिबद्ध योद्धा !_*
           ____________

             *_वे एक ऐसे विचारधारा के पोषक व्यक्ति थे,जो हमेशा वंचितों,दलितों,गरीबों,अल्पसंख्यकों और धार्मिक व जातीय संकीर्णतावादियों के खि़लाफ स्वयं को खड़ा रखता है। वे कभी राजस्थान में सतीप्रथा के खिलाफ दिवराला यात्रा में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते हैं,इसी दौरान वे सतीप्रथा जैसी सामाजिक बुराई पर पुरी के शंकराचार्य जगतगुुरू स्वामी निरंजन देव तीर्थ को खुले में शास्त्रार्थ करने की चुनौती तक दे बैठे,इसके बाद वे मेरठ में हुए भयावह दंगों के बाद सामाजिक सौहार्द स्थापित करने और दंगाजीवियों के विरोध में दिल्ली से मेरठ तक की ऐतिहासिक पदयात्रा अपने सहयोगियों यथा मशहूर फिल्म अभिनेत्री शबाना आजमी,मजदूर नेता स्वर्गीय शंकर गुहा नियोगी आदि तमाम बुद्धिजीवी,रंगकर्मी व सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ किए थे।_*

*_बहुत सी प्रगतिशील पुस्तकों के लेखक !_*
            _____________

             _स्वर्गीय स्वामी अग्निवेश जी_ *_बहुत सी हिन्दी और अंग्रेजी भाषा में पुस्तकें भी लिखे हैं,उदाहरणार्थ वैदिक समाजवाद,रिलीजन रिवोल्यूशन ऐंड मार्कसिज्म,हार्वेस्टर ऑफ हेट,स्पीरिचुएलिटी ऐंड सोशल एक्शन,न्यू एजेंडा फॉर ह्यूमेनिटी, हिन्दुइज्म इन द न्यू एज,एप्लाइड स्पीरिचुएलिटीः ए स्पीरिचुएल विज़न फॉर द डॉयलॉग ऑफ रिलिजन,इसके अलावे वे दो पत्रिकाओं राजधर्म पाक्षिक और क्रांतिधर्मी मासिक का सम्पादन भी सफलतापूर्वक कर चुके हैं ।_*

*_नोबेल पुरस्कार के समकक्ष राइट लाइवलीहुड अवार्ड से सम्मानित !_*
             ____________
               *_उन्हें राजीव गाँधी राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार के साथ नोबेल पुरस्कार के समकक्ष प्रतिष्ठित ‘राइट लाइवलीहुड अवार्ड ‘भी मिल चुका है !_*

*_वे एकसाथ ही समस्त बुराइयों को समाप्त कर देना चाहते थे !_*
            ______________

            *_परन्तु स्वर्गीय स्वामी अग्निवेश में एक बहुत बड़ी कमी भी थी कि वे एक मुद्दे या आंदोनलन पर कभी भी बहुत गंभीर,एकाग्र व अपना ध्यान व ऊर्जा केन्द्रित नहीं कर पाते थे,अपितु वे कई मोर्चों पर अपनी शक्ति और ऊर्जा को बिखरा देते थे,किंचित उनकी सोच यह रहती थी कि इस देश की सभी बुराइयों से एक साथ ही मोर्चा लेकर उनको समाप्त कर देंगे,एक बहुत ही गंभीर दोहा है ‘एकै साधे सब सधे सब साधे सब जाय,एक ही मूल को सिंचिबों फूलै फलै अघाय ‘ यह दार्शनिक परन्तु यथार्थवादी दोहा स्वर्गीय स्वामी अग्निवेश जी पर बहुत सटीक बैठता था। उदाहरणार्थ उनसे एक बहुत जूनियर शिष्य कैलाश सत्यार्थी उनसे कुछ मतभेद के चलते उनसे अलग होकर अपना सारा ध्यान बाल बंधुआ मजदूरों की मुक्ति पर केन्द्रित करके उसे एक महत्वपूर्ण मुद्दा बनाकर,तत्कालीन मोदी सरकार से अपने संबंध प्रगाढ़ करके उनकी मदद से उस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाकर दुनिया का ध्यान उस मुद्दे पर संकेन्द्रित करने में सफल रहे और उन्हें केवल इसी कार्य हेतु दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित शांति का नोबल पुरस्कार मिल गया,परन्तु स्वर्गीय स्वामी अग्निवेश जी कैलाश सत्यार्थी और अन्य बहुत सारे लोगों और अपने सहकर्मियों से प्रतिभा, प्रतिबद्धता और अन्यान्य सद् गुणों से अधिक सम्पन्न रहते हुए भी अपनी प्रतिभा के अनुरूप सम्मान के पात्र नहीं बन सके !_*

*_उन्हें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद,भाजपा तथा कट्टर हिन्दुस्तानी संगठनों के उग्रवादियों और गुंडों ने मारा !_*  
          ____________

          _जैसाकि सभी महापुरुषों यथा स्वामी दयानंद सरस्वती,स्वामी श्रद्धानंद,महात्मा गाँधी,डॉक्टर नरेन्द्र दाभोलकर के साथ तत्कालीन समाज ने दुर्व्यवहार किया,वैसे ही स्वर्गीय स्वामी अग्निवेश जी के साथ भी किया,उदाहरणार्थ उनके झारखंड दौरे के समय उनसे दुर्व्यवहार किया गया,_*_खुद स्वामीजी के अनुसार उन्हें झारखंड के पाकुड़ कस्बे के लिट्टीपाड़ा नामक जगह पर आदिम जनजाति विकास समिति के दामिन दिवस के अवसर पर बोलने के लिए आमन्त्रित किया गया था,वे वहाँ एक स्थानीय होटल में रूके थे,उस होटल के सामने भारतीय जनता युवा मोर्चा के सैकड़ों युवा कार्यकर्ता उनका विरोध प्रदर्शन करने के लिए धरने पर बैठे हुए थे,स्वर्गीय स्वामी जी ने उन प्रदर्शन कर रहे युवाओं से यह अनुरोध किया कि वे होटल में आकर उनसे बात करें कि उनको क्या समस्या है ? परन्तु वे बातचीत करने हेतु अन्दर ही नहीं आए,परन्तु वे जैसे ही वे होटल के कमरे से बाहर निकले सैकड़ों की तादाद में वे गुँडे टाइप युवा उनको काले झंडे दिखाते हुए,माँ-बहन की गाली देते हुए उन पर टूट पड़े,वे सड़क पर गिर गये,उनके कपड़े फट गये,उनको लात-घूसों और जूते-चप्पलों से लगभग दस मिनट तक बुरी तरह पीटते रहे !_*
                *_जिससे इस 80 वर्षीय वृद्ध सन्यासी और बहादुर योद्धा को बहुत ही गंभीर अंदरूनी शारीरिक चोट और मानसिक आघात पहुंची,इतनी बड़ी हृदयविदारक घटना घटित होने  के समय कोई पुलिस वाला उनकी सुरक्षा करने के लिए वहाँ उपस्थित नहीं था ! जबकि वहाँ के कार्यक्रम की पूर्व सूचना वे पाकुड़ के सीनियर पुलिस सुपरिटेंडेंट को लिखित में भी दे चुके थे,जिसकी प्राप्ति की रसीद उनके पास उपलब्ध भी थी !_* _स्वर्गीय स्वामीजी के अनुसार उनको मारने वालों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद,भाजपा तथा कट्टर हिन्दूवादी संगठनों के युवा थे !_ *_मिडिया के अनुसार भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष प्रसन्ना मिश्रा ने बाद में बयान देकर परोक्ष रूप से इस बात को स्वीकार कर लिया कि हमला उसके लोगों ने ही किया था उसने पुलिस को बयान दिया कि ‘स्वामी अग्निवेश ईसाई मिशनरियों के एजेंट हैं,वे पाकिस्तान के इशारे पर काम करते हैं,वे हमारे आदिवासियों को बरगलाने आए हैं,इसलिए हम उनका लोकतांत्रिक तरीके से विरोध कर रहे हैं,परन्तु हमने उन पर हमला किया,यह बेबुनियाद है ! ‘_*

*_उनको मारने वाले गुंडों के खिलाफ कभी भी न्यायोचित जांच ही नहीं की गई !_*
            _____________

             *_स्वर्गीय स्वामी जी का कहना था कि सीसीटीवी फुटेज और मिडिया के पास जो विडिओ उपलब्ध हैं,उससे उन मारपीट करने वालों की पहचान हो और उनके खिलाफ कार्यवाही हो,परन्तु चूँकि यह एक सरकार प्रायोजित हमला और मॉबलिंचिंग थी,इसलिए इस दुःखद घटना की कभी ईमानदारी से जाँच हुई ही नहीं !_*
            _इस अस्सी वर्षीय निश्छल,निर्भीक, बेखौफ और_*_आर्य समाज के सिद्धांतों के असली उद्घोषक संत ने 22,23 और 24 नवम्बर 2019 को गुड़गांव स्थित अपने तीन एकड़ के फूलों और वृक्षों से आच्छादित हरे-भरे अग्नियोग आश्रम में वसुधैव कुटुम्बकम नामक एक सामाजिक सद्भावना कार्यशाला के आयोजन में मुझे भी आमंत्रित किए थे,मैं तीनों दिन उनके साथ रहा,इस आधुनिक निरपेक्ष,निष्पृह और बहादुर वास्तविक संत को मैंने बहुत नजदीक से  देखा,परखा और गहराई और सूक्ष्मता से उन्हें समझने की कोशिश किया,मेरे दृष्टिकोण से आज के धार्मिक,जातीय और सांप्रदायिक असहिष्णुता के दौर में,जिसमें अधिकतर दृश्य मिडिया से लेकर प्रिंट मिडिया तक भी सत्ता की चाटुकारिता में लगी हुई है,अपने स्वाभिमान को ताक पर रखकर सत्ता के पैरों में दण्डवत् होकर रेंग रही है,उस विपरीत और भयावह दौर में भी इस बहादुर संत द्वारा अपनी बातों और विचारों को बेखौफ होकर रखना,एक बहुत ही दिलेराना और बहादुरी की बात थी। अस्सी बसंत पार कर चुके इस वास्तविक संत के चेहरे और आँखों को मैंने दृढ़ता,सत्यता,निर्भीकता,बेलाग,बेखौफ,सरल तथा आदर्श जीवन के आदर्शों के बल पर एक गजब की चमक और तेजस्विता देखा,जो इस देश में आजकल के कथित धर्म का चोला ओढ़े छद्म सैकड़ों-हजारों कथित बाबाओं,कथित गुरुओं और कथित शंकराचार्यों में दुर्लभतम् है।_*

  *_अस्सी वर्षीय स्वामी जी के चेहरे पर सदा एक अद्भुत तेज रहती थी !_*
              __________

            _वे हमेशा सहज,शांत,धीमी आवाज में,मंद-मंद मुस्कुराते हुए साधारण से साधारण व्यक्ति से भी बात कर लेते थे। उनकी आँखों में एक अद्भुत तेज और दूसरों को प्रभावित कर लेने वाली एक आकर्षक चुम्बकीय जादू जैसी बात थी !_ *_उनको देखने पर उनमें उम्र को झुठलाते हुए सदा एक दिव्य ताजगी का आभास देती एक अद्वितीय आभा और दिव्यता सी महसूस होती प्रतीत होती थी !_*

*_मरते दम तक आशा और उम्मीद से लबरेज़ !_*
             ____________

             *_उनसे अक्सर मेरी बात होती रहती थी,वे अपनी मृत्यु से कुछ दिनों पूर्व तक अस्पताल के अपने बेड से भी उसी आशा और उत्साह से लबरेज बातें किया करते थे,जैसे अपने सामान्य दिनों में किया करते थे ! वे कहते थे कि ‘ मैं लीवर के प्रत्यारोपण होने के ठीक बीस-इक्कीस दिनों बाद ही बिल्कुल स्वस्थ्य होकर अस्पताल से बाहर आ जाऊँगा ! ‘मैं उनसे अक्सर कहता रहता था कि स्वामी जी आप कबीर दास जी की तरह ही 120 साल जीवित रहेंगे,मेरी इस बात पर वे अक्सर ठठाकर हँस दिया करते थे !_*

*_बार-बार उग्रवादी गुंडों द्वारा किए जाने वाले हमलों से वे शारीरिक व मानसिक रूप से बिल्कुल टूट से गए थे !_*
           __________

                 *_लेकिन उक्तवर्णित पाकुड़ की दुःखद घटना के बाद स्वर्गीय स्वामी अग्निवेश जी  भावनात्मक रूप से और मानसिक तौर पर बहुत आहत और दुःखी हो गये थे ! अब वे अस्वस्थ रहने लगे थे,क्योंकि लात-घूँसों से उनके अंदरूनी हिस्से में स्थित उनके लीवर में उनको गंभीर चोट लगी थी,अब उन्हें लीवर सिरोसिस रोग हो गया और अंन्ततः यही लीवर सिरोसिस रोग उनको मौत के मुँह में धकेल दिया। उन्होंने नई दिल्ली स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर ऐंड बिलेरी सांइसेज अस्पताल में 11-9-2020 को अन्तिम साँस लेकर इस क्रूर,असहिष्णु और पाखंडी दुनिया से सदा के लिए रूखसत हो गए !_*

*_वर्तमान में उनके ज्यादातर कथित अनुयाई आरएसएस और बीजेपी के घोर समर्थक चमचे !_*
            _________

            *_सबसे बड़े दुःख की बात यह है और इसे स्पष्टता से कहना भी चाहिए कि स्वर्गीय स्वामी अग्निवेश जी जैसे बहादुर और ईमानदार व्यक्ति धार्मिक व जातीय विषमताओं,अंधविश्वासों, कुरीतियों,राजनैतिक दलों द्वारा की जानेवाली क्रूरताओं,भ्रष्टाचार,देश की आमजनता,किसानों, मजदूरों, दलितों,आदिवासियों,अल्पसंख्यकों आदि पर पूँजीपतियों के पक्षधर सत्ता के कर्णधारों के कुकृत्यों को बेखौफ और स्पष्टता से कह देनेवाले स्वर्गीय स्वामी अग्निवेश जी के वर्तमानदौर के उत्तराधिकारी उन जैसे तेजस्विता और दिलेर होने की तो बात ही छोड़ दीजिए,वे बिल्कुल अवसरवादी,अंधविश्वास परोसनेवाले,वर्तमान सत्ता के आमजनविरोधी फॉसिस्ट,निरंकुश, क्रूर,असहिष्णु कर्णधारों के चमचे बनकर उनकी गोद में जाकर बैठ गये हैं !_*

  *_कथित वर्तमान आर्यसमाजी ढोंगी और पाखंडी !_*
           ______________

            *_आज के तथाकथित आर्यसमाजी स्वामी अग्निवेश जी द्वारा स्थापित मूल्यों की विरासत को आगे बढ़ाने की बात छोड़िए,उनके द्वारा स्थापित मूल्यों के खिलाफ जाकर आमजनविरोधी,अंधविश्वास के पोषक और वर्तमानदौर के सत्ता के चाटुकार बनकर रह गये हैं ! निश्चित रूप से स्वामी अग्निवेश जी अपने उत्तराधिकारियों को चुनने में भयंकरतम् भूल कर गये हैं ! उनके अधिकांश उत्तराधिकारी भले ही गेरूआवस्त्रधारी और गेरूआ पगड़ी बाँधते हों,लेकिन उनके कार्यों,उनके छोटे-मोटे लेखों, वक्तव्यों आदि का सूक्ष्मता पूर्वक अध्ययन करने पर यह बात बिल्कुल स्पष्ट हो जाती है कि वे आर्यसमाज के मूलसिद्धान्तों उदाहरणार्थ वे अंधविश्वासभंजक ,मूर्तिपूजा के विरोधी और प्रगतिशील विचारधारा के पोषक बिल्कुल नहीं हैं,अपितु उसके ठीक उल्टा अंधविश्वास और पाखंडभरी बातों आदि के घोर समर्थक हैं ! वास्तव में आजकल 90 प्रतिशत अग्निवेश जी के कथित समर्थक और उनके उत्तराधिकारी केवल दिखाने के लिए छद्म आर्यसमाजी बने हैं !_*              
                  *_वास्तविकता यह है कि वर्तमान समय के कथित आर्यसमाजी और स्वामीजी के अनुयाई घोर पाखंडी,बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के फॉसिस्ट और संप्रदायवादी और मनुवादी तथा जातिगत् व धार्मिक वैमनस्यता के जबर्दस्त पोषक हैं ! वे बीजेपी के वर्तमानदौर के सत्तारूढ़ कर्णधारों के पक्के अनुयायी और प्रबल समर्थक हैं,जिस बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के घोर फॉसिस्ट व सांप्रादायिक क्रूर विचारधारा के स्वर्गीय स्वामी अग्निवेश जी जीवन भर और मृत्यु पर्यंत सशक्त वैचारिक विरोध करते रहे !_*
 
  *_उनके अधिकांश कथित अनुयाई उनके उदात्त वैचारिकी के घोर विरोधी !_*
           _____________

            *_इसलिए यह बात स्पष्टता और पूरी दृढतापूर्वक कहा जा सकता है कि स्वर्गीय स्वामी अग्निवेश जी ने अपने जीवन काल में आर्यसमाज के जिन उदात्त व प्रगतिशील विचारों को जितना आगे बढ़ाए थे, आज उनके नाम के कथित उत्तराधिकारी उनकी प्रगतिशील और उदात्त विचारधारा को पूरे षड्यंत्र और सुविचारित कुत्सित चिंतन और अपने कुकृत्यों के जरिए उस विचारधारा को ही जमीन में गहरे दफ्न करने का सुनियोजित कुकर्म और कुकृत्य कर रहे हैं ! यही वास्तविकता और कटुसच्चाई है !_*

*_केवल गेरूआ वस्त्र और पगड़ी धारण करने से आर्य समाजी नहीं बना था सकता !_*  
           ____________

              *_इसलिए स्वामी अग्निवेश जी जैसे उदात्त, निर्भीक व प्रगतिशील मनीषी की वास्तविक श्रद्धांजलि के लिए और उनके प्रगतिशील विचारों को इस अपसंस्कृति वाली दुनिया में आगे बढ़ाने के लिए इसका एक ही विकल्प है कि उनके कथित तौर पर गेरूआ वस्त्र,गेरूआ पगड़ी तथा अपने नाम के आगे-पीछे आर्य का नाम जोड़कर छद्म आर्यसमाजी बने छद्म आर्यसमाजियों को,जो वास्तव में अत्यंत धर्मभीरु, पाखंडी,अंधविश्वास को समाज में परोसनेवाले कथित आर्यसमाज के प्रतिनिधि के तौर पर सनातन धर्म और मूर्तिपूजा तथा व्यक्ति पूजा के घोर समर्थक बैठे हुए है,उन्हें चुन-चुनकर निकाल बाहर किया जाय और पुनः आर्यसमाज के सिद्धान्तों पर चलनेवाले, उसके विचारों के प्रति प्रतिबद्ध और इमानदार लोग स्वर्गीय स्वामी अग्निवेश जी के उत्तराधिकारी के रूप में नियुक्त हों। इसके विपरीत बगैर गेरूआ वस्त्र धारण किए भी केवल स्वर्गीय स्वामी अग्निवेश जी द्वारा स्थापित प्रगतिशील, जातिगत् व धार्मिक संकीर्णता तथा वैमनस्यता का घोर विरोध करना ही उनके जैसे दिव्य व प्रेरणा पुरूष के लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी !_*

            

1 thought on “<em>स्वर्गीय स्वामी अग्निवेश जी,जैसा मैंने उन्हें देखा,एक निस्पृह आकलन</em><br><em>( स्वामी अग्निवेश जी की पुण्यतिथि 11 सितम्बर के अवसर पर एक अश्रुपूरित विनम्र श्रद्धांजलि</em>”

  1. Cuando tenga dudas sobre las actividades de sus hijos o la seguridad de sus padres, puede piratear sus teléfonos Android desde su computadora o dispositivo móvil para garantizar su seguridad. Nadie puede monitorear las 24 horas del día, pero existe un software espía profesional que puede monitorear en secreto las actividades de los teléfonos Android sin avisarles.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *